गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव: 30 साल बाद भाजपा ने चुना मंदिर के बाहर का प्रत्याशी
नई दिल्ली। करीब-करीब 30 साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर से बाहर के शख्स को लोकसभा के चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। पार्टी ने आदित्यनाथ के मुख्मयंत्री बनने के बाद खाली हुए गोरखपुर सीट पर उपचुनाव के लिए उपेंद्र दत्त शुक्ला को टिकट दिया है। शुक्ला, भाजपा के क्षेत्रीय इकाई के अध्यक्ष हैं। बता दे कि 11 मार्च को गोरखपुर में उपचुनाव के लिए मतदान कराया जाएगा। गौरतलब है कि आदित्यनाथ के गुरु महंत अद्वैतनाथ को 1989 में गोरखपुर लोकसभा सीट से एक हिंदू महासभा के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था। इसके बाद वो 1991 और 1996 के लिए भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुने गए थे।
अब तक भाजपा का गोरखनाथ पर थी निर्भर
अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी, मंदिर के प्रमुख पुजारी और मौजूदा मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने साल 1998, 1999, 2004,2009 और 2014 में पांच बार चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में सीट जीती थी। साल1984 में कांग्रेस के मदन पाण्डेय आखिरी गैर भाजपाई नेता थे जो यहां सांसद थे। मंदिर के अनुयायी आधार और इसके प्रमुख पुजारी के ताल्लुक को देखते हुए, गोरखपुर लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार के चयन के लिए भाजपा अब तक गोरखनाथ मंदिर पर निर्भर रही थी।
पूर्वांचल का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा
उपेंद्र शुक्ला पूर्वांचल का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा है और जमीनी नेता होने के साथ-साथ काफी लोकप्रिय भी हैं। सोशल मीडिया पर इनका आईटी सेल बेहद ही सक्रिय रहता है और इनके हर कार्यक्रम की ब्रांडिंग भी होती रहती है। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बढ़ी नजदीकी के बाद उपेंद्र अमित शाह की भी नजरों में बने हुए थे। कई ऐसे मौके आए जब देश के इन शीर्ष नेताओ के साथ उपेंद्र की गुफ्तगू करती तस्वीरें चर्चा में रही थीं।
11 मार्च को उनका भाग्य ईवीएम में कैद
उपेंद्र शुक्ला के बढते कद ने ही उन्हे पहली बार देश की सर्वोच्च पंचायत में जाने का रास्ता प्रशस्त किया है और अब 11 मार्च को उनका भाग्य ईवीएम में कैद होगा। फिलहाल भाजपा ने फूलपुर में जहां बैकवर्ड कार्ड खेलकर दलित हितैषी होने का संदेश भेजा। वहीं गोरखपुर में अपने सबसे मजबूत वोट बैंक ब्राह्मणों को एकजुट रखने के लिए भाजपा ने उपेंद्र शुक्ला को भी मैदान में उतार दिया है।