क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ बोलकर क्या राहुल गांधी ने फिर कांग्रेस का नुकसान किया?

दिल्ली में एक चुनावी सभा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक बयान दिया जिस पर सत्ताधारी बीजेपी उन्हें लगातार घेर रही है. राहुल गांधी के बयान के अगले ही दिन प्रधानमंत्री को सदन में जवाब देना था और मोदी ने अपने भाषण में इस मौके को बख़ूबी भुनाया. प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना ही निशाना साधा और अपनी बात कह गए.

By ब्रजेश मिश्र
Google Oneindia News
राहुल गांधी
Getty Images
राहुल गांधी

दिल्ली में एक चुनावी सभा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक बयान दिया जिस पर सत्ताधारी बीजेपी उन्हें लगातार घेर रही है. राहुल गांधी के बयान के अगले ही दिन प्रधानमंत्री को सदन में जवाब देना था और मोदी ने अपने भाषण में इस मौके को बख़ूबी भुनाया.

प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना ही निशाना साधा और अपनी बात कह गए.

दरअसल, राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा था, ''छह महीने बाद भारत के युवा रोज़गार को लेकर मोदी को डंडे से मारेंगे.''

इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने सदन में कहा कि कांग्रेस के एक नेता कह रहे हैं कि "छह महीने में लोग मुझे डंडे मारेंगे. अच्छा हुआ, पहले बता दिया. मैं तैयारी कर लूँगा. सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ा दूंगा. लोग मुझे ऐसी-ऐसी गालियां दे रहे हैं कि मैं गाली-प्रूफ़ हो गया हूँ."

राहुल गांधी के बयान को लेकर शुक्रवार को सदन में काफ़ी हंगामा हुआ. केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने ट्वीट कर कहा, ''पीएम मोदी जी पर अपमानजनक टिप्पणी के लिए राहुल गांधी जी को देश से माफ़ी मांगनी चाहिए. प्रश्न काल के दौरान राहुल जी के सवाल का जवाब देने से पहले मेरे लिए यह ज़रूरी था कि मैं उनसे उनकी करनी के लिए पश्चाताप करने का आग्रह करूं.''

क्या चुनावी माहौल के बीच राहुल गांधी का बयान कांग्रेस पार्टी और ख़ुद उनकी छवि को नुकसान पहुंचाएगा?

नरेंद्र मोदी
LOK SABHA TV
नरेंद्र मोदी

भाषा पर उठ रहे सवाल

इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह का मानना है कि सार्वजनिक जीवन में जो भी लोग हैं ख़ासकर बड़े पदों पर उन्हें भाषा की मर्यादा का ख़याल रखना चाहिए.

प्रदीप सिंह कहते हैं, ''नरेंद्र मोदी देश के चुने हुए प्रधानमंत्री हैं एक संवैधानिक पद पर हैं. राहुल गांधी से उम्र भी बड़े हैं और तजुर्बे में भी बड़े हैं. इसलिए उनके बारे में इस तरह बोलना, यह भाषा हमारे समाज में लोग पसंद नहीं करते. चाहे अमीर हो या ग़रीब हो, अगर उम्र में या ओहदे में बड़ा है तो उससे इसके लिए ऐसी भाषा लोग पसंद नहीं करते.''

उन्होंने कहा, ''राहुल गांधी ने जो बात कही, उनकी भाषा सोशल मीडिया के ट्रोल्स जैसी है. ये किसी ऐसी पार्टी के नेता की भाषा नहीं हो सकती जो देश की आज़ादी के आंदोलन की वारिस रही हो, इस समय देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी हो, जो अपनी पार्टी का अध्यक्ष रह चुका हो.''

कांग्रेस की राजनीति को करीब से देखने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार जतिन गांधी भी मानते हैं कि राहुल गांधी ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया वह सही नहीं है.

जतिन गांधी कहते हैं, ''प्रधानमंत्री के पद पर बैठे एक व्यक्ति के बारे में ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना अच्छा नहीं है. कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है और राहुल गांधी इस पार्टी के अध्यक्ष भी रहे हैं, वो जिस ओहदे पर हैं उस पर ये भाषा शोभा नहीं देती.''

