कर्नाटक में कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए नहीं होगी बोर्ड परीक्षा, हाईकोर्ट ने रद्द किया सर्कुलर
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए बोर्ड-स्तरीय मूल्यांकन शुरू करने वाले शिक्षा विभाग के सर्कुलर को नियमों के खिलाफ बताते हुए रद्द कर दिया है। यह फैसला जस्टिस प्रदीप सिंह येरूर की सिंगल बेंच ने सुनाया है।
Karnataka School Examinations: कर्नाटक में पांचवी और आठवीं के छात्रों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए बोर्ड-स्तरीय मूल्यांकन शुरू करने वाले शिक्षा विभाग के सर्कुलर को रद्द कर दिया है। यह आदेश शुक्रवार को न्यायमूर्ति प्रदीप सिंह येरूर की सिंगल बेंच द्वारा पारित किया गया। यह आदेश राज्य के पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले छात्रों पर लागू होता है और प्रश्नपत्र कर्नाटक स्कूल परीक्षा और मूल्यांकन बोर्ड द्वारा डिजाइन किए जाने के लिए निर्धारित किए गए थे।
कोर्ट
ने
रद्द
किया
सर्कुलर
शिक्षा
विभाग
के
नोटिस
को
गैर
सहायता
प्राप्त
मान्यता
प्राप्त
स्कूलों
के
संगठन
और
पंजीकृत
गैर
सहायता
प्राप्त
निजी
स्कूलों
के
प्रबंधन
संघ
द्वारा
चुनौती
दी
गई
थी।
जस्टिस
प्रदीप
सिंह
येरुर
की
एकल
न्यायाधीश
पीठ
ने
12
दिसंबर,
2022,
13
दिसंबर,
2022
और
4
जनवरी,
2023
के
जन
निर्देश
आयुक्त
और
राज्य
शिक्षा
विभाग
द्वारा
जारी
किए
गए
सर्कुलरों
को
रद्द
कर
दिया
है।
हाई
कोर्ट
ने
कहा
कि
ये
सर्कुलर
शिक्षा
के
अधिकार
कानून
की
उस
मंशा
के
विपरीत
हैं
जिसके
तहत
ये
जारी
किए
गए
थे।
नियमों
की
जगह
नहीं
ले
सकते
सर्कुलर-
कोर्ट
कोर्ट
ने
कहा
कि,
विभाग
द्वारा
जारी
किए
गए
इस
तरह
के
सर्कुलर
केवल
अधिनियम
या
नियमों
का
पूरक
हो
सकते
हैं,
लेकिन
किसी
भी
परिस्थिति
में
नियमों
की
जगह
नहीं
ले
सकते।
ऐसी
स्थितियों
में
जब
ऐसे
सर्कुलर
नियमों
की
जगह
लेने
के
लिए
जारी
किए
जाते
हैं,
वो
नियमों
की
आड़
में
होते
हैं,
तो
निर्धारित
प्रक्रियाओं
और
प्रक्रिया
का
पालन
करना
होता
है।
अधिनियम
की
धारा
38
(4)
के
तहत
विचार
किया
गया।
राज्य
सरकार
ने
प्रक्रिया
का
पालन
नहीं
किया-
कोर्ट
सर्कुलर
को
खारिज
करते
हुए
उच्च
न्यायालय
के
न्यायाधीश
ने
अपने
फैसले
में
कहा
कि,
'परिस्थितियों
में
मुझे
याचिकाकर्ताओं
के
लिए
संबंधित
वकीलों
द्वारा
दिए
गए
तर्कों
में
सही
लगते
हैं,
क्योंकि
राज्य
सरकार
द्वारा
लागू
मूल्यांकन
और
मूल्यांकन
के
लिए
एक
नया
प्रारूप
धारा
16
के
विपरीत
है।।
इसलिए
रिट
याचिकाओं
की
अनुमति
है।
उच्च
न्यायालय
ने
पाया
कि
राज्य
सरकार
ने
प्रक्रिया
का
पालन
नहीं
किया
और
सर्कुलर
जारी
करने
से
पहले
इस
मुद्दे
को
राज्य
विधानसभाओं
के
समक्ष
रखा।
कोर्ट ने कहा कि, राज्य सरकार ने आरटीई अधिनियम के तहत कुछ मूल्यांकन और मूल्यांकन प्रक्रियाओं को निर्धारित करने के लिए विवादित परिपत्र जारी किया था। राज्य सरकार को नियम और विनियम बनाने और अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने का अधिकार है। इसे अधिनियम के तहत प्रक्रिया का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। अधिनियम की धारा 38 (4) में कहा गया है कि इस अधिनियम के तहत बनाए गए प्रत्येक नियम या अधिसूचना को राज्य विधानसभाओं के समक्ष रखे जाने के बाद बनाया जाएगा।
बता दें कि न्यायालय ने सरकारी वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि सरकार कोई नियम या अधिसूचना जारी नहीं कर रही थी, बल्कि राज्य पाठ्यक्रम स्कूलों वाले छात्रों के फायदे के लिए सिर्फ मूल्यांकन का तरीका तय कर रही थी। ऐसे में आरटीआई की धारा 38 लागू नहीं होती है। न्यायालय के अनुसार बोर्ड मूल्यांकन से स्कूली गतिविधियों में बाहरी एजेंसी का दखल होता है।
ये भी पढ़ें- 'बिना सहमति 5 साल तक नहीं हो सकता संबंध', कर्नाटक HC ने खारिज किया रेप का आरोप
न्यायाधीश
ने
कहा
कि,
तर्कों
को
विवादित
सर्कुलर
के
आधार
पर
स्वीकार
नहीं
किया
जा
सकता
है।
शैक्षणिक
वर्ष
2022-23
के
लिए
20
अंकों
का
पुरस्कार
देना,
जिसका
मूल्यांकन
बोर्ड
द्वारा
किया
जाएगा।
दरअसल
कोर्ट
के
अनुसार,
5
वीं
और
8
वीं
कक्षा
के
छात्रों
को
20
अंक
देने
के
लिए
बाहरी
एजेंसी
दखल
में
आ
रही
हैं।
हालांकि,
कोर्ट
ने
सर्कुलर
के
पीछे
की
मंशा
की
सराहना
की।
न्यायाधीश
ने
कहा
कि,
राज्य
सरकार
के
आदेश
की
मंशा
प्रशंसनीय
है
जिसमें
यह
मूल्यांकन
और
मूल्यांकन
के
लिए
और
उपचारात्मक
कार्रवाई
के
लिए
तंत्र
पर
नियंत्रण
और
संतुलन
रखने
का
प्रयास
कर
रहा
है।
पीठ
ने
कहा,
लेकिन
जिस
तरीके
से
इसे
लागू
करने
की
कोशिश
की
गई,
वह
अनुचित
पाया
गया।'