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Coronavirus: डेल्टा वेरिएंट का नया वर्जन AY.12 कितना खतरनाक? जानिए इसके बारे में सब कुछ

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नई दिल्ली, 27 अगस्त। कोरोना वायरस जिस तेजी से अपना रूप बदल रहा है उसके चलते हर समय इसका एक नया वेरिएंट सामने आ रहा है। अब वैज्ञानिकों को भारत समेत पूरी दुनिया में कहर बरपाने वाले डेल्टा वेरिएंट के एक नए उपवंश AY.12 का पता चला है। विशेषज्ञों के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट का यह उपवंश हाल में इजरायल में कोरोना मामलों के तेजी से बढ़ने के लिए जिम्मेदार है।

भारत में भी पहुंच चुका है एवाई.12

भारत में भी पहुंच चुका है एवाई.12

सिर्फ इजरायल ही नहीं भारत में भी डेल्टा का यह वर्जन पहुंच चुका है और देश के कई राज्यों में इसके मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं।

भारत में बुरी तरह कहर बरपाने वाले डेल्टा वेरिएंट परिवार को वैज्ञानिकों ने 4 से 13 रूपों में विस्तारित किया है। इसका ही एक अन्य उपवंश AY.12 पुनर्वर्गीकृत किया जा रहा है। यह उपवंश तकनीकी रूप से दरअसल एक नया वेरिएंट ही होता है लेकिन मूल वेरिएंट से निकटता के कारण इसे उपवर्ग में विभाजित कर दिया जाता है।

भारत में कोरोना केस पर नजर रखने वाले जीनोम कंसोर्टियम ने कहा है चूंकि AY.12 की परिभाषा अभी स्पष्ट नहीं है इसलिए इससे जुड़े मामलों की अंतिम संख्या सामने आने में कुछ समय लगेगा।

क्या है एवाई.12 उत्परिवर्तन?

क्या है एवाई.12 उत्परिवर्तन?

मूल रूप से वायरल का विकास एक तरह से ही काम करता है। जैसे वायरस शरीर में फैलता है यह खुद की कॉपी बनाता है लेकिन कई बार यह कॉपी बनते समय वायरस से छोटी गलतियां हो जाती हैं और इसका एक नया स्वरूप तैयार हो जाता है। इसी प्रक्रिया के तहत डेल्टा वेरिएंट (बी.1.717.2) के अब तक कई उपवंश तैयार हो चके हैं। इसमें ही डेल्टा प्लस वेरिएंट है जिसका म्यूटेशन काफी विशिष्ट है और इसे काफी खतरनाक भी माना जाता है। इसी प्रकार का एक उपवंश एवाई.12 है जिसमें एक को छोड़कर डेल्टा म्यूटेशन के सभी लक्षण हैं।

इजरायल में इस नए डेल्टा वर्जन के मिलने से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। इसकी वजह भी है। इजरायल ने अपनी वयस्क आबादी का 60 प्रतिशत टीकाकरण कर दिया है लेकिन अब सामने आया है कि फाइजर वैक्सीन की प्रभावशीलता क्लीनिकल ट्रायल की तुलना में काफी कम है। हालांकि भारत में कोविड पर नजर रखने वाले जीनोम कंसोर्टियम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि "अभी यह ज्ञात नहीं है कि एवाई.12 चिकित्सकीय रूप से डेल्टा अलग है या नहीं। लेकिन इजरायल में इसके बढ़ने का मतलब है कि इसकी जांच होनी चाहिए।

एवाई.12 दूसरे स्ट्रेन से कितना अलग?

एवाई.12 दूसरे स्ट्रेन से कितना अलग?

कोविड जीनोम के मुताबिक अभी यह पता नहीं चल पाया है कि एवाई.12 डेल्टा वेरिएंट से क्लीनिकली अलग है। हालांकि एवाई.12 में ऐसे कुछ म्यूटेशन नहीं है जो डेल्टा वर्ग में पाए जाते रहे हैं। इस उपवर्ग की स्पाइक प्रोटीन में कोई नया म्यूटेशन नहीं पाया गया है।

