गुजरात में बोर्ड की कॉपी गलत चेक करने वाले 6634 शिक्षकों का नाम छापेगा शिक्षा विभाग
नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने हर महीने उन तमाम शिक्षकों का नाम उजागर करने का फैसला लिया है जो बोर्ड परीक्षा के दौरान छात्रों की उत्तर पुस्तिका कीं जांच करते समय में गलती करते हैं। सरकार इन शिक्षकों के नाम हर महीने छपने वाली पत्रिका के जरिए उजागर करेगी। इस पत्रिका में सभी 6000 शिक्षकों के नाम होंगे जिन्होंने उत्तर पुस्तिका की जांच के समय में कुछ गलती की हो। कक्षा 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा की कॉपी चेक करने वाले शिक्षकों की गलती को उजागर करने के सरकार के फैसले के बाद शिक्षकों में इसको लेकर काफी चिंता है।
इन शिक्षकों का नाम आएगा सामने
गुजरात सरकार ने यह फैसला उस वक्त लिया है जब लगातार शिक्षक अपनी गलतियों को सुधार नहीं रहे थे और कई बार ऐसी गलतियां करते आ रहे हैं। सरकार की ओर से कुल 6634 नामों की लिस्ट तैयार की गई है। प्रदेश में कुल 20000 शिक्षक हैं जो बोर्ड की परीक्षा की कॉपी चेक करते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस लिस्ट में उन शिक्षकों के नाम शामिल हैं जिन्होंने कॉपी चेक करने के बाद जो पूर्णांक दिए हैं उसकी गिनती में कम से कम 10 नंबर की गलती पाई गई है।
अलग-अलग राय
इस लिस्ट को दो एडिशन में छापा जाएगा, जिसका नाम है शिक्षण आने परीक्षण। आपको बता दें कि गुजरात बोर्ड हर माह 17000 जरनल छापता है, जिसे हर उस स्कूल को दिया जाता है जो गुजरात बोर्ड से संबद्ध है। आपको बता दें कि गुजरात स्टेट हायर सेकेंडरी टीचर्स फेडरेशन में कुल 35000 सदस्य हैं, इन सभी ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। फेडरेशन के अध्यक्ष पंकज पटेल का कहना है कि हम जानते हैं बहुत से शिक्षक हैसे हैं जो अपना काम सही से नहीं करते हैं। हमने अपने जिला स्तरीय सेमिनार में भी इन शिक्षकों से कहा था कि वह उत्तर पुस्तिकाओं की इस तरह से जांच करें जैसे कि वह अपने बच्चे की कॉपी चेक कर रहे हैं।
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अगले साल हो सकती है दिक्कत
वहीं दूसरी तरफ एसोसिएशन ऑफ प्रोग्रेसिव स्कूल्स जिसमे प्राइवेट संस्थान भी संबद्ध हैं ने चेतावनी दी है कि नाम उजागकर शर्मिंदा करने का यह फैसला आने वाले समय में मूल्यांकन करने वालों की संख्या में कमी लाएगा। एसोसिएशन के अध्यक्ष मनान चौकसी ने कहा कि यह कदम सही है लेकिन अगर गलती शिक्षक की ओर से जानबूझकर नहीं हुई है तो इसके परिणाम ठीक नहीं होंगे, शिक्षक कॉपी चेक करने से कतराएंगे और आने वाले समय में मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों की कमी का सामना करना पड़ेगा।
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