पुलवामा के बाद महागठबंधन पर हो सकता है पुनर्विचार, कांग्रेस इन दो राज्यों में विरोधी दलों से मिला सकती है हाथ
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में जैश -ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों में एयर स्ट्राइक की थी। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को इससे फायदा मिलने की संभावना के बाद महागठंधन ने फिर से गठबंधन को लेकर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ विरोधाभास और प्रतिद्वंद्विता के बावजूद अलग-अलग पार्टिया राज्य में गठबंधन को लेकर उत्सुक हैं। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम से गठबंधन पर विचार कर रही है वहीं दिल्ली में आप के साथ भी गठबंधन पर पार्टी फिर से विचार कर सकती है।

शरद पवार और चंद्रबाबू नायडू ने राहुल से की बात
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलगुदेशम(टीडीपी) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने राहुल गांधी से आग्रह किया है कि वो पश्चिम बंगाल और दिल्ली में गठबंधन को लेकर दोबारा विचार करें। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी राज्यों में कांग्रेस की धुर विरोधी पार्टी है। अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी पर गठबंधन ना करने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी ने पिछले शनिवार को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली की सात सीटों में से 6 पर उम्मीदवारों का नाम भी घोषित कर दिया। आप और कांग्रेस के बीच गठंबधन को लेकर पिछले जनवरी में ममता बनर्जी ने नई दिल्ली में दोनो दलों के मुखिया राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल से बात की थी। इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए ममता ने कहा था कि दोनों दलों को अपने मतभेद भुलाकर गठबंधन करने का प्रयास करना चाहिए।

ममता बंगाल में कांग्रेस के साथ मिला सकती है हाथ
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ अपने मतभेद भुलाकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर एक उदाहरण स्थापित कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टिया राज्य में कुछ सीटों पर सहमति बना सकती है। पश्चिम बंगाल में कुल 42 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें लाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। ऐसे में बीजेपी को रोकने के लिए दोनों पार्टियों के साथ आने की अटकलें लगाई जा रही हैं। यूपी और महाराष्ट्र के बाद पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें आती हैं।

सीपीएम-कांग्रेस में 6 सीटों पर बन सकती है सहमति
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने लेफ्ट बेदखल करके सत्ता पाई थी। तृणमूल कांग्रेस की मुख्य विरोधी पार्टी सीपीएम भी आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेसे के साथ 6 सीटों पर समझौता कर सकती है। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि केंद्रीय समिति ने पश्चिम बंगाल में 6 सीटों पर आने वाले लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव ना लड़ने का प्रस्ताव दिया है। ये वो सीटें हैं, जिनपर न तो बीजेपी और न ही टीएमसी का कब्जा है। इनमें से चार सीटें अभी कांग्रेस और 2 सीटें लेफ्ट के पास हैं। लेकिन कांग्रेस और सीपीएम के बीच रायगंज लोकसभा सीट को लेकर मतभेद है। कांग्रसे के दीपदास मुंशी इस सीट से तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं। वहीं सीपीएम के मोहमम्द सलीम अभी यहां से सांसद हैं। दोनों ही पार्टियां यहां खुद को मजबूत बता रही हैं। साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ चार सीटें मिली थी। वहीं सीपीएम रायगंज के अलावा मुर्शिदाबाद सीट पर जीती थी। तृणमूल कांग्रेसने 42 में से 34 सीटों पर कब्जा किया था। बाकी दो सीटें भाजपा के खाते में आई थी। लेकिन पिछले कुछ समय मे यहां नाटकीय परिवर्तन आया है और भाजपा टीएमसी को टक्कर देती हुई दिख रही है। सीपीएम के फॉर्मूल के अनुसार वो राज्य की 42 सीटों में से 22 सीट पर लड़ना चाहती है। बाकी दस सीटें वो लेफ्ट के अपने सहयोगियों और दस सीटें कांग्रेस को देना चाहती है। रायगंज और मुर्शिदाबाद सीट पर पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस और सीपीएम दोनों यहां से चुनाव लड़ना चाहती हैं।
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