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दारुल उलूम देवबंद का फतवा, कहा- बैंक कर्मियों के घरों में ना करें शादी

इस्लाम के मुताबिक, धन का अपना कोई स्वाभाविक मूल्य नहीं होता, इसलिए उसे लाभ के लिए रहन पर दिया या लिया नहीं जा सकता

By Vikashraj Tiwari
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नई दिल्ली। देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अपने एक फतवे में बैंक की नौकरी से चलनेवाले घरों से शादी का रिश्ता जोड़ने से परहेज करने को कहा है। दारुल उलूम के फतवा विभाग दारल इफ्ता ने यह फतवा एक व्यक्ति द्वारा पूछे गये सवाल पर दिया है। इस फतवे में मुस्लिमों से कहा गया है कि वह ऐसे परिवारों से दूर रहें जो बैंकिंग सेक्टर में नौकरी से रुपए कमा रहे हैं। ऐसे रुपए हराम हैं। ऐसे परिवार में शादी न करने की बात भी फतवे में कही गई है।

'ऐसे परिवार में शादी नहीं करनी चाहिए जो हराम की कमाई कर रहे हों'

'ऐसे परिवार में शादी नहीं करनी चाहिए जो हराम की कमाई कर रहे हों'

दारुल उलूम ने यह फरमान एक व्यक्ति द्वारा पूछे गए सवाल पर जारी किया है। इसमें उस व्यक्ति ने पूछा था कि भारत से उसकी शादी के लिए कई ऐसे प्रस्ताव आ रहे हैं जिनके पिता बैंक में नौकरी करते हैं। बैंकिंग तंत्र पूरी तरह से ब्याज पर आधारित है, जो इस्लाम में हराम है। क्या ऐसे परिवार में शादी की जा सकती है? यह सवाल दारुल उलूम के फतवा सेक्शन में भेजा गया है। इस सवाल के जवाब में फरमान जारी किया गया कि इस तरह के परिवार में शादी नहीं करनी चाहिए जो हराम की कमाई कर रहे हों। इसके विपरीत किसी नेक घर में रिश्ता तलाशना चाहिए।

इस्लामी बैंक ब्याजमुक्त बैंकिंग के सिद्धांतों पर काम करते हैं

इस्लामी बैंक ब्याजमुक्त बैंकिंग के सिद्धांतों पर काम करते हैं

इस्लाम के मुताबिक, धन का अपना कोई स्वाभाविक मूल्य नहीं होता, इसलिए उसे लाभ के लिए रहन पर दिया या लिया नहीं जा सकता। इसका केवल शरीयत के हिसाब से ही इस्तेमाल किया जा सकता है। दुनिया के कुछ देशों में इस्लामी बैंक ब्याजमुक्त बैंकिंग के सिद्धांतों पर काम करते हैं।

इस्लाम में रुपए से आने वाले ब्याज रीबा कहलाता है

इस्लाम में रुपए से आने वाले ब्याज रीबा कहलाता है

दरअसल, इस्लाम में रुपए से आने वाले ब्याज रीबा कहलाता है। इस्लामी कानून या शरीयत में ब्याज वसूली के लिए रकम देना और लेना शुरू से ही हराम माना जाता रहा है। इसके अलावा, इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक हराम समझे जाने वाले कारोबारों में निवेश को भी गलत माना जाता है। रीबा या ब्याज इस्लामिक कानून में फिजूल माना जाता है। निवेशकों को दूसरों के कठिन परिश्रम से लाभ नहीं कमाना चाहिए। इस्लाम में शराब, नशा, स्कूल और शस्त्रों के कारोबार सहित अत्यधिक लाभ के लिए किया गया व्यापार प्रतिबंधित है।

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English summary
Deoband fatwa says avoid families that earn 'haram' money
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