जतिन गांधी के मुताबिक़,जिस वक़्त किसी राज्य में चुनाव चल रहे हैं, संसद सत्र चल रहा है और अगले दिन प्रधानमंत्री जवाब देने वाले हैं तो राहुल गांधी को बोलने से पहले सोचना चाहिए था. क्योंकि वो कभी ऐसे मौके नहीं छोड़ते. वो पूरी तरह उसका राजनीतिक फ़ायदा उठाते हैं. लेकिन जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हुए नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी की चुटकी ली, सदन में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है वो चिंताजनक है.

जतिन गांधी के अनुसार, ''दिल्ली के चुनावों का इससे कोई लेना-देना नहीं है लेकिन बिहार के चुनावों पर इसका पूरा असर पड़ेगा और बीजेपी इस बयान को कांग्रेस के ख़िलाफ़ ज़रूर भुनाएगी.''

सोनिया गांधी और राहुल गांधी
Getty Images
सोनिया गांधी और राहुल गांधी

कांग्रेस नेताओं ने पहले भी की है ये ग़लती

जतिन गांधी यह भी कहते हैं, ''बीजेपी बहुत मुस्तैद इलेक्शन मशीन है और उसके टॉप लीडर नरेंद्र मोदी हैं. नरेंद्र मोदी पर जब भी निजी हमला हुआ है तो वो पलटवार करते हैं और फिर उसका असर शुरू होता है. फिर वो हर दर्जे के नेताओं तक बात जाती है और मंत्री से लेकर स्थानीय नेता और बीजेपी आईटी सेल तक इस भुनाने में जुट जाती है. यह एक रणनीति है जो काम कर रही है.''

ऐसा पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी या कांग्रेस के किसी नेता ने नरेंद्र मोदी को लेकर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया हो या निजी हमला किया हो. इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और मणिशंकर अय्यर से लेकर कई अन्य नेता भी पीएम मोदी के ख़िलाफ़ ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर चुके हैं और कांग्रेस को इसका नुकसान भी झेलना पड़ा है.

प्रदीप सिंह कहते हैं, ''राहुल गांधी को चाहिए था और अब भी वो ऐसा कर सकते हैं. उन्हें अरविंद केजरीवाल से सबक लेना चाहिए था. केजरीवाल लगातार प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ निज़ी हमले बोलते रहते थे उनको साइकोपैथ और कायर क्या-क्या नहीं बोला लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद उनको समझ आ गया कि व्यक्तिगत हमला करने पर फ़ायदा मोदी को ही मिलता है, बीजेपी को मिलता है.

इसीलिए 23 मई 2019 के बाद केजरीवाल का कोई भी व्यक्तिगत बयान नरेंद्र मोदी के बारे में नहीं होगा. अभी फ़वाद हुसैन ने बयान दिया उस पर उन्होंने ख़ुद कहा कि वो हमारे भी प्रधानमंत्री हैं और आप बीच में ना पड़िए. इस तरह की गरिमा की अपेक्षा उन सभी से होती है जो भी सार्वजनिक जीवन और बड़े पद पर हैं.''

वो यह भी कहते हैं कि राहुल गांधी एक खीझे हुए नेता की तरह, पराजित मानसिकता वाले नेता की तरह लगातार बयान दे रहे हैं. उनसे अपेक्षा है कि वो एक बड़ी लकीर खीचने की कोशिश करें. बीजेपी की जो नीतियां उनको नापसंद हैं, उनके मुकाबले वो अपनी एक राष्ट्रीय विजन तय करें कि हम इसके लिए हैं और बीजेपी इसके लिए है.

प्रदीप सिंह के मुताबिक़, "हम जिस स्टैंड पर हैं वो कैसे बेहतर है, क्यों देश के लिए अच्छा है. लेकिन अगर वो व्यक्तिगत आक्षेप करेंगे और इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करेंगे तो उसका फ़ायदा कांग्रेस नहीं बीजेपी को ही होगा.''

जामिया की घटना पर क्या बोले अमित शाह

एनपीआर पर संसद में क्या बोले पीएम मोदी

राहुल गांधी प्रियंका गांधी
Getty Images
राहुल गांधी प्रियंका गांधी

राहुल गांधी सबक क्यों नहीं लेते?

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के माहौल के बीच इस तरह के बयान का कांग्रेस पर कैसा असर पड़ेगा और क्या बीजेपी आने वाले वक़्त में भी इस बयान को अपने पक्ष में भुना पाएगी? यह सवाल भी बेहद अहम है.

