मोदी सरकार के इस विधेयक का अकाली दल ने किया विरोध, बुलाई आपात बैठक
नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल में पार्टी की कोर कमेटी की आज दिल्ली में इमरजेंसी बैठक बुलाई है। बैठक में इंटर स्टेट रिवर वाटर विवाद (संशोधन) बिल2019 पर चर्चा की जाएगी। अकाली दल के प्रमुख ने कहा कि, कोर कमेटी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि विधेयक पंजाब के हितों के खिलाफ है। बता दें मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले संसद सत्र में लोकसभा में इस बिल को हाल ही में पास किया गया है। अब बीजेपी की सहयोगी पार्टी ने ही इस बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

इस मुद्दे पर रविवार को मीडिया से बात करते हुए सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि, पार्टी स्थिति की गंभीरता के बारे में कल पीएम और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को अवगत कराएगी। उनसे आग्रह करेगी कि वे अपने वर्तमान स्वरूप में बिल को राज्यसभा में पेश ना करें। पार्टी देश के किसी अन्य राज्य को पानी की एक भी बूंद की अनुमति नहीं देगी क्योंकि पंजाब के पास कोई अधिशेष पानी नहीं है। जिसके बाद अब इस बिल को लेकर नया पेंच फंस गया है।
Emergency meeting of Shiromani Akali Dal (SAD) Core Committee was called today in Delhi by Sukhbir S Badal, President SAD to discuss Inter State River Water Disputes (Amendment) Bill2019& Core Committee unanimously decided that Bill is against interests of ppl of Punjab(File pic) pic.twitter.com/HeYScYDmTV
— ANI (@ANI) August 4, 2019
बता दें कि, पिछले कुछ सालों में राज्यों के बीच नदी जल विवाद के काफी झगड़े देखने को मिले हैं। जिसके चलते मोदी सरकार की ओऱ से अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2019 को लोकसभा में पिछले हफ्ते पेश किया गया, हालांकि सरकार के इस विधेयक से राज्यों को डर सता रहा है कि इस तरह के विवादों से केंद्र का वर्चस्व बढ़ेगा। इस बिल के तहत अंतरराज्यीय नदी जल विवादों के न्यायिक निर्णय को और सरल तथा कारगर बनाने तथा अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम 1956 को संशोधित करने के लिए लाया जा रहा है।
इससे अलग-अलग राज्यों के नदी जल-विवाद के लिए अलग-अलग टिब्यूनल बनाने की व्यवस्था को खत्म किया जा सकेगा और एक ही समेकित और स्थायी टिब्यूनल के जरिये सभी संबद्ध पक्षों के मध्य सुलह की कोशिश होगी। इस स्थायी टिब्यूनल में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और अधिकतम छह सदस्य शामिल होंगे। अध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि को पांच वर्ष तय किया गया है। उपाध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि तथा अन्य सदस्यों का कार्यकाल जल विवादों के निर्णय के साथ सह-समाप्ति आधार पर होगा।
अधिकरण को तकनीकी सहायता देने के लिए आकलनकर्ताओं (केंद्रीय जल अभियांत्रिकी सेवा के विशेषज्ञ) की भी नियुक्ति की जाएगी। जल विवादों के निर्णय के लिए कुल समयावधि अधिकतम साढ़े चार बरस तय की गई है। अधिकरण की पीठ का निर्णय अंतिम होगा और संबंधित राज्यों पर बाध्यकारी होगा। वर्तमान में अंतरराज्यीय जल विवादों के लिए बनाए गए टिब्यूनलों में विवादों को निपटाने के लिए कोई तार्किक, एकरूप और सामान्य प्रक्रिया नहीं है।
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