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थर्र-थर्र कांपते हैं कोयला माफ‍िया इस पर्यावरण मित्र से ...

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environment
नई दिल्ली। पर्यावरण से मित्रता बहुत कम लोगों की होती है। छत्तीसगढ़ में अंधाधुंध कोयला खनन से निपटने में ग्रामीणों की मदद करने वाले 60 वर्षीय रमेश अग्रवाल को पर्यावरण के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष पुरस्कार गोल्डमैन प्राइज के लिए चुना गया है।

इसे ग्रीन नोबेल के नाम से भी जाना जाता है। उनके अलावा अमेरिका, रूस, दक्षिण अफ्रीका, पेरू और इंडोनेशिया के पांच पर्यावरणविद् भी इस पुरस्कार से सम्मानित किए जाएंगे। अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को में एक भव्य समारोह में प्रत्येक विजेता को पौने दो लाख डॉलर की राशि दी जाएगी।

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गोल्डमैन एनवायरनमेंट फाउंडेशन की तरफ से सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि रमेश अग्रवाल का दफ्तर मात्र एक छोटा साथ इंटरनेट कैफे था। इसकी मदद से उन्होंने गांव वालों को जागरूक किया और विकास परियोजनाओं के बारे में जानकारी हासिल की।

वे छत्तीसगढ़ में कोयला खनन की बड़ी परियोजना को बंद कराने में कामयाब रहे। उनके काम की वजह से कई लोग उनके दुश्मन भी बने। कोयला खनन परियोजना रद होने के बाद कुछ लोगों ने हमला कर उनकी हड्डियां तोड़ डाली। गोलियां भी चलाई लेकिन वे बच गए। बावजूद इसके अग्रवाल अपने मिशन पर लगे रहे। आज उन्हें अपने प्रयासों के दम पर ऐसा सम्मान मिला जिस पर पीढ़‍ियां गर्व करेंगी।

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English summary
Environment-friend Ramesh Agrawal recognised by his hard labor for nature and it's parts.
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