नीरजा भनोट को मारने वाले आतंकियों की तस्वीरें आई सामने, FBI ने जारी की
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नई दिल्ली। नीरजा भनोट.... वो नाम जिसकी शहादत पर भारत ने ही नहीं बल्कि अमेरिका और पाकिस्तान ने भी आंसू बहाए थे। 23 साल की बेपनाह खूबसूरत और हिम्मती लड़की नीरजा ने अपनी जान पर खेलकर 360 लोगों को मरने से बचाया था। अपने हिम्मत के दम पर 'हीरोइन ऑफ हाईजैक' बनी नीरजा के उन चार कातिलों की तस्वीरों को एफबीआई ( US Federal Bureau of Investigations)ने रिलीज किया है, जिनकी गोलियों का निशाना एयरहोस्टेस नीरजा बनी थी। ये हाईजैकर्स थे मोहम्मद हाफिज अल टर्की, जमाल सईद अब्दुल रहीम, मोहम्मद अब्द्ल्ला खलिल हुसैन अर्याल और मोहम्मद अहमद अल मुन्नव्वर। मालूम हो कि करीब 32 वर्ष बाद एफबीआई ने अपहरकर्ताओं की जिन तस्वीरों को जारी किया है उन्हें लैब में साल 2000 में एफबीआई को मिली तस्वीरों के आधार पर बनाया गया है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने आरोपियों की सूचना देने वालों के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर का ईनाम रखा था। ये चारों एफबीआई की मोस्ट वांटेड आतंकवादी की सूची में शामिल हैं।
#BREAKING: #FBI releases age-progressed photos of hijackers from September 5, 1986 attack of Pan Am Flight 73. https://t.co/YoBbGcUyiw pic.twitter.com/39lPgFYfm1
— FBI Washington Field (@FBIWFO) January 11, 2018
आपको बता दें कि नीरजा वर्ष 1986 में पैन एम की फ्लाइट के हाईजैक के दौरान यात्रियों की जान बचाते समय आतंकवादियों का शिकार हो गई थीं। नीरजा देश की पहली ऐसी नागरिक थीं, जिन्हें अशोक चक्र, जैसे किसी सर्वोच्च सैनिक सम्मान से नवाजा गया था। हालांकि ये सम्मान उन्हें मरणोपरांत हासिल हुआ लेकिन वो आज भी देश के सीने में एक हिम्मत बनकर धड़क रही हैं।
नीरजा भनोट का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था
नीरजा भनोट का जन्म पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में हुआ था। उनके माता-पिता रमा भनोट और हरीश भनोट मुंबई बेस्ड जर्नलिस्ट थे। वर्ष 1985 में शादी के बंधन में बंधी नीरजा को सिर्फ दो माह बाद दहेज के दबाव के चलते पति को छोड़कर मुंबई वापस आना पड़ा। शादी से पहले वो मॉडलिंग करती थी लेकिन शादी के लिए उन्हें अपना ये करियर छोड़ना पड़ा था लेकिन जब वो अपने पति को छोड़कर अपने मां-बाप के पास वापस आ गईं तो उन्होंने वापस से मॉडलिंग का करियर शुरु कर दिया।
अमेरिकी एयरलाइंस पैन एम
इसी दौरान नीरजा ने अमेरिकी एयरलाइंस पैन एम में फ्लाइट अटेंडेंट की जॉब के लिए अप्लाई किया और उन्हें उसमें एयरहोस्टेस की नौकरी मिल गई। पांच सितंबर 1986 को जब नीरजा अपनी ड्यूटी के तौर पर पैनएम 73 फ्लाइट का हिस्सा बनीं तो इसे हाइजैक कर लिया गया। इस फ्लाइट को फिलिस्तीन के आतंकी संगठन अबु निदाल के चार आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था जिसे लीबिया का समर्थन हासिल था। फ्लाइट को पाकिस्तान के कराची होते हुए फ्रैंकफर्ट, जर्मनी और फिर न्यूयॉर्क जाना था। मुंबई से फ्लाइट ने टेकऑफ किया था और इसमें 369 पैसेंजर्स थे।
आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी
जब विमान कराची में था तो आतंकी सिक्योरिटी पर्सनल की ड्रेस में विमान में दाखिल हो गए थे। आतंकियों ने भनोट को आदेश दिया कि वह सारे यात्रियों के पासपोर्ट को कलेक्ट करें जिससे उन्हें विमान में सवार अमेरिकियों का पता लग सके। एयरक्राफ्ट के अंदर आते ही आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी थी और एयरक्राफ्ट को अपने कब्जे में ले लिया था। आतंकी इस फ्लाइट को इजरायल में ले जाकर क्रैश करना चाहते थे।
आतंकियों ने नीरजा पर गोलियों की बौछार कर दी
नीरजा ने हिम्मत करके विमान का इमरजेंसी डोर खोलकर यात्रियों को बाहर निकलने में मदद की। वह चाहतीं तो सबसे पहले निकल सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कई बच्चों को आतंकियों की गोली का निशाना बनने से बचाया लेकिन आखिर के तीन बच्चों को बाहर निकालते वक्त आतंकियों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। मात्र 23 साल की उम्र में उस बहादुर लड़की ने वो कर दिखाया, जिसे करना हर किसी के बस में नहीं।
भारत की बेटी को 'तमगा-ए-इंसानियत' से नवाजा
नीरजा की बहादुरी के आगे केवल भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान भी नतमस्तक हुआ और उसने भी नीरजा को भारत की बेटी को 'तमगा-ए-इंसानियत' से नवाजा।
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