क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

असफलता छिपाने के लिए बलि का बकरा बना रही है सरकार: पीबी सावंत

उसके दो साल बाद 31 दिसंबर, 2017 को उसी जगह पर उसी विषय पर यलगार परिषद का आयोजन किया गया. मैं दोनों ही बार इन सभाओं का आयोजक रहा था. इस बार कबीर कला मंच नाम से एक अन्य संस्था हमसे जुड़ी थी.

इस परिषद में बहुत बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे, क्योंकि कुछ संस्थाओं के महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से समर्थक इसमें शामिल होने आए थे. अगली सुबह उन्हें 200 साल पहले भीमा कोरेगांव में मराठा सेना पर महारों यानी दलितों की जीत पर मनाए जाने वाले उत्सव में शामिल होना था.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
यलगार परिषद, भीमा कोरेगांव, नक्सली, पीबी सावंत
BBC
यलगार परिषद, भीमा कोरेगांव, नक्सली, पीबी सावंत

मराठी में यलगार का मतलब है ''दृढ़ संघर्ष''. वर्तमान बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के एक-डेढ़ साल बाद 4 अक्तूबर 2015 को हमने पुणे के शनिवार वाड़ा में एक सभा की थी, जिसका विषय था ''संविधान बचाओ, देश बचाओ''.

उसके दो साल बाद 31 दिसंबर, 2017 को उसी जगह पर उसी विषय पर यलगार परिषद का आयोजन किया गया. मैं दोनों ही बार इन सभाओं का आयोजक रहा था. इस बार कबीर कला मंच नाम से एक अन्य संस्था हमसे जुड़ी थी.

इस परिषद में बहुत बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे, क्योंकि कुछ संस्थाओं के महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से समर्थक इसमें शामिल होने आए थे. अगली सुबह उन्हें 200 साल पहले भीमा कोरेगांव में मराठा सेना पर महारों यानी दलितों की जीत पर मनाए जाने वाले उत्सव में शामिल होना था.

परिषद को इन लोगों के आने से फ़ायदा हुआ था.

इसके अलावा उसी जगह पर महाराष्ट्र स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी का 1 जनवरी 2018 को एक कार्यक्रम होने वाला था और उसने इसके लिए कुर्सियों और अन्य सामान का इंतजाम किया था. उनके ये इंतजाम हमारे काम भी आ गए.

ये सभी बातें बताना यहां इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि पुलिस ने परिषद के लिए इस्तेमाल हुए फंड को लेकर सवाल उठाए थे और उसकी जांच की थी.

इस परिषद का मक़सद राज्य और केंद्र सरकार की ओर से संविधान के उल्लंघन का मामला उठाना था और संविधान को लागू करने की मांग पर ज़ोर देना था.

इस परिषद में कई स्पीकर मौजूद थे और सभी ने वर्तमान केंद्र सरकार की विफलता का मसला उठाया. साथ ही केंद्र और राज्य सरकार के संविधान से बंधे होने पर बल दिया. आख़िर में पूरी सभा ने शपथ ली कि ''जब तक बीजेपी सरकार सत्ता से हट नहीं जाती, तब तक वो चैन की सांस नहीं लेंगे.''

कबीर कला मंच पर छापा

इसके पांच महीनों बाद 6 जून 2018 को पुलिस ने कबीर कला मंच के एक्टिविस्ट के घर पर छापा मारा और कई दस्तावेज़ों को कब्जे में ले लिया. पुलिस को उनके नक्सली होने या उनके नक्सलियों से संबंध होने का संदेह था.

इसके ठीक दो हफ़्तों बाद इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके कहा कि उन्हें एक्टिविस्ट के ख़िलाफ़ ऐसा कुछ नहीं मिला है, जिनसे उनका नक्सलियों से संबंध पता चलता हो.

इसके बाद उन्होंने पूरे देश से 28 अगस्त, 2018 को गिरफ़्तारियां की. वो तो खुशकिस्मती रही कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल दिया.

यलगार परिषद, भीमा कोरेगांव, नक्सली, पीबी सावंत
BBC
यलगार परिषद, भीमा कोरेगांव, नक्सली, पीबी सावंत

अभी गिरफ़्तारी की वजह

पुलिस का आरोप है कि नक्सली और उनसे सहानुभूति रखने वाले लोग यलगार परिषद के आयोजन में शामिल थे. हालांकि, उन्हें अपने आरोपों को साबित करने के लिए रत्ती भर भी सबूत नहीं मिले हैं.

हमारा नक्सलियों से कोई संबंध नहीं है. पुलिस ने अक्तूबर 2015 में हुई सभा पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया था, जबकि उसे भी आयोजित करने वालों में लगभग वही लोग शामिल थे. तो इस बार आरोप क्यों लगाए गए हैं?

इस बार आरोप लगाने की वजह साफ है. पहला कारण, चुनाव नजदीक हैं और सरकार सभी मोर्चों पर अपनी असफलता को छुपाने और लोगों का ध्यान बांटने के लिए कुछ लोगों को बलि का बकरा बनाना चाहती है.

दूसरा कारण, हाल ही में पुलिस जांच में अलग-अलग शहरों में विस्फोट के मकसद से बम बनाने में हिंदुत्ववादी संगठन सनातन संस्था का नाम सामने आया है.

इन हिंदुत्ववादी संगठनों को वर्तमान सरकार में शह हासिल है और उन्हें इस बात का भरोसा था कि उनके ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा. अभी हुई गिरफ़्तारियां भी उसी मामले से ध्यान हटाने की कवायद ही हैं. ये गिरफ़्तारियां पूरी तरह से राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं.

यलगार परिषद, भीमा कोरेगांव, नक्सली, पीबी सावंत
BBC
यलगार परिषद, भीमा कोरेगांव, नक्सली, पीबी सावंत

संविधान बदलना चाहती है बीजेपी

बीजेपी और वर्तमान सरकार संविधान को स्वीकार नहीं करती और उसे बदलना चाहती है. ये लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के ख़िलाफ़ हैं और फासीवाद का समर्थन करते हैं.

ये एक ऐसा राज्य चाहते हैं, जो मनुस्मृति पर आधारित हो. यहां तक कि 16 अगस्त 2018 को कुछ हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं ने संविधान की कॉपी जलाई थी और 'संविधान और डॉ. आंबेडकर मुर्दाबाद और मनुस्मृति जिंदाबाद' के नारे लगाए थे.

बीजेपी एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक राजनीतिक आपदा है. ये राष्ट्र की पहचान बदलना चाहते हैं और देश को उस पुराने दौर में ले जाना चाहते हैं जब मनुस्मृति से देश चला करता था.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Government is making scapegoat to hide failure PB Sawant
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X