किसान आंदोलन ने बढ़ाई बीजेपी की चिंता, 'जाट वोट बैंक' पर अब राजनीतिक दलों की नजर
नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले तीन महीनों से चल रहा किसान आंदोलन राजस्थान के कई जिलों में फैल गया है। कई जिलों में लगातार किसान महापंचायतें आयोजित की जा रही हैं। इस आंदोलन के सहारे राजनीतिक दल जाट समुदाय के बीच अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। जो राजस्थान में किसान वर्ग के बीच सबसे बड़ी आबादी है। इस आंदोलन ने राजस्थान, पश्चिमी यूपी और हरियाणा के राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं।
हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान से भी बड़ी संख्या में लोग इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। इन लोगों में एक बड़ा तबका जाट समाज का है। जो अभी तक बीजेपी को वोट देता आ रहा है। ऐसे में इस आंदोलन में जाटों की बड़ी संख्या में भागीदारी ने बीजेपी के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है। जाट समुदाय परंपरागत रूप से कांग्रेस पार्टी का वोट बैंक माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में ये समुदाय भाजपा के पक्ष में चला गया है। जिसने बीजेपी को चुनाव जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
2019 में, भाजपा और उसके सहयोगियों ने राजस्थान में सभी 25 लोकसभा सीटें जीती थीं। जिसमें शेखावटी क्षेत्र जैसे सीकर, झुंझुनू, चूरू जैसे क्षेत्र शामिल थे। नागौर को जाट राजनीति का गढ़ माना जाता रहा है। ऐसे में अब सत्तारूढ़ कांग्रेस और अन्य दल जैसे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जाटों के समर्थन में वृद्धि की उम्मीद कर रही हैं। वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रदेश अध्यक्ष जाट समुदाय से हैं। जिसे सबसे सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता है। का अनुमान है कि राज्य की आबादी का 15 प्रतिशत से अधिक, राजपूतों, गुर्जरों और मीणा जैसे अन्य समुदाय शामिल हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि, भाजपा ने जाट समुदाय का समर्थन खो दिया है, जो लगभग पूरी तरह से खेती पर निर्भर है। देश भर में किसान विरोध जेपी आंदोलन या अन्ना आंदोलन जैसा है। जिन्होंने पूर्व में सत्तारूढ़ सरकारों को हिलाकर रख दिया था। यहीं नहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी राजस्थान और यूपी में लगातार महापंचायतों में हिसा ले रहे हैं। राहुल की नागौर महापंचायत में एक लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे।
राजस्थान की 70 विधानसभा सीटों में जाट वोटों की संख्या 60,000 से 1 लाख के बीच है। जाट समुदाय 19 लोकसभा क्षेत्रों के साथ 120 सीटों को प्रभावित करता है। हालांकि बीजेपी ने इस बात को खारिज कर दिया कि कृषि कानून राजस्थान में जाटों वोट बैंक में सेंध लगाएगा।
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