हरियाणा सरकार के कर्मचारियों को मिली RSS से जुड़ने की छूट, किन राज्यों में मिल चुकी है राहत ? जानिए
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर: हरियाणा सरकार ने अपने सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ने की अनुमति दे दी है। मनोहर लाल खट्टर सरकार का मानना है कि आरएसएस कोई राजनीतिक संगठन नहीं है और यह सिर्फ एक सांस्कृतिक संगठन है। उसके मुताबिक ऐसे संगठनों पर पाबंदी लगाने का कोई मतलब नहीं है और गृहमंत्रालय ने भी पहले ही इसका निर्देश दिया हुआ है। गौरतलब है कि भाजपा-विरोधी राजनीतिक दल संघ को कभी भी बर्दाश्त नहीं करते हैं और इसलिए वो खट्टर सरकार के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। तथ्य यह भी है कि भारत में कम से कम तीन बार आरएसएस पर बैन लगाया गया है, लेकिन कभी भी यह पाबंदी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई है। आज की हालात ये है कि देश के कई राज्य हरियाणा से काफी पहले अपने कर्मचारियों को आरएसएस में शामिल होने की इजाजत दे चुके हैं। लेकिन, कुछ जगहों पर अभी भी यह प्रतिबंध जारी है।
हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस से जुड़ने की छूट
हरियाणा सरकार ने 54 साल पुराने उस नियम को खत्म कर दिया है, जिसमें राज्य सरकार के कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों से जुड़ने की पाबंदी थी। सबसे पहले इस तरह की रोक 30 नवंबर, 1966 को सर्विस (कंडक्ट) रूल्स के तहत लगाई गई थी, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। इसके लिए तर्क दिया गया था कि ये संगठन सिर्फ सांस्कृतिक या सामाजिक संगठन नहीं हैं। हालांकि, 1975 में भी इस तरह का बैन हटा लिया गया था, लेकिन बाद में सत्ता परिवर्तन होने पर 1980 में इसे फिर से लागू कर दिया गया। 1966 और 1980 में जारी गृह मंत्रालय के आदेशों के मुताबिक 'कोई भी सरकार कर्मचारी जो इस तरह के संगठनों (आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी) का या तो सदस्य है या किसी रूप में उसकी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।' आदेश में इस बात पर जोर था कि इन निर्देशों का उल्लंघन अनुशासनहीनता का गंभीर मामला माना जाएगा और ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।
हरियाणा सरकार के नए आदेश में क्या है ?
हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी विजय वर्धन ने सोमवार, 11 अक्टूबर, 2021 को सरकारी कर्मचारियों पर से जो संबंधित पाबंदी हटाने को लेकर चिट्ठी जारी की है, उसमें कहा गया है- '1967, 1970 और 1980 में उनके पूर्ववर्तियों की ओर से पहले जारी किए गए पत्रों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाता है, क्योंकि वे अब प्रासंगिक नहीं हैं।' इसमें उन पुरानी पाबंदियों का भी जिक्र किया गया है जिसमें यह व्यवस्था थी कि, 'कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी ऐसे संघ में शामिल नहीं होगा या उसका सदस्य नहीं रहेगा, जिसके उद्देश्य या गतिविधियां भारत की संप्रभुता और अखंडता या सार्वजनिक व्यवस्था या नैतिकता के हित के प्रतिकूल हों।'
हरियाणा सरकार ने क्यों लिया ये फैसला ?
हरियाणा सरकार के आदेश के बारे में जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है, '1975 में गृह मंत्रालय ने आरएसएस/जमात-ए-इस्लामी और आनंद मार्ग सहित ऐसे संगठनों में शामिल होने से देश भर के सभी सरकारी कर्मचारियों से प्रतिबंध हटा लिया था। कई राज्यों ने पहले ही पाबंदी हटा ली थी। जाहिर तौर पर इसे हरियाणा में किसी ने नहीं पढ़ा और अब इसे यहां भी लागू कर दिया गया है।...............जैसे आरएसएस या जमात-ए-इस्लामी भारत के चुनाव आयोग में सूचीबद्ध राजनीतिक संगठन नहीं हैं। बल्कि, आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन है। इस तरह से हरियाणा सरकार ने अब गृह मंत्रालय के निर्देशों को दोहराया है। किसी भी सरकारी कर्मचारी के इन संगठनों से जुड़ने पर रोक नहीं है।'
किन राज्यों सरकारी कर्मचारियों पर अभी भी है पाबंदी ?
जम्मू-कश्मीर में यदि कोई सरकारी कर्मचारी इन संगठनों शामल होते हैं या उसकी गतिविधियों से जुड़े हुए पाए जाते हैं तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है। गृह मंत्रालाय की ओर से 28 फरवरी, 2019 को जारी अधिसूचना के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी पर यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा हुआ है। एक हालिया आदेश में यहां तक कहा गया है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े व्यक्ति के साथ एक घर में भी रहता है तो उसे सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है। राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस, जमात-ए-इस्लामी और 17 दूसरे संगठनों की सदस्यता लेने पर बैन है। अगर किसी सरकारी कर्मचारी ने इनके पक्ष में सोशल मीडिया पर पोस्ट भी डाला तो सरकार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।
किन राज्यों में सरकारी कर्मचारियों पर से खत्म हुई पाबंदी ?
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनते ही 2006 में सरकारी कर्मचारियों से आरएसएस में शामिल होने पर लगी पाबंदी हटा ली गई थी। जून, 2016 में ऐसी खबरें आई थीं कि कुछ आरएसएस के सदस्यों को गोवा में सरकारी नौकरी में ज्वाइन करने से रोका गया था। तब संघ ने इसे 'अन्यायपूर्ण, गैरकानूनी और अलोकतांत्रिक' करार दिया था। तब संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा था, 'पहले ही कई अदालतों ने इसे असंवैधानिक साबित किया है। सरकार इस प्रतिबंध को हटाने पर विचार करे तो अच्छा है।' छत्तीसगढ़ सरकार ने 2015 में अधिसूचना जारी करके सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस में शामिल होने और उसकी गतिविधियों से जुड़ने की अनुमति दे दी थी। हिमाचल प्रदेश में 2008 में तब की भाजपा सरकार ने इस तरह की पाबंदी हटाई थी।