अधूरी रह गई जनरल बिपिन रावत की ये इच्छा, पत्नी मधुलिका से जुड़ी थी उनकी ये ख्वाहिश
अधूरी रह गई जनरल बिपिन रावत की ये इच्छा, पत्नी मधुलिका से जुड़ी थी उनकी ये ख्वाहिश
नई दिल्ली, 09 दिसंबर: भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्य कर्मियों की तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार (08 दिसंबर) को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई। तीनों सेनाओं के प्रमुख 63 वर्षीय जनरल बिपिन रावत को इस महीने के अंत में नए पद पर रहते दो साल पूरे हो जाते। लेकिन उसके पहले ये दुखद घटना घटी। पीटीआई समाचार एजेंसी से बात करते हुए बिपिन रावत के बहनोई यशवर्धन सिंह ने कहा कि जनरल बिपिन रावत जनवरी 2022 में मध्य प्रदेश के शहडोल में अपनी पत्नी मधुलिका के पैतृक घर का दौरा करने आने वाले थे। और शहडोल जिले में एक 'सैनिक स्कूल' स्थापित करने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि शहडोल में 'सैनिक स्कूल' बनने से वंचित छात्रों को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए खुद को तैयार करने में मदद मिलेगी। लेकिन सीडीसी बिपिन रावत की ये इच्छा अधूरी रह गई।
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बिपिन रावत का पत्नी के पैतृक घर से था गहरा लगाव
जनरल बिपिन रावत का जिला शहडोल के साथ एक मजबूत बंधन और गहरा लगाव था। बिपिन रावत ने 1986 में शहडोल जिले के सोहागपुर गढ़ी के दिवंगत कुंवर मृगेंद्र सिंह की बेटी मधुलिका से शादी की थी। बुधवार को मधुलिका भी Mi-17V5 सैन्य हेलीकॉप्टर में थीं, जो तमिलनाडु में कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। एक दिन पहले हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटना में जीवित बचे एकमात्र कप्तान वरुण सिंह हैं, जो वर्तमान में वेलिंगटन के एक सैन्य अस्पताल में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
मधुलिका रावत के भाई का छलका दर्द
घटना के संबंध में पीटीआई से बात करते हुए मधुलिका रावत के भाई यशवर्धन सिंह ने कहा कि उन्हें फोन पर हेलिकॉप्टर दुर्घटना की सूचना मिली थी। उस समय वह भोपाल में थे, वह बाद में भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक विशेष उड़ान में दिल्ली के लिए रवाना हुए है। यशवर्धन सिंह ने कहा, "मेरी मां, जो काफी बूढ़ी हो चुकी हैं और शहडोल में हैं, वे भी जबलपुर से सेना के अधिकारियों के साथ देर रात दिल्ली के लिए रवाना होंगी। अब तक, उन्हें इस दुखद घटना के बारे में पता नहीं है और एक करीबी रिश्तेदार जल्द ही दुर्घटना के बारे में बताने के लिए हमारे पुश्तैनी घर पहुंचेगा।''
बिपिन रावत के बहनोई बोले- किया था ये वादा
जनरल रावत के बहनोई यशवर्धन सिंह ने कहा, "मैं उनसे आखिरी बार दिल्ली में दशहरा उत्सव के अवसर पर मिला था, जब मेरी बेटी बांधवी, पेरू, दक्षिण अमेरिका से विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लेकर लौटी थी। उस समय, उन्होंने हमसे वादा किया था कि वह जनवरी 2022 में सकारात्मक रूप से शहडोल आएंगे और जिले में एक सैनिक स्कूल प्रदान करने का भी आश्वासन दिया क्योंकि यहां आदिवासी आबादी की एक बड़ी संख्या है। उन्होंने (जनरल रावत) ने मुझे स्थानीय सांसद और मंत्रियों के साथ इस मामले पर चर्चा करने के लिए कहा था ताकि इस पर काम किया जा सके।"
अपने पैतृक गांव में घर बनवाना चाहते थे बिपिन रावत
उत्तराखंड के पौड़ी के रहने वाले जनरल बिपिन रावत आखिरी बार 2018 में अपने गांव गए थे। पीटीआई से बात करते हुए उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि उनका अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वहां (पौड़ी) एक घर बनवाने की योजना थी। बिपिन रावत के 70 वर्षीय चाचा भरत सिंह रावत किसी काम से कोटद्वार गए थे लेकिन जैसे ही हादसे की खबर मिली वे घर लौट आए। बिपिन रावत के परिवार के लोग द्वारीखाल खंड के साइना गांव में रहते हैं।
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बिपिन रावत के चाचा भरत सिंह रावत ने बताया कि आस पड़ोस के गांव के लोग अश्रुपूर्ण नेत्रों से परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करने के लिए पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिपिन रावत ने 2018 में गांव में अपने पिछले दौरे के दौरान कुलदेवता की पूजा भी की थी।
भारत के पहले CDS थे बिपिन रावत
जनरल बिपिन रावत को 31 दिसंबर 2019 को भारत का पहला प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) नियुक्त किया गया था। बतौर सीडीएस जनरल बिपिन रावत तीनों सेनाओं के महत्वाकांक्षी आधुनिकीकरण परियोजना को देख रहे थे। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) नियुक्त किए जाने से पहले जनरल बिपिन रावत 17 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक सेना प्रमुख की जिम्मेदारी निभा चुके थे।