RSS के कार्यक्रम में राहुल गांधी जाएंगे या नहीं, कांग्रेस ने दिया जवाब
दिल्ली में अगले महीने होने वाले आरएसएस के सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को निमंत्रण दिए जाने के मामले को पार्टी ने पूरी तरह काल्पनिक बताया है।
Recommended Video
नई दिल्ली। दिल्ली में अगले महीने होने वाले आरएसएस के सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को निमंत्रण दिए जाने के मामले को पार्टी ने पूरी तरह काल्पनिक बताया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'दिल्ली में अगले महीने होने वाले आरएसएस के सम्मेलन में राहुल गांधी को बुलाए जाने का कोई निमंत्रण उन्हें अभी तक नहीं मिला है। अगर आरएसएस राहुल गांधी को कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए निमंत्रण भेजता है, तो पार्टी तभी इस मामले पर कुछ कह पाएगी।
'पूरी तरह एक काल्पनिक मामला'
इस मामले को लेकर पत्रकारों के सवालों पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'मैं काल्पनिक और अंदाजा लगाने वाले सवालों के जवाब नहीं देता। इस समय यह पूरी तरह एक काल्पनिक मामला है। अगर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से उनके तीन दिवसीय सम्मेलन में शामिल होने के लिए राहुल गांधी को निमंत्रण मिलता है तो पार्टी जरूर इस मामले पर प्रतिक्रिया देगी। मैं स्पष्ट तौर पर आप लोगों से बताना चाहता हूं कि हमें अभी तक कोई निमंत्रण नहीं मिला है।'
संघ का 'भारत का भविष्य' सम्मेलन
दरअसल, सोमवार को सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि दिल्ली में 17-19 सितंबर को होने वाले आरएसएस के सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी निमंत्रण भेजा जा सकता है। आरएसएस प्रवक्ता अरुण कुमार ने सोमवार को बताया कि 17 से 19 सितंबर तक दिल्ली में संघ का एक सम्मेलन 'भारत का भविष्य' आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में सभी राजनीतिक दलों को निमंत्रण भेजा जाएगा। इससे पहले हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसे लेकर कांग्रेस में काफी घमासान मचा था।
ये भी पढ़ें- आशुतोष-खेतान की विदाई के बीच AAP ने इस महिला को दिया लोकसभा का टिकट
'मुस्लिम ब्रदरहुड से संघ की तुलना'
आपको बता दें कि पिछले दिनों राहुल गांधी ने आरएसएस पर हमला बोलते हुए उसकी तुलना अरब देशों के सुन्नी इस्लामी संगठन 'मुस्लिम ब्रदरहुड' से की थी। लंदन में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा था, 'दोनों ही संगठनों की स्थापना 1920 के दशक में हुई थी। दोनों संगठन संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा करने में विश्वास रखते हैं। दोनों संगठन चुनावी प्रक्रिया को संस्थाओं पर कब्जा करने के रूप में देखते हैं।' राहुल गांधी के इस बयान को लेकर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उनसे माफी की मांग की थी।
ये भी पढ़ें- मेरी बेटियां बाहर निकलने से डरती हैं, आजम खान ने तेजाब फेंकने की धमकी दी: अमर सिंह