Delhi Violence: दिल्ली HC की सख्त टिप्पणी- सरकार की नजर में धुंधला पड़ा विरोध के अधिकार और आतंकवाद का फर्क
नई दिल्ली, 15 जून। दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्यकर्ता देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दे दी है। पिछले साल मई 2020 में तीनों कार्यकर्ता को पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के सिलसिले में UAPA एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। फैसले में हाईकोर्ट ने इनपर यूएपीए के आरोप लगाए जाने पर तीखी टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा "हम ये कहने के लिए मजबूर हैं कि असहमति की आवाज को दबाने की जल्दबाजी में सरकार ने संविधान की ओर से दिए गए विरोध-प्रदर्शन के अधिकार और आतंकवादी गतिविधियों के अंतर को खत्म सा कर दिया है।"
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जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस एजे भंभानी की बेंच ने फैसला सुनाया। तीनों छात्रों को जमानत पर छोड़ने का फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा कि अगर यह मानसिकता ऐसे ही बढ़ती रही, तो यह लोकतंत्र के लिए दुखद होगा। आपको बता दें कि गिरफ्तार की गईं देवांगना कलिता और नताशा नरवाल दिल्ली स्थित महिला अधिकार ग्रुप 'पिंजरा तोड़' के सदस्य हैं। वहीं आसिफ इकबाल तन्हा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र हैं।
इन शर्तों के साथ हाईकोर्ट ने दी है जमानत
देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत इस आधार पर दी है कि वे तीनों अपना पासपोर्ट सरेंडर करेंगे। इसके अलावा कोर्ट ने तीनों को किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं की हिदायत दी है। इसके अलावा तीनों अपने निवास स्थान में कोई बदलाव नहीं करेंगे। अगर किसी कारणवश उन्हें ऐसा करना पड़ा तो वो पुलिस को जरूर सूचित करेंगे।