साल 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया और कोशिश की कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल पाए लेकिन नाकाम रही. कांग्रेस का ये नारा उस वक़्त दब गया जब बीजेपी ने 'मैं भी चौकीदार' का नारा बुलंद कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव की अमूमन हर रैली में खुद को देश का चौकीदार बताया. इसका असर ये रहा कि बीजेपी का 'मैं भी चौकीदार' कैंपेन सफल रहा.

क्या राहुल गांधी और कांग्रेस ने इस कैंपेन से सबक नहीं लिया? राहुल गांधी के अलावा भी कांग्रेस के दूसरे नेता जिस तरह के बयान देते रहे हैं क्या पार्टी लाइन उन्हें रोकने में नाकाम है?

इस सवाल पर जतिन गांधी कहते हैं कि कांग्रेस की ओर से जिस तरह की बातें होती हैं और कांग्रेस अगर राहुल गांधी को अपना नेता मानती है तो यह नेता की ग़लती है. राहुल गांधी को रीलॉन्च करने की तैयारी चल रही है लेकिन वो ख़ुद इसके लिए तैयार नहीं लगते. जयपुर में उन्होंने रैली की लेकिन उनके भाषण से लगा नहीं कि उनकी तैयारी पक्की है.

वो कहते हैं, ''राहुल गांधी जितनी बार अपने भाषण में नरेंद्र मोदी का नाम लेते हैं इससे बीजेपी और मोदी दोनों को ज़्यादा मजबूती मिलती है. आप देखिए कि नरेंद्र मोदी कभी अपने भाषणों में राहुल गांधी का नाम नहीं लेते वो शाहजादा कहते हैं या कुछ और नाम लेते हैं. शाहजादा कहकर वो यह जताते हैं कि राहुल गांधी उन लोगों जैसे ही हैं जिन्होंने भारत में घुसकर राज किया.''

नरेंद्र मोदी
Getty Images
नरेंद्र मोदी

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह भी इस बात से सहमत नज़र आते हैं कि राहुल गांधी अपना और पार्टी दोनों का नुकसान कह रहे हैं. वो कहते हैं, ''ऐसी भाषा के इस्तेमाल का राहुल गांधी और मोदी, दोनों की छवि पर असर ज़रूर पड़ेगा. राहुल गांधी पर नकारात्मक और सकारात्मक.''

उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि बीजेपी को इस बयान को लेकर कांग्रेस के ख़िलाफ़ कुछ करने की ज़रूरत नहीं है. मोदी ने संसद में इसका जवाब दिया और कोकराझार में भी कह दिया. लेकिन सवाल राहुल गांधी का कद लगातार गिरता जा रहा है. अब वो पार्टी अध्यक्ष भी नहीं हैं, पार्टी में भी उनको लेकर तरह तरह की बातें हो रही हैं, ऐसे में जो पहले से गिरा हुआ है उसे और गिराने का कोई फायदा नहीं है.''

शुक्रवार को नरेंद्र मोदी ने असम के कोकराझार में एक रैली की. नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच नरेंद्र मोदी पहली बार असम गए. पीएम मोदी इसके पहले दो बार असम दौरा रद्द कर चुके थे.

कोकराझार में मोदी ने कहा, "कभी-कभी लोग मुझे डंडा मारने की बातें करते हैं लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माता-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो उस पर कितने भी डंडे गिर जाएं, उसे कुछ नहीं हो सकता."

हालांकि जब भी बीजेपी की ओर से कांग्रेस पर निजी हमले हुए पार्टी उन्हें भुनाने में नाकाम दिखी.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की इटली की नागरिकता को लेकर सवाल उठे थे और काफ़ी दिनों तक इस पर बहस छिड़ी रही. राहुल गांधी को पप्पू कहा गया, उन पर जोक बने, मीम बने और उन्हें बहुत शेयर किया गया. फिर पीएम मोदी ने अभी संसद में उन्हें ट्यूबलाइट कहा. हालांकि उन्होंने उनका नाम नहीं लिया.

शाहीन बाग़ हो या जामिया, गोली चलाने वाले आते कहां से हैं?

गुंजा कपूर कभी पीएम मोदी पर शर्मिंदा थीं?

