Defence Report: सेना को 400 ड्रोन, अत्याधुनिक तकनीक की जरूरत
नई दिल्ली। देश की सेना को आने वाले समय में आधुनिक हथियारों, ड्रोन और युद्ध के लिए कई अत्याधुनिक साजो-सामान की जरूरत है। रक्षा मंत्रालय की टेक्नोलॉजी पर्सपेक्टिव एंड कैपेबिलिटीज रोडमैप 2018 की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले एक दशक में देश की सेना को 400 ड्रोन, लड़ाकू सबमरीन, बिना पायलट के उड़ान भरने वाले विमान की जरूरत है। साथ ही डायरेक्टेड एनर्जी वेपंस की भी जरूरत है, जिसमे हाई एनर्जी लेजर एंड हाई पॉवर्ड माइक्रोवेव की जरूरत है जोकि दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सके। इन अत्याधुनिक हथियारों की क्षमता सैटेलाइट को भी अपना निशाना बनाने की होगी।
मेक इन इंडिया पर हो फोकस
देश की रक्षा के लिए सैन्य जरूरतों के बारे में रक्षा मंत्रालय के रोडमैप में कहा गया है कि उसे 2020 तक देश की सेना की रक्षात्मक और आक्रामक ताकत को बढ़ाने की जरूरत है, इसके लिए इन तमाम तकनी, हथियारों और लड़ाकू विमान की जरूरत है। 82 पेज के रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज में कहा गया है कि यह एक योजना है जोकि देश की रक्षा क्षेत्र में तकनीक और विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए अहम है। इशके लिए तकनीक का विकास, आपसी समझौता, निर्माण समझौता करने की जरूरत है। इसमे यह भी कहा गया है कि दूसरे देशों के साथ समझौता या उनके साथ साझा कार्यक्रम करने की बजाए सरकार को मेक इन इंडिया मिशन के तहत आगे बढ़ना चाहिए।
अहम जरूरतों का जिक्र
इसके अलावा कई अन्य जरूरतों के बारे में भी इस रोडमैप में जिक्र किया गया है, जिसमे नेक्स्ट जेनेरेशन की सबमरीन, डिस्ट्रॉयर, युद्धपोत मिसाइल, पैदल सेना के हथियार, खास तरह के गोला बारूद, जैविक, रासायनिक, न्युक्लियर, रेडियोजिकल हथियार भी शामिल हैं। दस्तावेज में कहा गया है कि मानव रहित विमान की बड़ी रेंज के बारे में भी कहा गया है। आपको बता दें कि ड्रोन आधुनिक सेना के लिए काफी अहम हैं। अत्याधुनिक युद्ध तकनीक के तहत रीयल टाइम सर्विलांस पर भी खासा ध्यान देने की की जरूरत है, जोकि सीधा और सटीक दुश्मन को अपना निशाना बनाते हैं।
इजरायल से खरीद गए ड्रोन
गौरतलब है कि मौजूदा समय में सेना के पास कुल 200 ड्रोन हैं, जिसमे से अधिकतक इजरायल से खरीदे गए हैं, इसका इस्तेमाल लंबी दूरी तक सर्विलांस के व दुश्मन पर सटीक निशाना साधने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसमे इजरायली हरोप लगा है जिसे किलर के रूप में जाना जाता है, यह क्रूज मिसाइल की तरह काम करता है। यह दुश्मन के इलाके में जाकर उसके ठिकानों को निशाना बनाता है। यह दुश्मन के राडार और उनके ठिकानों पर ब्लास्ट होकर उसे पूरी तरह से ध्वस्त कर देता है।
अत्याधुनिक ड्रोन की जरूरत
डीआरडीओ घाटक गोपनीय यूसीएवी का निर्माण कर रहा है जोकि लड़ाकू ड्रोन हैं, इसे 26500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया जा रहा है। बावजूद इसके रोडमैप में कहा गया है कि सेना और नेवी को 30 से अधिक लड़ाकू एयरक्राफ्ट (आरपीए) की जरूरत है जिसे बिना पायलट के उड़ाया जा सके। रक्षा मंत्रालय की ओर से जो रोडमैप जारी किया गया है उसमे कहा गया है कि कम दूरी, लंबी दूरी के लड़ाकू आरपीए की जरूरत है जिसमे 30000 फीट की उंचाई तक उड़ने की क्षमता हो, साथ ही इसमे 24 घंटे तक संपर्क साधन भी मौजूद हों। ड्रोन के पास क्षमता होनी चाहिए कि वह जमीन और समुद्र से 20 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मनों पर निशाना साध सके।
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