Doctor Day 2019: 1 जुलाई को क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे?
नई दिल्ली। आज Doctor's Day यानि चिकित्सक दिवस है। ये दिन चिकित्सा के क्षेत्र में दिन रात काम कर लोगों को जीवन देने वालों के लिए समर्पित है। लोगों को डॉक्टरों पर न सिर्फ भरोसा होता है बल्कि कई बार उन्हें डॉक्टरों में भगवान का रूप दिखा पड़ता है। खासकर तब जब उनका कोई परिजन जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा हो। यह दिन हमारे समाज द्वारा डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त करने और डॉक्टरों के समर्पण और प्रतिबद्धता को स्वीकार करने के लिए मनाया जाता है। डॉक्टर्स डे का उत्सव हमारे जीवन में डॉक्टरों के मूल्य पर जोर देने और उन्हें सबसे महान प्रतिनिधियों में से एक बताकर सम्मान की पेशकश करने का एक प्रयास है।
1 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे?
भारत में डॉक्टर दिवस की घोषणा भारत सरकार द्वारा 1991 में की गई थी, जिसे हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टरों दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह 1 जुलाई को भारत के सबसे प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय (डॉ. बी.सी. रॉय) के जन्म और पुण्यतिथि पर मनाया जाता है। डॉ रॉय का जन्म 1 जुलाई, 1882 को हुआ था और 80 साल बाद उसी तारीख को उनकी मृत्यु भी हो गई। उन्हें 1961 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बाद में वह कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में एक शिक्षण कर्मचारी के रूप में शामिल हो गए और बाद में वे कैंपबेल मेडिकल स्कूल और फिर कारमाइकल मेडिकल कॉलेज में चले गए। वह एक बहुत प्रसिद्ध चिकित्सक और प्रसिद्ध शिक्षाविद् होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे, क्योंकि वे सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी से जुड़े थे। बाद में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेता और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने।
चिकित्सक दिवस से जुड़े दिलचस्प तथ्य
डॉक्टर्स डे अलग-अलग देशों में अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है। अमेरिका यह में 30 मार्च को मनाया जाता है जबकि ईरान में इसे 23 अगस्त को मनाया जाता है। डॉक्टर दिवस को भी लाल रंग से दर्शाया जाता है क्योंकि ये प्रेम, दान, बलिदान, वीरता और साहस का प्रतीक है। ये सब चिकित्सा पेशे का पर्याय है। कई देशों में इस दिन सरकारी छुट्टी भी रहती है। ब्राजील में 18 अक्टूबर को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।
1933 में पहली बार मनाया गया डॉक्टर्स डे
अमेरिका के जॉर्जिया के विंडर में सबसे पहले 30 मार्च 1933 को डॉक्टर्स डे मनाया था। इस पहले चिकित्सकों और उनकी पत्नियों को कार्ड भेजे जाते थे और मृत डॉक्टरों की कब्रों पर फूल चढ़ाए जाते थे।
यह भी पढ़ें- दिल्ली में डॉक्टरों के साथ मारपीट, सोमवार को हड़ताल का किया ऐलान