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कोरोना वायरस: भारत में मिला 'डबल म्यूटेंट वैरिएंट' क्या है?

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि देश के 18 राज्यों से इकट्ठा किए गए कोरोना वायरस के सैंपल में एक नया 'डबल म्यूटेंट' वैरिएंट मिला है.

By मोहम्मद शाहिद
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कोरोना वायरस
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कोरोना वायरस

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि भारत में कोरोना वायरस के एक नए 'डबल म्यूटेंट वैरिएंट' का पता चला है.

मंत्रालय ने बताया है कि देश के 18 राज्यों में कई 'वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न्स' (VOCs) पाए गए हैं. इसका अर्थ है कि देश के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के अलग-अलग प्रकार पाए गए हैं जो स्वास्थ्य पर हानिकारक असर डाल सकते हैं.

इनमें ब्रिटेन, दक्षिण अफ़्रीका, ब्राज़ील के साथ-साथ भारत में पाया गया नया 'डबल म्यूटेंट वैरिएंट' भी शामिल है.

डबल म्यूटेंट वैरिएंट का कैसे पता चला?

इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसोर्टियम ऑन जेनोमिक्स (INSACOG) स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत बनाई गई 10 राष्ट्रीय लेबोरेट्री का समूह है जो देश में अलग-अलग हिस्सों से आए सैंपल की जीनोमिक सीक्वेंसिंग का पता लगाती है.

जीनोमिक सीक्वेंसिंग किसी जीव के पूरे जेनेटिक कोड का ख़ाका तैयार करने की एक टेस्टिंग प्रक्रिया है. INSACOG का गठन 25 दिसंबर 2020 को किया गया था जो जीनोमिक सीक्वेंसिंग के साथ-साथ कोविड-19 वायरस के फैलने और जीनोमिक वैरिएंट के महामारी विज्ञान के रुझान पर अध्ययन करता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि INSACOG ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 10,787 पॉज़िटिव सैंपल इकट्ठा किए थे जिसमें 771 VOCs पाए गए.

इसमें बताया गया कि इन 771 में से 736 पॉज़िटिव सैंपल यूके वैरिएंट, 34 सैंपल दक्षिण अफ़्रीका वैरिएंट और 1 सैंपल ब्राज़ील वैरिएंट का था.

लेकिन जिस नए वैरिएंट की ख़ासी चर्चा शुरू हो गई है उसे 'डबल म्यूटेंट वैरिएंट' बताया जा रहा है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ़ कर दिया है कि इस डबल म्यूटेंट वैरिएंट के कारण देश में संक्रमण के मामलों में उछाल नहीं दिखता है.

मंत्रालय ने बताया है कि इस स्थिति को समझने के लिए जीनोमिक सीक्वेंसिंग और एपिडेमियोलॉजिकल (महामारी विज्ञान) स्टडीज़ जारी है.

कहां पर मिला डबल म्यूटेंट वैरिएंट?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि पश्चिमी महाराष्ट्र से इकट्ठा किए गए सैंपल में से 15-20 फ़ीसदी सैंपल्स में डबल म्यूटेंट वैरिएंट पाए गए हैं.

मंत्रालय ने बयान में कहा है, "दिसंबर 2020 की तुलना में महाराष्ट्र के हालिया सैंपल का विश्लेषण करने के बाद पता चला है कि यहां पर E484Q और L452R म्यूटेशन के सैंपल्स के कुछ हिस्सों में तेज़ी से बढ़ोतरी देखी गई है."

इसके साथ ही मंत्रालय ने बताया है कि इस तरह के म्यूटेशन संक्रामक हैं और प्रतिरक्षा तंत्र पर हमला करते हैं.

"15-20 फ़ीसदी सैंपल में यह पाए गए हैं और पिछले किसी VOCs से इनका मिलान नहीं हुआ है."

"इनको VOCs की सूची में ही रखा गया है और इसके लिए उसी प्रकार के महामारी विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य की प्रतिक्रिया की ज़रूरत है जिसमें 'टेस्टिंग बढ़ाने, नज़दीकी लोगों को ट्रैक करने, पॉज़िटिव मामलों को आइसोलेट करने और नेशनल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के तहत इलाज करना चाहिए."

