farmers Protest: लंबा चला आंदोलन तो पंजाब में बढ़ेगा खतरा, अमरिंदर सरकार ने बैक चैनल शुरू की कोशिश
Farmers Protest: नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर परेड के राजधानी दिल्ली में हंगामे और लाल किले की घटना के बाद किसान आंदोलन को लेकर पंजाब सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है। पंजाब सरकार को डर है कि अगर किसान आंदोलन लंबा चला तो इसे लेकर आक्रोश बढ़ सकता है। पंजाब सरकार ने समस्या का हल ढूढ़ने के लिए केंद्र और किसान संगठनों के साथ बैकचैनल बातचीत की कोशिश शुरू की है।
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पंजाब सरकार के अधिकारी दिल्ली में डाले हैं डेरा
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पंजाब सरकार के कुछ बड़े अधिकारी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और प्रदर्शनकारी किसानों के साथ ही केंद्र सरकार से लगातार संपर्क में बने हुए हैं।
पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार में इस बात को लेकर चिंता है कि लाल किले पर निशान साहिब की घटना के बाद ये आंदोलन असफल हो सकता है और किसान को खाली हाथ लौटना होगा।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि "यहां हर कोई इस बात को समझता है कि अगर इतने हफ्तों और महीनों के विरोध के बाद किसान खाली हाथ वापस लौटते हैं तो राज्य में गुस्सा बढ़ेगा। ये राज्य में आक्रोश के लिए खाद पानी का काम करेगा जिसे हम सहन नहीं कर सकेंगे।"
पाकिस्तान उठा सकता है स्थिति का फायदा
खबर के मुताबिक इस सप्ताह बुलाई गई आल पार्टी मीटिंग में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का जिक्र किया था और चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान इस स्थिति का फायदा उठाकर यहां पर भयंकर गड़बड़ी कर सकता है।
26 जनवरी की घटना के बाद एक बार ऐसा लग रहा था कि किसान आंदोलन टूटने ही वाला है। दो किसान संगठनों ने आंदोलन से किनारा कर लिया था। यहां तक कि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी आंदोलन को गाजीपुर बॉर्डर से हटाने की बात कही थी लेकिन बाद में राकेश टिकैत के आंसुओं ने बाजी पलटते हुए आंदोलन में नई जान फूंक दी। ऐसे में लोगों की चिंता है कि अगर फिर से लाल किले जैसी कोई घटना होती है तो आंदोलन कर रहे नेताओं के लिए विरोध को जारी रख पाना मुश्किल होगा। यही वजह है कि पंजाब को इसके दुष्परिणाम से बचाने के लिए किसी नतीजे पर पहुंचने में ही बुद्धिमानी है।
पंजाब सरकार कर रही कोशिश
सोर्स के मुताबिक पंजाब सरकार कोशिश कर रही है कि तीनों कृषि कानून को वापस ले लेकिन केंद्र सरकार कानून वापस लेने के सिवा कुछ भी करने के लिए तैयार है। ऐसे में एक रास्ता ये भी बनता है सरकार अगले तीन साल तक के लिए कृषि कानूनों को स्थगित करने पर तैयार हो जाए।
22 जनवरी को किसान संगठनों के साथ 11वें दौर की बातचीत में कृषि मंत्री ने कानून को डेढ़ साल तक के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव रखा था। उस समय किसान संगठन इस पर सहमत नहीं हुए थे। लेकिन एक बार अब फिर पंजाब सरकार किसानों और केंद्र सरकार दोनों के साथ बातचीत के जरिए आंदोलन का हल निकालने की कोशिश कर रही है। ऐसे में अगर 2024 तक यानि अगले चुनाव तक कृषि कानूनों को स्थगित करने पर सहमति बन जाती है तो किसानों को वापस लाने पर बात शुरू किया जा सकता है। गणतंत्र दिवस की घटना से दोनों पक्षों को सबक मिला है। दोनों पक्षों को किसी बात पर सहमत होना होगा।
बातचीत जारी रखने पर जोर
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक केंद्र इस बात पर सहमत है कि अगर पंजाब में कुछ होता है तो इसका असर पूरे देश पर होगा। जब ये पूछा गया कि राज्य सरकार मामले का हल निकालने के लिए कितना समय ठीक रहेगा तो उन्होंने जवाब दिया कि यह ज्यादा नहीं होना चाहिए।
सोर्स के मुताबिक पंजाब सीएम ऑफिस ने अपने अधिकारियों को ब्रीफ किया है कि किसान संगठनों को केंद्र के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए। "बातचीत नहीं रुकनी चाहिए। भले ही कोई हल न निकल रहा हो लेकिन मीटिंग जारी रहनी चाहिए।"
इसके साथ ही प्रदर्शन करने वाले किसानों के ऊपर उनके घरों से भी काफी दबाव है। इतने दिनों तक चलने वाले के बाद अगर वे बिना बिल वापसी के वापस जाते हैं तो किसान नेताओं पर भी आरोप लगेगा।
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