हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह का निधन, AIIMS में चल रहा था इलाज
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 1934 में जन्मे केदारनाथ सिंह नई कविता के अग्रणी कवियों में शुमार थे।
नई दिल्ली। हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का 83 साल की उम्र में सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। पेट में संक्रमण की शिकायत के बाद इलाज के लिए उन्हें अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एम्स) में भर्ती किया गया था जहां उपचार के दौरान सोमवार शाम 8 बजकर 40 मिनट पर उन्होंने दम तोड़ दिया। केदारनाथ सिंह के निधन से हिंदी साहित्यकारों एवं उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है। केदारनाथ सिंह अपने पीछे परिवार में एक पुत्र और पांच पुत्रियां छोड़ गए हैं।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 1934 में जन्मे केदारनाथ सिंह नई कविता के अग्रणी कवियों में शुमार थे। केदारनाथ सिंह हिंदी कविता में नए बिंबों के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। उनकी कविताएं जटिल विषयों को सहज एवं सरल भाषा में व्यक्त करती हैं। केदारनाथ सिंह अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि हैं। 2013 में केदारनाथ सिंह की सेवाओं के लिए उन्हें साहित्य के सबसे बड़े सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह हिन्दी के 10वें लेखक हैं।
केदारनाथ सिंह ने बनारस विश्वविद्यालय से 1956 में हिन्दी में एमए और 1964 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम कर चुके हैं। केदारनाथ सिंह ने कविता, आलोचना करने के साथ-साथ कई पुस्तकों का संपादन भी किया है। उनके कुछ प्रमुख कविता संग्रह-अभी बिल्कुल अभी, जमीन पक रही है, यहां से देखो, बाघ, अकाल में सारस, उत्तर कबीर और अन्य कविताएं, तालस्ताय और साइकिल, सृष्टि पर पहरा हैं। जबकि उनकी आलोचना की पुस्तकें कल्पना और छायावाद, आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान, मेरे समय के शब्द, मेरे साक्षात्कार हैं। इसके अलावा उन्हें मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, जीवन भारती सम्मान, दिनकर पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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