केरल में लॉकडाउन के दौरान 149 फीसदी तक बढ़े मौत के आंकड़े, टेस्टिंग में 22 फीसदी की गिरावट
कोच्चि, जून 15। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सबसे अधिक प्रभावित होने वाले राज्यों में अब केरल का भी नाम शामिल हो चुका है। केरल दक्षिण भारत के उन राज्यों में शामिल है, जहां कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा काफी अधिक है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, केरल में 5 मई से लेकर 12 मई के बीच कोरोना के कोरोना के 2,67,002 केस सामने आए थे और 488 मरीजों की मौत हुई थी। ये वो हफ्ता था, जिसके बाद सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद 2 जून से 9 जून के बीच कोरोना के नए केस 1 लाख 8 हजार 165 आए और मरने वालों की संख्या 1214 थी। इससे ये पता चलता है कि केरल में कोरोना के नए मरीज तो घटे, लेकिन मौत के आंकड़ों में बहुत बड़ा इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, केरल में साप्ताहिक मौत का आंकड़ा 149 फीसदी तक बढ़ गया है। वहीं कोरोना के मामलों में 59 फीसदी की गिरावट आई है।
राज्य में 22 फीसदी घटी टेस्टिंग
केरल में कोरोना के मामलों में कमी की वजह टेस्टिंग में की गई गिरावट मानी जा रही है। TOI की खबर के मुताबिक, 12 मई के मुकाबले राज्य में पिछले सप्ताह टेस्टिंग में 22 फीसदी की कमी देखी गई है। माना जा रहा है कि टेस्टिंग में कमी करके सरकार मृत्यु दर में हो रही बढ़ोतरी के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश कर रही है।
आपको बता दें कि केरल में कोरोना के साप्ताहिक आंकड़ों की प्रवृति राष्ट्रीय स्तर के आंकड़ों से बिल्कुल विपरीत है। भारत में, वीकली पॉजिटिव मामलों की 28 दिन मूविंग ग्रोथ रेट में 72 फीसदी की और मौत के आंकड़ों में 23 फीसदी की गिरावट है।
लॉकडाउन में केरल का MGR 72 फीसदी पहुंचा
जीवन रक्षा प्रोजेक्ट के संयोजक मैसूर संजीव का कहना है कि यदि किसी राज्य या जिले में 28 दिनों का MGR (Moving growth rate) 10 फीसदी से कम है तो उस क्षेत्र को हम सुरक्षित माने हैं, लेकिन केरल की 28-MGR 12 मई से 9 जून तक 72 फीसदी रही है, जो कि काफी अधिक है और ये चिंता का विषय है। इस 28 दिन की अवधि में केरल के अंदर 4,384 लोग मारे गए हैं। ये आंकड़ा राज्य में कोरोना की कुल मौत का तीन चौथाई है। हैरानी वाली बात ये है कि इस अवधि के दौरान केरल में पूर्ण रूप में लॉकडाउन लगा हुआ था।
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