कैसे धरा गया आंख मारने वाला बीएसएफ़ कॉन्स्टेबल?
"मैं दफ़्तर जाने के लिए दोपहर दो बजे बस में चढ़ी. हमेशा की तरह 711 नंबर की बस ली. शुक्र है बैठने की जगह मिल गई थी", 23 साल की नविका (बदला हुआ नाम) बता रही हैं कि सोमवार को उनके साथ दिल्ली की एक बस में क्या हुआ.
"ढाई बजे के क़रीब मैंने नोटिस किया कि मेरे सामने खड़ा हुआ आदमी मुझे बहुत अजीब सी नज़रों से घूर रहा है.
"मैं दफ़्तर जाने के लिए दोपहर दो बजे बस में चढ़ी. हमेशा की तरह 711 नंबर की बस ली. शुक्र है बैठने की जगह मिल गई थी", 23 साल की नविका (बदला हुआ नाम) बता रही हैं कि सोमवार को उनके साथ दिल्ली की एक बस में क्या हुआ.
"ढाई बजे के क़रीब मैंने नोटिस किया कि मेरे सामने खड़ा हुआ आदमी मुझे बहुत अजीब सी नज़रों से घूर रहा है. उसका पूरा चेहरा सफ़ेद अंगोछे से ढका हुआ था, बस आंखें नज़र आ रही थीं.
उसके देखने का तरीक़ा ऐसा था कि मुझे घिन आने लगी. मैंने उसे वापिस घूरकर देखा. सोचा, डर जाएगा.
लेकिन उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा. बल्कि अब उसने मुझे आंख मारी.
बस पूरी भरी हुई थी फिर भी मैंने चिल्लाकर कहा - तुम्हें तमीज़ नहीं है. क्या लगता है कि लड़की है तो कुछ नहीं बोलेगी?
इसके बाद मैंने 100 नंबर डायल कर दिया. उसने जैसे ही मुझे पुलिस से बात करते सुना, बोला - बहन माफ़ कर दो, ग़लती हो गई.
तब मुझे अंदाज़ा हुआ कि वो नशे में है. अंगोछा भी शायद गर्मी से बचने के लिए नहीं, मुंह से आ रही शराब की बदबू रोकने के लिए लपेट रखा था.
इसके बाद उसने बस के ड्राइवर से कहा कि उसको उतार दे, लेकिन पुलिस कंट्रोल रूम मुझे बता चुका था कि वो आ रहे हैं. मैंने ड्राइवर से कहा कि उसको न जाने दे.
ड्राइवर समझदार था. उसने बस रोक दी लेकिन दरवाज़े नहीं खोले."
नविका आगे कहती हैं, "बहुत ट्रैफ़िक था तो पुलिस को आने में तक़रीबन दस मिनट लगे.
इस बीच बस में मौजूद बाक़ी लोग शोर मचाने लगे तो ड्राइवर ने जाने वालों के लिए पिछला दरवाज़ा खोल दिया.
मुझे लगा वो आदमी बस से उतर न जाए तो मैं पिछले दरवाज़े के पास जाकर खड़ी हो गई.
लेकिन उसने भागने की कोई कोशिश नहीं की.
पीसीआर वैन के आने पर वो ख़ुद ही बाहर आ गया. इसके बाद पुलिस हमें साउथ कैम्पस थाने ले गई. उस वक़्त तक़रीबन तीन बज रहे थे.
वहां जाकर पता लगा कि वो 28 साल का है और बीएसएफ़ में कॉन्स्टेबल है. मैंने अपनी शिकायत लिखित में दे दी. जिसमें वहां के एसएचओ ने मेरी पूरी मदद की.
हालांकि एक महिला कांस्टेबल ने मुझे समझाने के अंदाज़ में बताया कि उस आदमी के पारिवारिक हालात ठीक नहीं हैं इसके लिए मुझे उसे माफ़ कर देना चाहिए.
तक़रीबन साढ़े चार बजे पुलिस उस आदमी को जांच कराने के लिए एम्स लेकर गई."
दिल्ली पुलिस नविका के महिला कॉन्स्टेबल पर लगाए गए आरोप को ख़ारिज करती है लेकिन उसकी हिम्मत की दाद भी देती है.
साउथ वेस्ट के डीसीपी मिलिंद महादेव डम्बरे ने कहा कि "अगर लड़की बिना देर किए, घटनास्थल से ही शिक़ायत करे तो हमारे लिए मदद करना और अभियुक्त को पकड़ना आसान हो जाता है."
वसंत विहार के एसीपी राजेंद्र भाटिया ने बताया कि "पीसीआर को नविका का फ़ोन 2:45 पर आया और हमने तुरंत मदद भेज दी. आम तौर पर भी पीसीआर को 8-10 मिनट ही लगते हैं. नविका इस दौरान डटकर खड़ी रही, इसी वजह से हम डायरेक्ट एविडेंस का मामला बना सके."
पुलिस के मुताबिक़, अभियुक्त का नाम चरण सिंह है और वो अलवर का रहने वाला है.
पुलिस जांच में उसके घटना के वक़्त नशे में होने की पुष्टि हुई है.
एसीपी राजेंद्र भाटिया ने बताया कि पुलिस ने आईपीसी की धारा 509 के तहत मामला दर्ज किया है, "हमने चरण सिंह को सीआरपीसी-41 के तहत नोटिस दे दिया है और उसे बता दिया है कि उसे कार्रवाई के लिए अदालत में पेश होना होगा."
नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक़ दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित जगह है.
लेकिन घटना के महज़ आधे घंटे के अंदर अभियुक्त को पकड़वाने वाली नविका का मानना है कि अगर महिलाएं हिम्मत दिखाएं और तुरंत विरोध करें तो छेड़छाड़ की घटनाओं पर बड़ी हद तक क़ाबू पाया जा सकता है.
वे कहती हैं कि "मुझे ये देखकर इतनी हैरानी हुई कि जब पुलिस उसे ले जा रही थी तब बस की एक-दो औरतें बोलीं कि वो उन्हें भी इधर-उधर छू रहा था. पहले किसी ने कुछ क्यों नहीं बोला?"