केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है कांग्रेस
नई दिल्ली। कर्नाटक में कुर्सी के लिए छिड़ी जंग हर पल एक नया मोड़ लेती जा रही है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार शाम 4 बजे बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा था। साथ ही इस पूरी प्रकिया को संपन्न करवाने की जिम्मेदारी प्रोटेम स्पीकर को सौंपी थी। अब कर्नाटक में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। गवर्नर वजुभाई वाला ने बीजेपी के केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। कांग्रेस गर्वनर द्वारा की गई इस नियुक्ति पर सवाल खड़े कर रही है। मिली जानकारी के मुताबिक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के विरोध में कांग्रेस एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।
गर्वनर ने वरिष्ठता को दरकिनार किया
कांग्रेस का कहना है कि, सदन का सबसे वरिष्ठ विधायक प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। इस आधार पर कांग्रेसी विधायक केवी देशपांडे सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं। केवी देशपांडे आठ बार विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस का आरोप है कि गर्वनर ने उनकी वरिष्ठता को दरकिनार कर केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। कांग्रेस के आठ बार विधायक रहे आरवी देशपांडे ने कहा, 'हमें संवैधानियक प्रक्रिया और मर्यादा का पालन करना होगा। इस लिहाज से मुझे लगता है कि मैं ही सदन का सबसे सीनियर सदस्य हूं।'
राज्यपाल वाजुभाई वाला ने एक बार फिर किया संविधान का एनकाउंटर
इससे पहले कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे और बीजेपी के उमेश कट्टी का नाम इसके लिए सबसे आगे चल रहा था। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, राज्यपाल वाजुभाई वाला ने एक बार फिर से वरिष्ठ विधायक के बजाय केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाकर संविधान का एनकाउंटर किया है। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि, 'हम कुछ देर में आपको इस बारे में सूचित कर पाएंगे। हां, कोर्ट वापस जाने का विकल्प खुला है।' वहीं बीजेपी नेता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि केजी बोपैया को 2008 में भी उस समय के गवर्नर ने प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। बोपैया की उम्र उस समय आज से भी 10 साल कम थी। कांग्रेस की अपत्ति निराधार है। बोपैया की नियुक्ति पूरी तरह से नियमों के मुताबिक हुई है।
कौन है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानभा अध्यक्ष नहीं चुन लेती है। यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है। सदन से जुड़े कई निर्णय प्रोटेम स्पीकर के विवेक पर पर आधारित होते हैं।