Farmers Protest: किसान आंदोलन में शामिल होने अमेरिका से पहुंचे 22 साल के नवपाल, बोले- खुद को रोक नहीं सका
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों (Fram Laws) के विरोध में देशभर में किसानों का आंदोलन जारी है। पंजाब में आंदोलन सबसे ज्यादा तेज है। पंजाब के लोग तो इस आंदोलन में शामिल हैं ही, दूसरे देशों तक से लोग आंदोलन में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। ऐसा ही नाम पंजाब के नवपाल सिंह का है, जो अमेरिका से आकर किसान आंदोलन में शामिल हो गए हैं। 22 साल के नवपाल वहां इंजीनियरिंग कर रहे हैं। अब वो लौट आए हैं और आंदोलन में जुट गए हैं।
टेक्सास में इंजीनियरिंग कर रहे हैं नवपाल सिंह
22 साल के नवपाल सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि वो टेक्सास में इंजीनियरिंग कर रहे हैं। वो बताते हैं कि बीते साल मार्च में वो घर आए थे और फिलहाल उनका कोई इरादा भारत आने का नहीं था। बीते महीने जब किसान आंदोलन ने जोर पकड़ा तो उनको लगा कि उन्हें भी जाना चाहिए। नवपाल सिंह कहते हैं कि उनके पिता, दादा सब किसान रहे हैं। ऐसे में इस आंदोलन ने उन्हें खींच लिया और आखिरकार इस सोमवार को वो भारत लौट आए।
आते ही सिंघु बॉर्डर पहुंचे
नवपाल सिंह भारत आते ही सिंघु बॉर्डर पर आकर प्रदर्शन में हिस्सा लिया। वो बताते हैं कि लगातार उनका सिंघु से घर पर आना जाना लगा है क्योंकि एक समन्वय के लिए लगातार संपर्क साधना होता है। नवपाल का कहना है कि ये आंदोलन देखना एक एलग तरह का अनुभव है, उन्हें लगता है कि अगर वो नहीं लौटते तो बहुत कुछ मिस कर देते।
केंद्र सरकार लाई है तीन कानून, जिनका हो रहा विरोध
केंद्र सरकार इस साल तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून के महीने से लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों को कहना है कि ये कानून मंडी सिस्टम और पूरी खेती को प्राइवेट हाथों में सौंप देंगे, जिससे किसान को भारी नुकसान उठाना होगा। किसान इन कानूनों को खेती के खिलाफ कह रहे हैं और तीनों कानूनों को वापस नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे हैं। वहीं सरकार का कहना है कि किसानों को विपक्ष ने भ्रम में डाला है, ये कानून उनके फायदे के लिए हैं।
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कानूनों के खिलाफ बीते छह महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। ये आंदोलन जून से नवंबर तक मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब में हो रहा था। सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने पर 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली की और कूच करने का ऐलान कर दिया। इसके बाद बीते 44 दिन से किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। टिकरी, गाजीपुर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर भी किसान जमा हैं। दिल्ली में किसानों के आने के बाद सरकार और किसान नेताओं के बीच अब तक सात दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है।
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