लोकसभा चुनाव 2019: धार में है धारदार मुकाबला
नई दिल्ली। इंदौर से सटी हुई धार-महू लोकसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है, लेकिन हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहं से कड़ी टक्कर मिली थी। इसी क्षेत्र से कांग्रेस ने जीतने वाले विधायक को मंत्री भी बनाया और वे मंत्री लोकसभा चुनाव में अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं। वोटों का ध्रुवीकरण इस संसदीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, क्योंकि धार की भोजशाला बरसों से तनाव का कारण रही है। भोजशाला विवाद ने इस क्षेत्र के लोकसभा और विधानसभा चुनावों को प्रभावित किया है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही जबरदस्त टक्कर है
इंदौर से सटी हुई धार अजजा सुरक्षित सीट है, जहां से इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही जबरदस्त टक्कर है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में यहां कोई एक पार्टी नहीं जीती। 1962 से धार भारतीय जनसंघ का गढ़ रहा है। जनसंघ के उम्मीदवार भारत सिंह 1962 में चुनाव जीते थे। 1967 में वे भारतीय लोकदल में चले गए और वहां से चुनाव लड़कर जीते। भारत सिंह के बाद कोई एक पार्टी लगातार दो बार धार में नहीं जीती। भाजपा ने धार में वर्तमान सांसद को टिकट न देकर छतरसिंह दरबार को प्रत्याशी बनाया है, जो पहले भी यहां से चुनाव जीत चुके है। भाजपा प्रत्याशी छतरसिंह दरबार सावित्री ठाकुर की तुलना में कम जाने-पहचाने शख़्स हैं। सावित्री ठाकुर ने जिले की कई तहसीलों में लंबा कार्य किया है। संगठन में भी वे बहुत सक्रिय रही हैं, उनकी तुलना में छतरसिंह दरबार कमजोर ही कहे जा सकते हैं। छतरसिंह दरबार आदिवासियों के भिलाला समाज के है, जिनके वोटों का बड़ा प्रतिशत धार में है। पिछले परिसीमन में धार में इंदौर जिले का महू भी शामिल हो गया। यहां अब लोकसभा चुनाव की हार-जीत भी बहुत बड़े अंतर से नहीं होती। 1984 में कांग्रेस के प्रताप सिंह बघेल यहां से 2 लाख 64 हजार से भी ज्यादा वोटों से जीते थे। उसके बाद कांग्रेस ने सूरज भानुसिंह सोलंकी को टिकट दिया और वे जीते।
धार में स्थानीय राजनीति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है
अजजा सुरक्षित सीट धार में स्थानीय राजनीति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस क्षेत्र के शिवभानी सिंह सोलंकी मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिनके बेटे सूरज सिंह सोलंकी भी चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा तो छतरसिंह दरबार की पत्नी हेमलता पर भी दांव आजमा चुकी है, लेकिन छतरसिंह दरबार की पत्नी हेमलता चुनाव में जीत नहीं सकी। वर्तमान सांसद सावित्री ठाकुर छतरसिंह दरबार की तुलना में काफी युवा हैं और उन्हें पांच साल जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का अनुभव है। अपने संसदीय क्षेत्र में उनके संपर्क जीवंत है। इन्हीं संपर्कों की बदौलत पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के उमंग सिंघार को एक लाख से अधिक वोटों से हराया था। उमंग सिंघार वर्तमान में कमलनाथ सरकार में मंत्री है। धार लोकसभा क्षेत्र की लगभग 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है। इसलिए यहां उम्मीदवारों को बहुत मेहनत करनी होती है। आदिवासी इलाकों में दूर-दूर बसे छोटे गांवों में बेल गाड़ी या दो पहिया वाहनों से भी पहुंचा जा सकता है। ऐतिहासिक मांडव बाघ की गुफाएं और भोजशाला इसी संसदीय क्षेत्र में है। परमार राजवंश के राजा भोज ने धार शहर की स्थापना की थी। इतने ऐतिहासिक महत्व के स्थान होने के बाद भी धार में पर्यटकों की आवाजाही उतनी नहीं है।
दोनों पार्टियों के लिए चिंता का कारण एक है
राहुल गांधी धार में आम सभा कर चुके है। अमित शाह 15 मई को मनावर में आमसभा करेंगे। धार से लगी हुई रतलाम-झाबुआ सीट पर भी अमित शाह की निगाहें है और वे आलीराजपुर में भी आमसभा करने जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल में मतदान होने के बाद अब मालवा-निमाड़ की इन सीटों में प्रचार कार्य करेंगे। उन्होंने भी 15 और 16 तारीख धार और उससे लगे हुए क्षेत्रों के लिए सुरक्षित रख ली है। धार और झाबुआ अजजा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही चिंता का एक कारण जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) की सक्रियता भी है। जयस के नेताओं ने पिछले दिनों अचानक सक्रिय होकर त्रिकोणीय संघर्ष का ऐलान किया था, लेकिन उन्हें मिल रहे समर्थन में भारी कमजोरी नजर आ रही है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में जिस तरह का समर्थन आदिवासी समाज ने दिखाया था, वैसा समर्थन लोकसभा में नहीं है। जयस की ओर से महेन्द्र कन्नौज ने अपना नामांकन पत्र भरा था, लेकिन आपसी झगड़ों के बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। अब जयस के नेता वापस मिल-जुलकर चुनाव के मैदान में है। धार लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस का पूरा ध्यान धार और महू विधानसभा क्षेत्रों में है, जबकि भाजपा कुक्षी, सरदारपुर और गंधवानी क्षेत्र में अपना जोर लगा रही है। भाजपा के लिए धार लोकसभा सीट जीतना इसलिए चुनौतीपूर्ण लग रहा है की भले ही वर्तमान में वहां से भाजपा की सांसद हों, जो एक लाख वोटों से जीती हों, लेकिन दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में धार-महू लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को भाजपा से 2 लाख वोट ज्यादा मिले थे। इसी भरोसे कांग्रेस को धार-महू लोकसभा सीट जितने की आशा है।
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