वायरस
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क्या होता है डबल म्यूटेंट वैरिएंट?

विभिन्न प्रकार के वायरस के जीनोमिक वेरिएंट में बदलाव होना आम बात है और यह हर देश में पाए जाते हैं.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर रमन गंगाखेडकर ने बीबीसी हिंदी से कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान से साफ़ नहीं है कि वह किस तरह के डबल म्यूटेंट की बात कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य मंत्रालय ने E484Q और L452R म्यूटेशन के बारे में बताया है लेकिन यह साफ़ नहीं है कि वह इन दोनों म्यूटेशन में दोबारा म्यूटेशन की बात कर रहे हैं या फिर इन दोनों वायरस के एकसाथ मिलकर उसमें तब्दीली होने की बात कर रहे हैं."

"हालांकि, इन दोनों वैरिएंट के बारे में रिसर्च होनी बाकी है क्योंकि इसका कितना असर होगा और यह कितना ख़तरना है यह कहा नहीं जा सकता है. L452R म्यूटेंट पहली बार अमेरिका के कैलिफ़ॉर्निया में पाया गया जिसके बाद यह पूरी दुनिया में फैला. इसका मतलब है कि इस म्यूटेंट में कुछ असर है जो बदल रहा है. अमेरिका में एक चिड़ियाघर के गोरिल्ला में यह वायरस पाया गया था. लेकिन इसका सकारात्मक रूप भी देखना चाहिए. कैलिफ़ॉर्निया में इसका प्रभाव ख़त्म हो रहा है. लोग अगर कोविड-19 अप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते हैं तो इसका ख़तरा कम है."

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डॉक्टर गंगाखेडकर कहते हैं कि दो वैरिएंट का एक साथ म्यूटेशन हो सकता है और वह आपस में मिल सकते हैं, यूके, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका वेरिएंट में तक़रीबन 8-10 म्यूटेशन देखे जा चुके हैं.

"वायरस जब रिप्रोड्यूस करता है तो वह परफ़ेक्ट नहीं होता है और वही म्यूटेशन होता है. और जब उस म्यूटेशन का हम पर असर होता है तो उसे वैरिएंट कहते हैं.

नया म्यूटेंट वायरस कितना ख़तरना हो सकता है? इस सवाल पर डॉक्टर गंगाखेडकर कहते हैं कि 'इस तरह के म्यूटेंट जिस तरह से हमारे यहां पाए जा रहे हैं उससे यह जितना कम लोगों को हो तो अच्छा है क्योंकि यह जितना लोगों को होगा फिर यह उतना फैलेगा."

"यह नहीं फैलेगा तो एक वैरिएंट दूसरे के साथ जुड़ेगा नहीं और हम ख़तरे से बचे रहेंगे इसलिए यह ज़रूरी है कि लोग कोविड-19 के दिशानिर्देशों का अच्छे से पालन करें यही इकलौता हल है."

स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में बताया गया है कि केरल के 2032 सैंपल को जांचा गया है इसमें 123 सैंपल N440K वेरिएंट के हैं. इससे पहला यह वैरिएंट आंध्र प्रदेश के 33 फ़ीसदी सैंपल में पाया गया था.

यही वैरिएंट तेलंगाना के कुल 104 सैंपल में से 53 सैंपल में पाया गया था.

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वायरस की नई किस्म

हालाँकि बताया गया है कि वायरस की यह नई किस्म शरीर के इम्यून सिस्टम से बचकर संक्रामकता को बढ़ाता है.

वायरस का यह म्यूटेशन क़रीब 15 से 20 फ़ीसदी नमूनों में पाया गया है जबकि यह चिंता पैदा करने वाली पहले की किस्मों से मेल नहीं खाता.

महाराष्ट्र से मिले नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि दिसंबर 2020 की तुलना में नमूनों में ई484क़्यू और एल452आर म्यूटेशन के अंशों में बढ़ोतरी हुई है.

अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के देश आने पर और अन्य रोगियों से लिए गए नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग और इसके विश्लेषण के बाद पाया गया है कि इस किस्म से संक्रमित लोगों की संख्या 10 है.

BBC Hindi
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English summary
Coronavirus: What is the 'double mutant variant' found in India?
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