LSTV

बीजेपी का फ़ायदा कैसे हो रहा है?

प्रदीप सिंह कहते हैं, ''मोदी अपनी बात कह देते हैं लेकिन राहुल गांधी का नाम नहीं लेते. वो शाहजादा नहीं कहते तो यह कह देते हैं कि कांग्रेस के एक नेता या एक ख़ास परिवार के लोग... एक तरह से वो चुस्की लेते हैं. उनका रवैया बिल्कुल अलग है. राहुल गांधी सीधे तौर पर मोदी को धुरविरोधी घोषित करते हैं लेकिन मोदी के समर्थकों के बीच ये बातें उलटी साबित होती हैं और इससे बीजेपी को ही मजबूती मिलती है.''

वहीं, जतिन गांधी भी मानते हैं कि कांग्रेस नेता ख़ुद बीजेपी को ऐसे मौके देते रहे हैं जिनका भरपूर फ़ायदा नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के दूसरे नेता चुनावों में उठाते हैं.

उन्होंने कहा, ''चाहे सोनिया गांधी का मौत का सौदागर वाला बयान हो या मणिशंकर अय्यर के तमाम बयान जिनमें उन्होंने मोदी के लिए ग़लत भाषा का इस्तेमाल किया, ये बातें कांग्रेस पर ही उलटी पड़ रही हैं. मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और वो राहुल गांधी से उम्र में भी बड़े हैं. ऐसे में राहुल गांधी जितनी बार मोदी पर सीधा प्रहार करेंगे इससे उन्हीं का नुकसान है, मोदी मजबूत होंगे.''

कांग्रेस पार्टी लगातार नुकसान झेल रही है, पार्टी के नेताओं ने ऐसे मौके दिए जिनसे बीजेपी को लाभ हो लेकिन फिर भी इससे सबक क्यों नहीं लिया गया?

इस सवाल पर प्रदीप सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी जो कर रहे हैं उसमें उनकी भी गलती है और पार्टी की भी. आदमी या तो लोगों के समझाने पर ख़ुद को सुधारता है या अपने निजी अनुभवों से लेकिन राहुल गांधी दोनों तरह से सुधरने को तैयार नहीं हैं. उनको देखना चाहिए था कि चौकीदार चोर है का इतना लंबा कैंपेन उन्होंने चलाया और उसका नतीजा क्या हुआ. उन्होंने न तो इससे सबक लिया और न ही उनकी पार्टी में किसी में इतना साहस है कि वो राहुल गांधी को सुझाव दे सकें कि आप जो कर रहे हैं वो ग़लत कर रहे हैं, इसलिए उनको लगता है कि मैं जो बोल रहा हूं वो ठीक बोल रहा हूं.

सोनिया गांधी
Getty Images
सोनिया गांधी

कांग्रेस का जो हाल है और बीते लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार को देखते हुए कांग्रेस के पास क्या विकल्प हैं जिससे वो बीजेपी को टक्कर दे पाए?

इस सवाल पर जतिन गांधी कहते हैं कि कांग्रेस को अगर बीजेपी और मोदी को टक्कर देनी है तो पहले उन्हें राज्य स्तर पर ख़ुद को मजबूत करना होगा. कांग्रेस 10 साल लगातार सत्ता में रही तो उसकी ताक़त राज्य स्तर से ही थी. उनके पास तब ऐसे नेता थे जो राज्य स्तर पर पार्टी का चेहरा थे और अपने दम पर राज्य में सरकार बनाने की क्षमता रखते थे लेकिन कांग्रेस धीरे-धीरे बिखर गई.

वो मानते हैं कि मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए जो काम किया और एक छवि बनाई जिससे गुजरात मॉडल लगातार चर्चा में आता रहा और उसका फायदा उन्हें मिला. लेकिन राहुल गांधी के पास ऐसी कोई उपलब्धि भी नहीं है और न ही अनुभव है. वो हमेशा जिम्मेदारियों से बचते रहे हैं इसलिए मोदी को टक्कर दे पाना उनके लिए मुश्किल है. ख़ासकर तब जब वो इस तरह की बातें करेंगे, विवेक का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो पार्टी का नुकसान ही होगा.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Did Rahul Gandhi harm Congress again by speaking against Narendra Modi?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X