Farmers Protest: किसानों का बुराड़ी जाने से इनकार, बोले CM केजरीवाल-'केंद्र सरकार बिना शर्त करे बात'
Farmers Protest: कृषि कानून (Farm Laws 2020) और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर देशभर के किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के आंदोलन का आज चौथा दिन है। लाखों की तादात में इस वक्त किसान दिल्ली बॉर्डर पर इकट्ठा हैं, जिसकी वजह से सीमा पर आवाजाही बंद है। किसानों ने गृह मंत्री अमित शाह( Amit Shah) के ऑफर को भी ठुकरा दिया है। किसान यूनियन ने अपनी प्रेसवार्ता में आज कहा कि सरकार की ओर से बुराड़ी में प्रदर्शन करने का प्रस्ताव हमें नामंजूर है। हम बिना शर्त सरकार से बातचीत चाहते हैं, बुराड़ी ओपन जेल की तरह है और वो आंदोलन की जगह नहीं है, उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त राशन है और 4 महीने तक हम रोड पर बैठ सकते हैं।

जहां किसान इस वक्त भारी संख्या में दिल्ली-हरियाणा की सीमा सिंधु बॉर्डर पर डटे हैं, वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे पर राजनीति भी गर्मा गई है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि 'केंद्र सरकार किसानों से तुरंत बिना शर्त बात करे।'
'कैप्टन अमरिंदर सिंह तो बीजेपी के सीएम हैं'
सीएम के ट्वीट से पहले आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढ़ा ने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि वो तो भाजपा के मुख्यमंत्री बन गए हैं, उन्होंने बीजेपी के साथ साठगांठ कर रखी है, कैप्टन अमरिंदर और मोदी जी मिलकर किसानों के आंदोलन को खत्म कराना चाहते हैं, अगर अमरिंदर सिंह को सही में किसानों की चिंता है तो वो खुद क्यों नहीं आए किसानों को लीड करने, ये सबकुछ एक साजिश के तहत हो रहा है। विधायक राघव चड्ढ़ा ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर जिस भाजपा का साथ दे रहे हैं, उस भाजपा ने किसानों पर लाठी चलवाई, आंसू गैस के गोले चलवाए, अगर वो खुद यहां होते तो किसी की हिम्मत नहीं थी कि वो किसानों के साथ ऐसा कुछ कर पाते।

कृषि कानून से बंधन मुक्त हुए किसान: PM मोदी
जहां चारों ओर किसानों को लेकर हंगामा मचा हुआ है,वहीं दूसरी ओर रविवार को अपने ' मन की बात' कार्यक्रम के 18वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कृषि बिल को किसानों के लिए वरदान बताया। उन्होंने कहा कि 'सालों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी ना किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वायदा किया था, वो मांगें पूरी हुई हैं। काफी विचार-विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से ना सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं। इन अधिकारों ने बड़े ही कम समय में किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है।'
यह पढ़ें: किसानों ने ठुकराया अमित शाह का ऑफर, जानिए किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक की 10 बड़ी बातें