बोरिंग बजट में वित्त मंत्रियों की शायरियां: पढ़िए अरुण जेटली से राजीव गांधी तक की कविताएं और शायरियां
नई दिल्ली। बजट को लंबे और उबाऊ भाषण के तौर पर देखा जाता है। लोग अक्सर इतनी स्पीच के चलते बोर हो जाते हैं। लेकिन फिर भी देश के वित्त मंत्री इसे अपनी शायरियों, कविताओं और ह्यूमर से रोचक बनाने की कोशिश करते रहते हैं। बजट के दौरान शायरियों और चुटकलों का इतिहास काफी पुराना है। राजीव गांधी के समय से बजट में शायरियों और जोक्स का इस्तेमाल होता आ रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट 2017 के भाषण में नोटबंदी के दीर्धकालीन फायदे गिनाने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए उठाए गए कदमों को बताने के लिए कविता का सहारा लिया था।
नोटबंदी पर बजट में अरुण जेटली की शायरियां
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी को लेकर कहा था ‘इस मोड़ पर घबराकर ना थम जाएं आप, जो बात नई है उसे अपनाएं आप, डरते हैं नई राह पर क्यों चलने से, हम आगे-आगे चलते हैं आ जाइए आप'। अरुण जेटली ने इसी भाषण में सरकार के काले धन को लेकर प्राथमिकता बताने के लिए एक कविता का इस्तेमाल किया था। कविता में अरुण जेटली ने कहा था कि, नई दुनिया है नया दौर है, नई उमंग है, कुछ थे पहले के तरीके, तो हैं कुछ आज के ढंग। रोशनी आके जो अंधेरों से टकराई है, काले धन को भी बदलना पड़ा आज अपना रंग। इसी भाषण में काले धन को सरकार की मुख्य प्राथमिकता करार देते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि ‘वेन माय एम इज राइट, वेन माय गोल इज इन साइट, द वाइंड्स फेवर मीं एंड आई फ्लाइ' यानी अगर मेरा उद्देश्य सही है, अगर मेरा लक्ष्य साफ है तो हवाएं मेरा साथ देंगी और मैं उडूंगा। अरुण जेटली ही नहीं देश के अन्य वित्त मंत्री भी बजट में काविताओं का इस्तेमाल कर चुके हैं।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बजट भाषण में तमिल कवि कविताओं का जिक्र
यूपीए सरकार में वित्त मंत्री पी चिदंबरम अपने बजट भाषण के दौरान कई बार तमिल कवि थिरुवल्लुवर की कविताएं शामिल कर चुके हैं। कविताओं के अलावा भी कई बार वित्त मंत्री अपने बजट भाषण में ह्यूमर का भी तड़का लगा चुके हैं। यहीं नहीं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने एंटरटेनमेंट जगत के बारे में कहा था ‘समय आ गया है कि हम एंटरटेनमेंट को और खुशी दें और उनके बचे हुए गम भी वापस ले लें'
मनमोहन सिंह ने अपने बजट भाषण में पढ़ी थीं कवि इकबाल फेमल कविताएं
वहीं भारत में आर्थिक उदारीकरण के जनक मनमोहन सिंह ने 1991 के प्रसिद्ध भाषण में कवि इकबाल फेमल कविताओं का पढ़ा था। मनमोहन सिंह ने कहा था, ‘यूनान-ओ-मिश्र, सब मिट गए जहां से, अब तक मगर है बाकी नाम-ओ-निशान हमारा।' 1991 के बजट को कौन भूल सकता है? राजीव गांधी की सरकार में वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई, 1991 को अपने बजट भाषण में फ्रेंच लेखक विक्टर ह्यूगो की एक पंक्ति, नो पावर ऑन अर्थ कैन स्टॉप एन आइडिया हूज टाइम हैज कम दोहराकर नई शुरुआत की थी। यानी कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसके आने का वक्त हो चुका है।
राजीव गांधी ने अपने बजट भाषण किया था ह्यूमर का उपयोग
1987 में वित्त मंत्री राजीव गांधी ने जब सिगरेट पर एक्साइज ड्यूटी लगाने का फैसला किया था तो उन्होंने अपने बजट में कहा था, अधिक आय के लिए मुझे वित्त मंत्रियों के भरोसेमंद और विश्वसनीय दोस्त और स्वास्थ्य मंत्रियों के प्रमाणित दुश्मनों के पास वापस जाना होगा।