इंसेफिलाइटिस से बच्चों की मौत मामले में केंद्रीय मंत्री बोले, लीची खाने से हो रही मौत
नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार यानि इंसेफिलाइटिस से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जानकारी के अनुसार अबतक एक्यूट इंसेफिलाइटिस सिंड्रोम से 60 बच्चों की मौत हो चुकी है। लेकिन इस मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का कहना है कि बच्चों की मौत भूखे पेट लीची खाने से हो रही है। उन्होंने कहा कि इन मौतों के पीछे कई कारण हैं। जिसमे से एक कारण यह भी है कि खाली पेट बच्चे लीची खा लेते हैं, जिसकी वजह से उन्हें इंसेफिलाइटिस हो रहा है।
शुगर लेवल कम होता है
चौबे ने कहा कि लीची में जो बीच होता है, वह शुगर को कम करता है, जिसपर रिसर्च की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकार इंसेफिलाइटिस को लेकर पूरी तरह से अलर्ट है। मुजफ्फरपुर में मरीजों के लिए बेड, एंबुलेंस और आईसीयू की व्यवस्था की गई है। साथ ही जिस भी चीज की जरूरत होगी सरकार उसे मुहैया कराने के लिए तैयार है। 2014 में भी इंसेफिलाइटिस को कम करने के लिए सरकार ने काम किया था, जिसके बाद इसमे कमी देखने को मिली थी।
डॉक्टर का क्या कहना है
इससे पहले श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉक्टर एसके शाही ने बताया कि इस मामले की शोध की जरूरत है, लेकिन 90 फीसदी बच्चों की मौत हाइपोग्लीसेमिया की वजह से हुई है। प्राइवेट और सरकारी अस्पताल के अधिकतर वार्ड बच्चों से भरे हुए हैं, ये बच्चे अधिकतर ग्रामीण इलाकों के हैं। बता दें कि मुजफ्फरपुर में गर्मियों के मौसम में अधिकतर बच्चे जिनकी उम्र 15 वर्ष से कम है उन्हें दिमागी बुखार की शिकायत देखने को मिलते हैं।
लक्षण
बता दें कि दिमागी बुखार के तहत मरीज को बुखार आता है और उसकी मानसिक स्थिति में लगातार बदलाव देखने को मिलता है, वह भ्रम की अवस्था में रहता है, जुकाम की भी शिकायत देखने को मिलती है। जिस तरह से मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार के इतने मामले सामने आए हैं उसके बाद प्रशासन की मुश्किल बढ़ गई हैं। पिछले वर्ष दिमागी बुखार से मरने वाले मरीजों की तुलना करें तो यह बढ़ा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि ऐसा लगता है कि लोगों में इसको लेकर जागरुकता नहीं है कि आखिर कैसे इस बीमारी से लड़ा जाए।
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