पाक में छप रहे 2000 के जाली नोट, एक नोट की कीमत 400 से 600 रुपए , बांग्लादेश बॉर्डर से आ रहे भारत
खुफिया विभाग से जानकारी मिलने के बाद सीमावर्ती इलाकों से डेढ़ महीने में अब तक लगभग चार करोड़ रुपए की नकली करेंसी पकड़ी गई है।
नई दिल्ली। बीते साल 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके पीछे एक अहम वजह पाकिस्तान से आने वाली जाली करेंसी पर लगाम लगाना भी बताया था लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। पाकिस्तान में छापे जा रहे 2000 के नकली नोट बांग्लादेश बॉर्डर के जरिए भारत आ रहे हैं और अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहे हैं। पिछले कुछ समय ममें बीएसएफ ने कुछ लोगों को जाली करेंसी के साथ पकड़ा तो पाक से नए जाली करेंसी के भारत आने की बात साफ हुई।
इंडियन एक्सप्रेस ने इस पर खबर दी है कि किस तरह से नकली नोट भारत आ रहे हैं। ताजा मामला 8 फरवरी का है, 8 फरवरी को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 2000 के 40 नकली नोटों के साथ 26 साल के अजीजुर्रहमान को पकड़ा गया। उसने नोटों के पाक में छपने और आईएसईआई की मदद से इनके भारत तक आने की बात बताई। इस तरह के कई मामले पिछले डेढ़ से दो महीने में सामने आए हैं।
नए
नोटों
में
नहीं
है
कोई
अतिरिक्त
सुरक्षा
फीचर
नकली
नोटों
के
स्मगलर
जाली
नोट
को
400
से
600
रुपए
में
देते
हैं।
ये
दो
सौ
रुपए
का
फर्क
नोट
की
गुणवत्ता
की
वजह
से
होता
है।
जब्त
किए
नोटों
की
जांच
के
बाद
पाया
गया
है
कि
नए
नोट
में
जो
17
फीचर
सुरक्षा
के
लिए
दिए
गए
हैं,
उनमें
से
11
को
इन
पर
हूबहू
नकल
किया
गया
है।
इसमें
वाटरमार्क,
अशोक
स्तंभ
और
आरबीआई
के
गवर्नर
के
साइन
भी
शामिल
हैं।
हालांकि
जाली
नोटों
की
प्रिंटिंग
और
पेपर
की
गुणवत्ता
खराब
है।
एक
सीनियर
अधिकारी
का
कहना
है
कि
नोटबंदी
के
बाद
जाली
नोट
मिलने
का
पहला
मामला
दिसंबर
के
आखिरी
हफ्ते
में
आया।
उन्होंने
कहा
कि
तब
से
अब
तक
जाली
नोट
को
इतना
सुधार
लिया
गया
है
कि
आम
आदमी
के
लिए
इसे
पहचानना
मुश्किल
है।
नोटों
की
प्रिटिंग
से
जुड़े
सीनियर
अधिकारी
का
कहना
है
कि
नए
नोटों
में
पुराने
नोटों
के
मुकाबले
सुरक्षा
के
लिए
कोई
नया
फीचर
नहीं
दिया
गया
है
क्योंकि
ऐसा
करने
के
लिए
वक्त
चाहिए
होता
है
और
नए
नोटों
की
छपाई
के
लिए
वक्त
बहुत
कम
था।
खुफिया
विभाग
से
जानकारी
मिलने
के
बाद
सीमावर्ती
इलाकों
से
डेढ़
महीने
में
अब
तक
लगभग
चार
करोड़
रुपए
की
नकली
करेंसी
पकड़ी
गई
है।
पढ़ें-आरबीआई
गवर्नर
उर्जित
पटेल
की
अपील,
ब्याज
दरों
में
और
कमी
करें
बैंक