दिल्ली चुनाव : लालू की लालटेन थामने क्यों हिचक रहा पंजा ? कैसे खुलेगा राजद का खाता ?
नई दिल्ली। बिहार के राजनीति दलों के लिए दिल्ली दूर रही है फिर भी दौड़ लगाने से बाज नहीं आ रहे। न संगठन है न प्रभाव लेकिन चुनावी मैदान में कूदने पर अमादा हैं। जदयू और लोजपा के बाद राजद ने भी दिल्ली में चुनावी किस्मत आजमाने का फैसला कर लिया है। राजद पहले कांग्रेस के भरोसे चुनावी वैतरणी पार करने की उम्मीद लगाये बैठा था। लेकिन जब सकारात्मक संकेत नहीं मिला तो वह मायूस हो गया। राजद के दिल्ली खेवनहार मनोज झा ने बड़े बुझे मन से केवल पांच-छह सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिये हैं। वैसे राजद कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा इसकी अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है। कांग्रेस ने अभी तक राजद को कोई भाव नहीं दिया है लेकिन राजनीति में संभावनाओं के द्वार हमेशा खुले रहते हैं। कभी दिल्ली की सूबेदार रही लेकिन कांग्रेस अब अंधेरी गलियों में भटक रही है। हाथ में लड्डू है। उसे अपनी पड़ी है। इसलिए पंजा लालू की लालटेन थामने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा।
लालटेन थामने से क्यों हिचक रहा पंजा
बिहार में बात-बात पर कांग्रेस को औकात दिखाने वाले राजद की दिल्ली में हेकड़ी ढीली पड़ गयी। कांग्रेस की अनदेखी के बाद राजद ने अनमने तरीके से कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा करनी पड़ी। राजद के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिये पांच से छह सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात कही है। पहले यह चर्चा थी कि राजद कांग्रेस के सहयोग से 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। वैसे सीटों की संख्या को लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। अगर राजद का कांग्रेस से तालमेल हो जाता तो वह दिल्ली में कुछ बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। लेकिन कांग्रेस ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है। जब लालू पॉलिटिक्स के हैवीवेट थे तब तो उनकी दिल्ली में दल नहीं गली। अब जब वे जेल के अंदर हैं तो तेजस्वी कौन सा करिश्मा करते हैं, यह देखा जाना बाकी है। राजद झारखंड में जीत से उत्साहित है। एक ही विधायक जीते लेकिन महागठबंधन की माया कि वे मंत्री बन गये। लेकिन दिल्ली में परिस्थितियां अलग हैं। यहां केजरीवाल जैसे मजबूत नेता से मुकाबला है। तेजस्वी पहले विपक्षी एकता के लिए केजरीवाल का सहयोग मांगते रहे हैं। 2018 में तेजस्वी ने जब जंतर मंतर पर मुजफ्फरपुर कांड के खिलाफ प्रदर्शन किया था केजरीवाल ने तेजस्वी के मंच से जोरदार भाषण दिया था। अब वही तेजस्वी उनके खिलाफ ताल ठोकेंगे।
एक साल से राजद की तैयारी
राजद पिछले एक साल से दिल्ली में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पिछले कुछ समय से दिल्ली में सक्रिय रहे हैं। जनवरी 2019 में तेजस्वी यादव, सांसद मनोज झा और राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. डॉ. नवल किशोर ने दिल्ली में बैठ कर विधानसभा चुनाव के खाका तैयार किया था। मनोज झा और नवल किशोर दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक हैं और राजद का बौद्धिक चेहरा हैं। मनोज झा मधुबनी के रहने वाले हैं तो नवल किशोर छपरा के रहने वाले हैं। तेजस्वी, मनोज झा और नवल किशोर ने दिल्ली में राजद का संगठन खड़ा करने के लिए युवा चेहरों पर भरोसा किया। वे दिल्ली में भी माय समीकरण से सहारे ही आगे बढ़ने की कोशिश में हैं। पिछले साल इन तीनों नेताओं ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र नेता मिरान हैदर को राजद की युवा इकाई का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। मुस्लिम बहुल ओखला में राजद की एक सभा भी हुई थी। राजद दिल्ली में मुस्लिम और पूर्वांचली वोटों पर नजर गड़ाये हुए है। 2008 में राजद दिल्ली की 11 सीटों पर चुनाव लड़ चुका है।
लालू की पार्टी का 2009 में खुला था खाता
1990 में लालू जनता दल में थे। देवीलाल और शरद यादव के समर्थन से बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद जनता दल में उनकी हैसियत बढ़ती चली गयी थी। 1993 में पहली बार दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव हुआ था। इस चुनाव में जनता दल ने भी हिस्सा लिया था। जनता दल के चार उम्मीदवार विधायक चुने गये थे। बदरपुर से राम सिंह विधुड़ी, मटिया महल से शोएब इकबाल, ओखला से इमरान परवेज और सीलमपुर से मतीन परवेज जनता दल के विधायक बने बने थे। यानी जनता दल को मुस्लिम बहुल इलाकों में खास कामयाबी मिली थी। उस समय न राजद बना था, न लोजपा और न जदयू। लालू, नीतीश, रामविलास सब एक साथ थे। दिल्ली विधानसभा के चुनाव में लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल का पहली बार 2009 में खाता खुला था। ओखला सीट पर उपचुनाव हुआ था जिसमें राजद के टिकट पर आसिफ मोहम्मद खान जीते थे। उस समय आसिफ के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। बाद में वे कांग्रेस में चले गये। फिर राजद का अकाउंट क्लोज हो गया। 2015 के चुनाव में इस सीट पर आप के अमानुल्ला खान जीते हैं। 2008 में शोएब इकबाल लोजपा के टिकट पर जीते थे तो 2013 में जदयू से जीते। शोएब दिल्ली का ऐसा चेहरा हैं जिन्होंने कई दलों का खाता खोला है। इक्के दुक्के चेहरों के बल पर ही राजद जैसे दल यहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं।