अक्षर पटेल टीम इंडिया में क्या पूरा 'वाक्य' बन पाएंगे
अक्षर पटेल ने अभी वह दोनों टेस्ट मैच टर्निंग विकेट पर खेले हैं. लेकिन उनकी असल परीक्षा होगी जब वो सपाट विकेट पर बल्लेबाज़ों के सामने होंगे.
आजकल कोई भारतीय क्रिकेटर सबसे ज़्यादा सुर्खियां बटोर रहा है, तो वह हैं लेफ्ट आर्म स्पिनर अक्षर पटेल. वजह अपनी फिरकी में इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को उलझाकर भारत को चार टेस्ट की सीरीज़ में 2-1 की बढ़त दिलाना है.
अक्षर अपने करियर के पहले दो टेस्ट में 18 विकेट लेकर धाक जमाने में तो कामयाब हो गए हैं. पर अब सवाल यह है कि क्या वह टेस्ट टीम में लंबे समय तक खेलने वाले खिलाड़ी बन सकते हैं.
हम सभी जानते हैं कि भारतीय टेस्ट टीम में लेफ्ट ऑर्म स्पिनर के तौर पर रविंद्र जडेजा ने अपनी जगह पक्की बनाई हुई है. जडेजा पिछले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर बल्लेबाज़ी करते समय अंगूठे में फ्रैक्चर करा बैठे थे और इस वजह से ही इंग्लैंड के ख़िलाफ़ मौजूदा सिरीज़ में अक्षर पटेल को स्थान दिया गया है.
उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित तो कर दिया है. पर यह आम धारणा है कि जडेजा के फ़िट होते ही उनका टीम में लौटना तय सा है. इसकी एक प्रमुख वजह वह टीम में सिर्फ़ गेंदबाज के तौर पर नहीं बल्कि ऑलराउंडर के तौर पर जगह बनाने में सफल रहे हैं.
अक्षर पटेल का अभी टेस्ट क्रिकेट की सही परीक्षा से गुजरना भी बाक़ी है. अभी वह दोनों टेस्ट मैच टर्निंग विकेट पर खेले हैं. लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि उन्हें जब सपाट विकेट पर खेलने का मौक़ा मिलेगा, तो वह कितने कामयाब होते हैं.
इस तरह की कामयाबी ही उनके टेस्ट करियर को आगे बढ़ा सकती है. वैसे वह आईपीएल में सपाट विकेट पर कसी हुई गेंदबाज़ी करते रहे हैं. पर टेस्ट क्रिकेट इससे अलग है. लेकिन अभी उनका इस तरह के विकेट पर कमाल वाला प्रदर्शन देखा जाना बाक़ी है. पर इतना ज़रूर है कि सपाट विकेट पर सफलताएं करियर को ऊंची उड़ान दे सकती हैं.
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अक्षर पहचानते हैं अपनी ताक़त
अक्षर पटेल के हाल के प्रदर्शन और उनके भविष्य की संभावनाओं के बारे में अपने समय के दिग्गज लेफ्ट ऑर्म स्पिनर रहे मनिंदर सिंह कहते हैं, "अक्षर के दो टेस्ट में प्रदर्शन को देखने से लगता है कि उन्हें मददगार विकेट चाहिए. उनकी सबसे बड़ी ख़ूबी यह है कि वह अपनी ताक़त को ठीक से पहचानते हैं. इसलिए वह अपनी ताक़त सही लाइन और लेंथ पर गेंदबाज़ी करके अपना प्रभाव छोड़ने में सफल हुए हैं. कई बार गेंदबाज़ को लगता है कि वह अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहा है, तो फ्लाइट देने का प्रयास करने लगता है. लेकिन अक्षर ने सिर्फ़ अपनी ताक़त के हिसाब से ही गेंदबाज़ी की है."
वह जिस तरह की गेंदबाज़ी करते हैं, उससे क्या सपाट विकेट पर भी प्रभाव छोड़ने में सफल हो सकते हैं. मनिंदर ने कहते हैं, "इस बात का तो उनके सपाट विकेट पर खेलने पर ही पता चलेगा. पर इस समय उन्होंने शानदार प्रदर्शन से भारत को जीत दिलाई है, इसलिए उनकी प्रशंसा करनी चाहिए. वह भविष्य में कैसा प्रदर्शन करेंगे, इसके लिए अभी इंतज़ार किया जाना चाहिए."
