कोविशील्ड की सिंगल डोज का असर बुजुर्गों में 16 हफ्ते के बाद होने लगता है कम- श्रीलंकन स्टडी
नई दिल्ली, जुलाई 30। कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर हमारे पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में हुई एक स्टडी के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। दरअसल, स्टडी में पता चला है कि कोविशील्ड की सिंगल डोज का असर 60 साल से उपर के लोगों पर 16 हफ्ते के बाद कम होना शुरू हो जाता है। वहीं युवाओं पर इस वैक्सीन की सिंगल डोज का असर 93 प्रतिशत तक प्रभावी रहता है। ये स्टडी कोलंबो यूनिवर्सिटी में की गई है।
भारत SII करता है कोविशील्ड का निर्माण
आपको बता दें कि भारत में कोविशील्ड नाम से लगाई जा रही वैक्सीन ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका के द्वारा बनाई गई वैक्सीन है और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसका प्रोडक्शन करता है। प्रोफेसर नीलिका मालविगे ने बताया है कि हमारा ये रिसर्च nature comms में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने बताया कि कोविशील्ड की सिंगल डोज लेने के बाद 93.4% व्यक्तियों में 97.1 फीसदी तक एंटीबॉडी का लेवल देखने को मिला।
बुजुर्ग में रहती है एंटीबॉडी- प्रोफेसर नीलिका मालविगे
कोलंबो स्थित जयवर्धनेपुरा विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजी और आणविक विज्ञान विभाग की प्रोफेसर नीलिका मालविगे ने इस स्टडी के नतीजो को लेकर एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि एक 60 साल के व्यक्ति को सिंगल डोज लगने के 16 हफ्ते बाद वैक्सीन की प्रभावकारिता कम होना शुरू हो जाता है। हालांकि बुजुर्गों में टीके का प्रभाव काफी अच्छा देखने को मिला है। 16 हफ्ते के बाद भी बुजुर्ग व्यक्ति में 93 प्रतिशत एंटीबॉडी देखी गई है।
कोविशील्ड मौत के खतरे को 98 प्रतिशत तक करती है कम
आपको बता दें कि इससे पहले बुधवार को भारत में आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज (AFMC) की एक स्टडी में भी कोविशील्ड को लेकर ये सामने आया था कि कोविशील्ड कोरोना के खिलाफ 93 प्रतिशत कामयाब है, जबकि इस वैक्सीन की दोनों डोज कोरोना संक्रमण से मौत के खतरे को 98 फीसदी तक कम कर देती है। सरकार ने बताया कि स्टडी में जो नतीजे आए हैं वो कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ हैं। बता दें कि ये स्टडी 15 लाख डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स पर की गई थी।