भारतीय वायुसेना के लिए बेहद जरूरी है यह डील, चीन-पाकिस्तान निकले आगे
नई दिल्ली। एयरबोर्न वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम्स (अवाक्स) को आसमान की आंख कहा जाता है। अवाक्स सिस्टम आसमान में दुश्मन की हर गतिविधियों पर नजर रखता और देश की सीमा को सुरक्षित करता है। भारत सरकार ने अवाक्स सिस्टम को खरीदने के लिए इजराइल और रूस से करार किया था जो कि इस वक्त ठंडे बस्ते में है। डील को ठंडे बस्ते में देखते हुए वायुसेना ने इस सिस्टम को देश में ही बनाने का प्रयास किया था लेकिन उसकी प्रकिया भी काफी धीमी है। वहीं अगर पड़ोसी देशों की बात की जाए तो चीन और पाकिस्तान दोनों इस सुविधा से लैस हैं जो कि वायुसेना के लिए चिंता का विषय है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक अवाक्स सिस्टम किसी भी रडार की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी और सटीकता में आसमान में दुश्मन देशों के लड़ाकू जहाजों, मिसाइलों, ड्रोन आदि का पता लगा सकती है। दुश्मन के लड़ाकू विमान के खिलाफ आपरेशन में भी यह वायुसेना की मदद करता है। यह आसमान एक आंख की तरह काम करता है जिससे दुश्मन की कोई गतिविध आसमान में छुप नहीं सकती।
अवाक्स सिस्टम की खूबियों को देखते हुए चीन और पाकिस्तान ने इसे अपनी सैन्य प्राथमिकता में शामिल किया है। चीन ने हाल ही में पाकिस्तान को कराकोरम ईगल जेडडीके-03 नाम से एक अवाक्स सिस्टम दिया था। पाकिस्तान के पास अवाक्स सिस्टम के कुल 7 प्लेटफार्म है वहीं चीन के पास 20 से ज्यादा अवाक्स सिस्टम प्लेटफार्म बताया जा रहा है।
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वहीं अगर भारत की बात की जाए तो भारत के पास सिर्फ तीन अवाक्स सिस्टम हैं जिसमें इजराइल से 70 अरब रुपये में आया फाल्कन रडार सिस्टम भी शामिल है। वायुसेना ने देश में ही एक 'नेत्र' नाम से अवाक्स सिस्टम बनाया था। नेत्र की रेंज 250 किलोमीटर बताई जा रही वहीं फाल्कन की रेंज 400 किलोमीटर से भी ज्यादा है। भारत ने दो और अवाक्स सिस्टम के लिए इजराइल और रूस से करार किया है लेकिन यह डील अभी ठंडे बस्ते में है। इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वो ये है कि सरकार इन दो अवाक्स के लिए 5,300 करोड़ रुपये का भुगतान करने को तैयार है जबकि मैन्युफैक्चरर्स ने दाम बढ़ाकर 8,580 करोड़ रुपये की मांग की है।