इजरायल की बात करें तो एवाई.12 वहां पर सबसे प्रभावी स्ट्रेन बना हुआ है। अध्ययन के दौरान 51 प्रतिशत सैंपल में इस वेरिएंट का प्रभाव देखा गया है। राज्यों से इस वेरिएंट को लेकर सावधानी बरतने को कहते हुए रिपोर्ट में लिखा है कि "डेल्टा का उपवंश एवाई.12 कई राज्यों में देखा गया है लेकिन अभी इसकी सख्या के बारे में और अधिक परीक्षण की जरूरत है। डेल्टा वेरिएंट और एवाई.12 के प्रभाव में अंतर अभी मालूम नहीं है लेकिन दोनों एक दूसरे के बहुत सपीम मालूम पड़ते हैं।"

कोविड जीनोम कंसोर्टियम ने अभी तक 70,000 सैंपल को जीनोम स्ट्रक्चर के लिए चेक किया है जिसमें से 50,000 विभिन्न उपवर्ग से संबंध हैं। इनमें से 60 प्रतिशत अंतराष्ट्रीय वेरिएंट ऑफ कंसर्न से संबंध हैं। खास बात यह है कि वेरिएंट पर कंसर्न में 70 प्रतिशत सैंपल डेल्टा वेरिएंट के हैं। जबकि डेल्टा प्लस, जिसमें एवाई.12 भी शामिल है, के केवल 67 सैंपल हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पुनवर्गीकरण के बाद इनकी संख्या बढ़ सकती है।

इजरायल के हालात ने बढ़ाई चिंता

इजरायल के हालात ने बढ़ाई चिंता

रिपोर्ट के मुताबिक एवाई.12 उपवंश को पहली बार 7 सितम्बर 2020 में रिपोर्ट किया गया था। उसके बाद से 26 अगस्त 2021 तक दुनिया भर में एवाई.12 के 44,083 सीक्वेंस रिपोर्ट किए जा चुके हैं। हालांकि यह वेरिएंट इजरायल में केस बढ़ने के लिए जिम्मेदार होने के बाद वैज्ञानिकों की चिंता के केंद्र में आया है। पिछले दो सप्ताह में इजरायल में कोरोना वायरस के नए कन्फर्म केस की दर दोगुनी हो गई है। इसके साथ ही इजरायल में वायरस की चौथी लहर का खतरा मंडराने लगा है।

केस बढ़ने के साथ ही इजरायल में एक बार फिर से वाणिज्यिक और मनोरंजन वाली जगहों पर भीड़ बढ़ाने को लेकर फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही सरकार एक नए लॉकडाउन पर भी विचार कर रही है।

वैज्ञानिकों की चिंता एक और प्रमुख कारण यह भी है कि इजरायल में बड़ी संख्या में वे लोग भी संक्रमित हुए हैं जिन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन ली है। इजरायल में फाइजर की वैक्सीन दी गई थी लेकिन इसकी प्रभावशीलता आश्चर्यजनक रूप से गिरी थी। इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार फाइजर वैक्सीन की प्रभावशीलता जून के आखरि और जुलाई की शुरुआत में घटकर 39 प्रतिशत रह गई थी। जो कि जनवरी से अप्रैल के बीच 95 प्रतिशत से काफी कम है। हालांकि दोनों समय में वैक्सीन कोरोना के चलते होने वाली गंभीर स्थिति को रोकने में 90 से अधिक प्रभावी रही है। यही वजह है कि इजरायल अब दो डोज के अलावा एक बूस्टर डोज की तैयारी कर रहा है।

कितना चिंतिंत होने की जरूरत?

कितना चिंतिंत होने की जरूरत?

यह बात समझने की है जो भी नया वेरिएंट सामने आता है जरूरी नहीं कि वह सभी समान रूप से खतरनाक हैं। जब वायरस परिवार में एक नए उपवर्ग को शामिल करता है तो इसके साथ ही उसका एक स्तर भी जोड़ता है जो हमें यह बताता है कि हमें कितना चिंतिंत होना चाहिए।

जैसे कि सबसे निचने स्तर का वेरिएंट ऑफ कंसर्न हमें यह बताता है कि इस वेरिएंट पर सिर्फ नजर रखने की जरूरत है। इसी तरह से डेल्टा वेरिएंट है जो अधिक खतरनाक माना गया है इसे वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट कहा गया। वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट उन्हें कहा जाता है कि जिनमें विशेष प्रकार का म्यूटेशन होता है और इन पर कड़ी निगरानी की जरूरत होती है। इसके साथ ही एक वेरिएंट ऑफ हाई कांसीक्वेंसेज है जो कोविड परिवार में आज तक किसी को नहीं दिया गया है।

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English summary
How Dangerous Is the Delta Variant Sublineage AY.12 know all about it
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