पहली बार भारतीय सेना के दस्ते में शामिल होंगे देसी नस्ल के कुत्ते, जबरदस्त ट्रेनिंग के बाद होगी तैनाती
नई दिल्ली। भारतीय सेना पहली बार देसी कुत्तों को अपने दस्ते में शामिल करने जा रही है। लंबे समय से विदेशी नस्ल के कुत्तों को ट्रेन करके सेना उनका इस्तेमाल अपने कई अभियान में करती रही है, लेकिन पहली बार सेना जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर, ग्रेटि स्विर माउंटेन कुत्तों की जगह देसी कुत्तों का इस्तेमाल करेगी। सूत्रों की मानें तो मेरठ स्थित सेना के रीमाउंट एंड वेटेनरी कोर्प्स सेंटर ने इस बाबत प्रक्रिया पूरी कर ली है और छह देसी कुत्तों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू हो गया है। ये देसी कुत्ते मुधोल हाउंड्स नस्ल के हैं और उन्हे जल्द ही सेना इस वर्ष के अंत तक अपने दस्ते में शामिल करे लेगी, जिनका इस्तेमाल जम्मू कश्मीर में तैनात सेना करेगी।
कर्नाटक से लाए गए ये कुत्ते
इन देसी कुत्तों को आरवीसी सेंटर पिछले वर्ष भेजा गया था, इन सभी कुत्तों को कर्नाटक से ट्रेनिंग के लिए मेरठ भेजा गया था, जिसके बाद से इनकी ट्रेनिंग चल रही थी। आरवीसी सेंटर में तैनात सेना के एक अधिकारी ने बताया कि यह अपने आप में एक अच्छा कदम है क्योंकि हमे इस बात की पहले से कोई जानकारी नहीं थी कि इन देसी कुत्तों को कैसे ट्रेन किया जाए। शुरुआत में कुत्तों को अस्पताल के एक अलग कमरे में रखा गया ताकि इनकी जांच की जा सके कि इन्हे कोई बीमारी तो नहीं है। इसके बाद इनकी शुरुआती ट्रेनिंग शुरू की गई ताकि ये निर्देशों का पालन कर सके। इस ट्रेनिंग के बाद इनका टीकाकरण किया गया और खास ट्रेनिंग दी गई है।
जबरदस्त ट्रेनिंग दी गई
इन देसी कुत्तों की ट्रेनिंग का खास हिस्सा यह है कि उन्हें ट्रेनर के साथ बेहतर कनेक्ट करने की ट्रेनिंग दी गई है, ताकि उनके व्यवहार को समझा जा सके। वहीं जब आरवीसी में तैनात अधिकारी से यह पूछा गया कि क्या और भी अलग नस्ल के देसी कुत्तों को इसमे शामिल किया जाएगा तो उन्होंने बताया कि अभी इस बात का फैसला नहीं लिया गया है क्योंकि इन कुत्तों को शामिल करने से पहले काफी वैज्ञानिक शोध किया गया है। ऐसे में यह फैसला अचानक से नहीं लिया जा सकता है।
और नस्ल पर हो सकता है विचार
आपको बता दें कि मुढोल हाउंड जानी पहचानी देसी कुत्ते की नस्ल है, वह काफी तेजी से दौड़ सकता है और हर वक्त एक्टिव रहता है। हालांकि अभी यह पहला परीक्षण है, लिहाजा अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि देसी कुत्तों को सेना में आगे शामिल किया जाएगा या नहीं। यह आने वाले समय पर निर्भर करेगा कि इन कुत्तों के साथ सेना का कैसा अनुभव रहता है।