Fact check: कोविड-19 ड्यटी पर मारे गये स्वास्थ्य कर्मियों को दिये जाने वाले बीमा कवर को वापस नहीं ले रही सरकार
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच, केंद्र सरकार ने कोविड-19 ड्यूटी के समय मारे गए स्वास्थ्य कर्मियों को दिए जाने वाले 50 लाख के बीमा कवर की स्कीम को वापस ले लिया है।
नई दिल्ली, 19 अप्रैल। केंद्र सरकार द्वारा कोविड ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को दिए जाने वाले बीमा कवर को वापस लिए जाने वाली खबर प्रेस सूचना ब्यूरो की जांच में खबर गलत साबित हुई है। ब्यूरों ने कहा है कि इस खबर की गलत तरीके से व्याख्या की गयी है।
इससे पहले खबर आई थी कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 ड्यूटी के दौरान मारे गए स्वास्थ्य कर्मियों को दिए जाने वाले बीमा कवर के फैसले को वापस ले लिया है। खबर में कहा गया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने एक चिट्ठी के जरिये तमाम राज्यों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के बारे में जानकारी दी। यह योजना कोरोना काल में ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए चलाई गई थी, जिसके तहत इस दौरान यदि किसी स्वास्थ्यकर्मी की मौत हो जाती है तो उसे 50 लाख का बीमा कवर दिया जाना था।
Recommended Video
स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और किसी भी अनहोनी में उनके परिवार को आर्थिक रूप से परेशान न होना पड़े इसके लिये सरकार ने यह योजना चलाई थी, लेकिन अब इस स्कीम को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है। हालांकि पिछले महीने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक सर्कुर के अनुसार 24 मार्च 2021 तक बढ़ाई गई इस स्कीम के तहत अभी तक केवल 287 लोगों ने इस स्कीम का लाभ लेने के लिए दावा किया है।
मालूम हो कि इस योजना को 30 मार्च 2020 को लागू किया गया था। शुरुआत में इसे केवल 90 दिनों के लिए लागू किया गया था लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 24 मार्च 2021 तक कर दिया गया।
यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस से भारत में कोहराम, जानिए अमेरिका, यूरोपीयन देश और इजरायल की क्या है स्थिति?
चिट्ठी में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि स्कीम का लाभ लेने के लिए दावा करने वाले 287 लोगों को स्कीम के तहत दी जाने वाली रकम दे दी गई है। हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार कोरोना वायरस से कम से कम 736 डॉक्टरों की मौत हुई है।
स्वास्थ्य सचिव ने अपनी चिट्ठी मे कहा कि 24 मार्च की मध्य रात्रि तक स्कीम के तहत दावा करने वाले लोगों को इसके लिए पात्र समझा जाएगा और इससे संबंधित सभी दस्तावेज सौंपने के लिए उन्हें 1 महीने का समय दिया जायेगा।
गौरतलब है कि इस योजना का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च 2020 को किया था, जो कि शुरुआत में 90 दिनों के लिए लागू की गई थी। स्कीम में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को भी शामिल किया गया था।