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Farmers Protest: केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री बोले- बिंदुवार बातचीत से ही निकलेगा हल, किसानों ने दिया ये जवाब

Farmers Protest: केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री बोले- बिंदुवार बातचीत से ही निकलेगा हल, किसानों का जवाब- बिल वापसी से कम मंजूर नहीं

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों (Fram Laws) के विरोध में देशभर में किसानों का आंदोलन जारी है। इस गतिरोध का हल निकालने के लिए आज (शुक्रवार) किसान संगठनों और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत होनी है। बैठक से पहले केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि कानूनों पर बिंदुवार बातचीत से ही हल निकलेगा। वहीं किसान नेताओं ने उनकी बिंदुवार बातचीत से हल निकलने की बात को खारिज कर दिया है।

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farmers protest MoS Agriculture Kailash Choudhary and kisan neta statement ahead of 8th round of talks

कैलाश चौधरी ने कहा है कि किसानों के साथ बिंदुवा वार्ता होने पर ही समाधान ढूंढा जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले किसान यूनियन के नेताओं का विषय था कि हम इसमें सुधार चाहते हैं। सरकार सुधार के लिए तैयार है। मुझे विश्वास है कि आज की वार्ता में वे इस बात को समझेंगे। किसान यूनियन के नेता सोचकर आएंगे कि समाधान करना है तो समाधान अवश्य होगा। किसान अगर एक कदम बढ़ेगा तो सरकार दस कदम बढ़ने को तैयार है।

कैलाश चौधरी के बयान पर किसान बलविंदर सिंह राजू ने कहा कि बिंदुवार बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है। हम चाहते हैं कि कानूव वापस हों और सरकार इन कानूनों को रद्द करने के तरीके को लेकर बैठक बुलाए।

केंद्र सरकार इस साल तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून के महीने से लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों को कहना है कि ये कानून मंडी सिस्टम और पूरी खेती को प्राइवेट हाथों में सौंप देंगे, जिससे किसान को भारी नुकसान उठाना होगा। किसान इन कानूनों को खेती के खिलाफ कह रहे हैं और तीनों कानूनों को वापस नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे हैं। वहीं सरकार का कहना है कि किसानों को विपक्ष ने भ्रम में डाला है, ये कानून उनके फायदे के लिए हैं।

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कानूनों के खिलाफ बीते छह महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। ये आंदोलन जून से नवंबर तक मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब में हो रहा था। सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने पर 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली की और कूच करने का ऐलान कर दिया। इसके बाद बीते 44 दिन से किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। टिकरी, गाजीपुर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर भी किसान जमा हैं। दिल्ली में किसानों के आने के बाद सरकार और किसान नेताओं के बीच अब तक सात दौर की बातचीत हो चुकी है। अभी तक बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है।

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English summary
farmers protest MoS Agriculture Kailash Choudhary and kisan neta statement ahead of 8th round of talks
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