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Bilkis Bano Case: 'बेहद गलत हुआ', बिलकिस के दोषियों की रिहाई पर 134 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स का CJI को पत्र

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नई दिल्ली, 28 अगस्त। गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत रिहा किए गए 11 दोषियों को लेकर बहस छिड़ गई है। ये कैदी वो हैं जो गुजरात के गोधरा में हुए दंगों को दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप के मामले दोषी पाए गए थे। ये सभी गोधरा उप कारागार में सजा काट रहे थे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ देश के 134 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने सीजेआई यूयू ललित को पत्र लिखा है।

Bilkis Bano

175वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत इस साल 15 अगस्त को गोधरा उप-कारावास से 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। उनकी रिहाई के मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और कार्यकर्ता रूपरेखा रानी ने उच्चतम न्यायालय में मामले को लेकर याचिका दायर कर दी। वहीं अब सरकार के फैसले के खिलाफ देश के 134 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने अब सीजेआई को पत्र लिखा है।

पूर्व ब्यूरोक्रेट्स का CJI को पत्र

पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि वो जघन्य अपराधों के दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले से निराश हैं। उन्होंने पत्र में लिखा, 'भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले गुजरात में जो कुछ हुआ उससे हम स्तब्ध हैं। गुजरात सरकार के इस फैसले से बहुत व्यथित हैं। हम मानते हैं कि यह केवल सर्वोच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है और इसलिए इस भयानक गलत निर्णय को सुधारने की जिम्मेदारी भी सर्वोच्च अदालत की है।' पत्र में आगे लिखा गया, 'मामला दुर्लभ था क्योंकि न केवल बलात्कारियों और हत्यारों को दंडित किया गया था, बल्कि पुलिसकर्मी और डॉक्टर भी थे, जिन्होंने अभियुक्तों की रक्षा के लिए अपराध के सबूतों को मिटाने और मिटाने की कोशिश की थी। अब गुजरात सरकार ने जो निर्णय लिया है उसका प्रभाव ना केवल बिलकिस बानो और उनके परिवार बल्कि भारत में सभी महिलाओं की सुरक्षा पर भी पड़ेगा।'

पत्र में की गई ये मांग

संवैधानिक आचरण समूह की ओर से सीजेआई को ये पत्र लिखा गया है। जिसमें 134 पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर हैं। पत्र में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर, पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और सुजाता सिंह और पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई समेत कई पूर्व ब्यूरोक्रेट्स के हस्ताक्षर हैं। सीजेआई को लिखे पत्र में पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट के आदेश को रद्द करने और सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषी 11 लोगों को उनकी उम्रकैद की सजा काटने के लिए वापस जेल भेजने का आग्रह किया है। साथ ही गुजरात की 1992 की छूट नीति के अनुसार मामले की जांच करने की मांग की है।

क्या है मामला ?
साल 2002 में गुजरात में गोधरा ट्रेन में आग लगने के बाद हुए दंगों से भागते समय बिलकिस बानो 20 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी। दंगों में उसके परिवार के लोगों की हत्या कर दी गई। जिसमें उसकी तीन साल की बेटी भी थी। मामले में जनवरी 2008 में मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत उन्हें गोधरा उप कारागार से रिहा कर दिया।

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English summary
Former bureaucrats letter to CJI on the release of Bilkis convicts Godhra case
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