नई दिल्ली। दक्ष का दिल खून को पंप कर पाने में असमर्थ है, उसकी सर्जरी में 6 लाख रुपए खर्च होंगे। जब मैंने अपने बेटे दक्ष को पहली बार देखा था तो उसने अपने नन्हे हाथों से मेरी उंगलियों को ज़ोर से पकड़ लिया था। अब मैं उसे छूने की कोशिश भी करता हूं तो वो दर्द से चीख उठता है। उसके सारे कपड़े पसीने में भीग जाते हैं। उसे पकड़ते हुए भी मुझे डर लगता है कि कहीं वो मेरे हाथों से फिसल ना जाए। उसके नाज़ुक से शरीर में ट्यूब्स लगाई गई हैं। अपने मासूम बच्चे को इतनी तकलीफ में देखकर मैं खुद को बहुत लाचार महसूस करता हूं। ये कहानी है दो महीने के मासूम बच्चे दक्ष के पिता की।
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दक्ष के पिता उस दिन को याद करते हैं जब उन्हें ऑपरेशन थियेटर से अपने बच्चे की पहली किलकारी सुनाई दी थी। अपने बच्चे को पहली बार देखकर तो जैसे उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा था और वो खुशी से झूम उठे थे। हम बस अपनी ही दुनिया में खुश थे, उसे खिलाते, उसके साथ खेलते थे। पहली नज़र में ही वो मेरा पक्का दोस्त बन गया था। उसे देखकर मैं खुशी से नाच उठता था।
दो महीने के मासूम दक्ष का दिल नहीं कर पा रहा काम
दक्ष की मां को हमेशा ये शिकायत रहती थी कि उसके बेटे को पसीना बहुत आता है। हालांकि, उसने इस बात को कभी गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि मुंबई में बहुत तेज़ धूप और गर्मी का मौसम रहता है। उनका नालासोपारा में एक छोटा सा घर है जहां पर मुश्किल से ही हवा आती है। हालांकि, जब दक्ष को समुद्रतट के पास भी पसीना आने लगा तो वो घबरा गई कि इतने छोटे से बच्चे को खुली और ताज़ी हवा में भी पसीना कैसे आ सकता है।
दक्ष की मां कहती है कि उसे इतना ज़्यादा पसीना आ गया था कि कोई भी देखकर डर जाए। हम तुरंत उसे घर लेकर आए और उसके सारे कपड़े उतार दिए लेकिन तब भी उसे पसीना आता रहा। वो बेसुध सा हो गया। अब तो उसने खाने तक से इंकार कर दिया। मुझे लगा खिड़की खोलने से कुछ मदद मिलेगी लेकिन मैंने पाया कि खिड़की खोलने पर उसे सांस तक लेने में दिक्कत में हो रही थी। हम उसे उसी समय अस्पताल लेकर गए लेकिन स्थानीय अस्पताल में ज़रूरी उपकरण ना होने की वजह से डॉक्टर दक्ष की बीमारी का पता नहीं लगा पा रहे थे। वो अपने घर से डेढ़ घंटे की दूरी पर स्थित नानावती अस्पताल गए। उन्हें लगा कि बच्चे को सिर्फ हल्की सी सर्दी या मौसमी फ्लू हुआ है और उन्हें बस एक ही बार इतने दूर के अस्पताल जाना पड़ेगा।
गलतफहमी में थे दोनों
डॉक्टरों ने बताया कि उनका बेटा धमनी में कोआर्कटेशन से जूझ रहा है जिसका मतलब है कि उसका दिल पूरे शरीर के लिए रक्त को पंप नहीं कर पा रहा है। उन्हें बताया गया कि उसकी तुरंत सर्जरी करनी पड़ेगी जिसमें 6 लाख रुपए तक का खर्चा आएगा। उसे तुरंत एनआईसीयू में भर्ती कर दिया गया और मां-बाप तक को उसके पास नहीं जाने दिया जा रहा था। दक्ष के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और दिन-रात बड़ी मेहनत करके वो अपना गुजारा करते हैं। उन्हें अपने बेटे की दवाओं का 15 हज़ार रुपए का खर्च उठाने में ही दिक्कत होती है तो फिर वो सर्जरी के पैसे कहां से जुटा पाएंगे।
हमारा 2 महीने का मासूम बच्चा तड़प रहा था
हमें अपने बेटे की हालत के बारे में ज़्यादा कुछ तो नहीं पता लेकिन बस इतना ही जानते हैं कि अगर उसका तुरंत इलाज नहीं हुआ तो वो नन्हीं सी जान दम तोड़ देगा। हमारा 2 महीने का मासूम बच्चा तड़प रहा है और हम बेबस होकर कुछ नहीं कर पा रहे हैं। मेरा मन करता है मैं उसे गोद में उठाऊं, प्यार करूं लेकिन मैं एक लाचार मां हूं जो शीशे के उस पार अपने बच्चे को दर्द से कराहते हुए देखती रहती है।
अपने नन्हे से बच्चे को इस हालत में देखकर मैं खुद को बहुत बेबस महसूस करता हूं। दक्ष के पिता कहते हैं कि उसके शरीर में ट्यूब्स लगी हैं और इस वजह से उसे बहुत तकलीफ होती है। उसका दिल शरीर के लिए ठीक तरह से रक्त पंप नहीं कर पा रहा है और अब उसकी जान बचाने के लिए सर्जरी ही एक रास्ता रह गया है। सर्जरी का खर्चा 6 लाख रुपए है और दिहाड़ी मज़दूर तो इतनी बड़ी रकम के बारे में सोच भी नहीं सकता है।
क्राउडफंडिंग के अलावा और कोई रास्ता नहीं
दक्ष की सर्जरी के लिए 6 लाख रुपए की ज़रूरत है और हमारे पास क्राउडफंडिंग के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। तो चलिए मानवता की खातिर हम सब एकसाथ मिलकर दक्ष की जान बचाने के लिए अपनी तरफ से योगदान देते हैं। आपका छोटा सा योगदान भी उसके लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है। दक्ष की मदद के लिए यहां क्लिक करें