मेघालय में चीनी नागरिकों की 4 और प्रॉपर्टी की पहचान, कुल संख्या हुई 131,देश में शत्रु संपत्तियों की कीमत जानिए
शत्रु संपत्ति: देश में चीनी नागरिकों से जुड़ी संपत्तियों की कुल संख्या 131 पहुंच गई है। मेघालय में चार और का पता चला है। बंगाल और महाराष्ट्र मे भी नई शत्रु संपत्तियों की पहचान हुआ है।
1962 की लड़ाई में जो चीनी नागरिक भारत में अपनी संपत्तियां छोड़ गए थे, उसका खुलासा अभी भी होना जारी है। मेघालय में चीनी नागरिकों की ऐसी चार और संपत्तियों का पता चला है। देश के अन्य राज्यों में भी ऐसे नए खुलासे हुए हैं। इस तरह से चीनी नागरिकों की देश में मौजूद कुल शत्रु संपत्तियों की संख्या बढ़कर 131 तक पहुंच चुकी है। हालांकि, शत्रु संपत्तियों के मामले में अभी पाकिस्तानियों की तादाद सबसे अधिक है। यूपी में तो रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में शत्रु संपत्तियों पर अवैध कब्जा भी किया गया है।
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देश में चीनी नागरिकों की शत्रु संपत्तियों की संख्या 131 पहुंची
भारत सरकार ने मेघालय में चार और ऐसी संपत्तियों की पहचान की है, जिसका स्वामित्व चीनी नागरिकों के पास है। इसके अलावा पश्चिमी बंगाल और महाराष्ट्र में भी चीनियों की एक-एक और संपत्तियों का पता चला है। अधिकारियों के मुताबिक इन्हें मिलाकर देश में चीनी नागरिकों के स्वामित्व वाली कुल 'शत्रु संपत्तियों' की संख्या बढ़कर 131 पहुंच गई है। अधिकारियों का कहना है कि ये वो संपत्तिया हैं, जो चीनी नागरिक 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान छोड़ गए थे, लेकिन इसको लेकर कानूनी लड़ाई जारी रही।
शत्रु संपत्तियों का कुल मूल्य 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान
देश में शत्रु संपत्तियों की देखभाल का जिम्मा कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रोपर्टीज फॉर इंडिया (CEPI) संभालता है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक इसके पास इस समय 9,406 शत्रु संपत्ति होने का अनुमान है। इनमें से अधिकतर संपत्तियां पाकिस्तानियों से जुड़ी हैं, जिनकी पहचान 1965 और 1971 की जंग के बाद की गई थी। देश से भागे पाकिस्तानियों और चीनी नागरिकों की संपत्ति की कुल अनुमानित मूल्य 1 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक आंकी जाती है। लेकिन, ऐसा मत सोचिए कि दुश्मन देश के नागरिकों की यहां पर सिर्फ अचल संपत्तियां हैं। उनके नाम अकूत चल संपत्तियां भी हैं, जिसमें शेयर, सोने और चांदी के जेवरात शामिल हैं।
शत्रुओं की चल संपत्तियां भी हैं देश में
गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रोपर्टीज फॉर इंडिया ने शत्रुओं की करीब 996 कंपनियों में लगभग 6.50 करोड़ ऐसे शेयरों को अटैच किया है। अधिकारियों ने ये भी जानकारी दी है कि 2022-23 में डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक ऐसेट मैनेजमेंट ने 24 लाख कीमत के शेयर बेचे, जबकि 2021 में 60 लाख रुपए मूल्य के शत्रुओं के सोने और चांदी बेचे थे।
चीनी नागरिकों की सबसे ज्यादा संपत्ति मेघालय में
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चीनी नागरिकों ने सबसे ज्यादा संपत्ति मेघालय में छोड़ रखी है, जिनकी संख्या 61 है, फिर पश्चिम बंगाल-52 और असम में यह संख्या 15 है। उन्होंने ऐसी ही एक-एक संपत्तियां दिल्ली, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी छोड़ रखी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'शत्रु संपत्तियों की पहचान एक निरंतर प्रक्रिया है और कई मामले जांच के दायरे और प्रक्रिया में हैं। ' बंगाल में चीनी नागरिकों से जुड़ी जो संपत्तियां हैं, उनमें से 14 चमड़ा उद्योग से जुड़े हुए हैं और उस इलाके में हैं, जो चाइना टाउन के नाम से चर्चित हैं। जबकि, मेघालय में चीनी नागरिकों की संपत्तियो में रेस्टोरेंट और जूते की दुकानें शामिल हैं। (ऊपर की तस्वीरें सांकेतिक)
बड़ी संख्या में अवैध कब्जे में हैं शत्रु संपत्तियां
1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया था तो CEPI से कहा गया था कि वह चीनी नागरिकों की संपत्तियों को कब्जे में ले। इन्हें डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स 1962 के तहत अपने अधिकार में लेना था। 1968 में एनेमी प्रॉपर्टी ऐक्ट ऐसी ही संपत्तियों के निपटारे के लिए लागू किया गया। 1977 और 2017 में इस कानून में संसोधन किया गया है। वैसे कई राज्यों में शत्रु संपत्तियों के अवैध कब्जे में होने की बात भी सामने आती रही है। पिछले साल ही एक रिपोर्ट आई थी कि उत्तर प्रदेश में 30% शत्रु संपत्तियां गैरकानूनी कब्जे में हैं। इनके खिलाफ अतिक्रमण हटाओ मुहिम शुरू करने की बात भी कही गई थी।