जडेजा बनाम अक्षर पटेल
मनिंदर सिंह यह ज़रूर मानते हैं कि रविंद्र जडेजा के फ़िट होने पर उनका टीम में लौटना तय सा लगता है. जडेजा ने अपनी बल्लेबाज़ी पर बहुत काम किया है. हालांकि यह काम उन्होंने काफ़ी देरी से किया है. पर अब वह टीम में एक ऑलराउंडर की तरह खेलते हैं. मेरे हिसाब से जडेजा और अक्षर में यह समानता है कि दोनों अपनी ताक़त को पहचानते हैं और इससे बाहर नहीं निकलते हैं.
दोनों की ही ताक़त सही लाइन और लेंथ पर गेंदबाज़ी करना है. अक्षर के बारे में भी कहा जाता है कि वह जडेजा की तरह अच्छी बल्लेबाजी कर लेते हैं. अभी उन्होंने दो ही टेस्ट खेले हैं और इस आधार पर उनकी बल्लेबाजी को जज करना उचित नहीं होगा. इसके लिए अभी थोड़ा इंतज़ार करने की ज़रूरत है.
पर अक्षर की टीम गुजरात के 2004 से 2018 तक कोच रहे विजय पटेल का थोड़ा अलग मानना है. वह कहते हैं कि अक्षर ने पिंक बॉल टेस्ट में 70 रनों पर 11 विकेट निकालकर ऐसी स्थिति बना दी है कि रविंद्र जडेजा के फ़िट होने पर भी अक्षर को बाहर रखना थोड़ा मुश्किल होगा.
वह अक्षर की प्रतिभा के बारे में कहते हैं कि 2013 में हमें सितारों से भरी दिल्ली से रणजी ट्रॉफी मैच सूरत में खेलना था. हमने जब लाल भाई कांट्रेक्टर स्टेडियम की लाल मिट्टी वाले विकेट को देखा तो उस समय अहमदाबाद में अंडर-23 मैच खेल रहे अक्षर पटेल को बुलाने का फ़ैसला किया.
इस फ़ैसले पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई. पर अक्षर ने 55 रन पर पाँच विकेट निकालकर इस फ़ैसले को सही साबित कर दिया. तब वक़्त अक्षर ने कहा था कि मैंने अपने को टीम से बाहर रखने के फ़ैसले को अब मुश्किल बना दिया है.
पेस गेंदबाज से बने हैं स्पिनर
अक्षर पटेल की इन दो टेस्टों में आर्मर गेंद कहर ढाने वाली रही है. उन्होंने तीसरे टेस्ट में सबसे ज़्यादा विकेट तेज़ी से डाली गई सीधी गेंदों पर लिए. असल में इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को यह समझने में दिक्क़त हो रही थी कि वह किस गेंद को टर्न के हिसाब से और किसे सीधी गेंद के हिसाब से खेलें. अक्षर असल में आर्मर गेंद को काफी तेजी से डालते हैं. इसकी वजह उनका शुरुआती करियर में तेज़ गेंदबाज़ होना था.
लेकिन घुटने की चोट की वजह से उन्होंने अपने को पेस गेंदबाज़ से स्पिन गेंदबाज़ में बदल दिया. अक्षर पटेल दिल्ली कैपिटल्स में ऋषभ पंत और अजिंक्य रहाणे के साथ खेलते हैं. इसलिए उनका इन खिलाड़ियों से घनिष्ठता होना स्वाभाविक है.
वह जब भी आर्मर गेंद फेंकते थे. उस समय पंत उन्हें अक्सर वसीम भाई कहकर पुकारते हैं. यह नाम उन्हें गेंद की तेज़ी की वजह से पाकिस्तान के महान पेसर वसीम अकरम के नाम पर दिया गया है. कई बार रहाणे भी यह नाम लेते देखे गए हैं.
अक्षर पटेल ने चेन्नई में दूसरे टेस्ट में टेस्ट पदार्पण करने से पहले आख़िरी अंतरराष्ट्रीय मैच के तौर पर टी-20 मैच दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ 20 फ़रवरी 2018 को खेला था.
इसके बाद वह तीन साल तक टीम इंडिया की योजना के हिस्सा नहीं रहे. इस दौरान लगा कि उनके अंतरराष्ट्रीय करियर पर ब्रेक लग गया है. वह लगातार घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करके भी चयनकर्ताओं को प्रभावित नहीं कर पा रहे थे. लेकिन अब टेस्ट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय करियर को मिली उड़ान को वह कहाँ तक ले जा पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी.