
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाने का कांग्रेस क्यों कर रही है विरोध ? जानिए
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद एक बार फिर दोनों राज्यों के बीच तनाव का कारण बना हुआ है। जब भी बेलगावी में कर्नाटक विधानसभा के शीतकालीन सत्र का समय आता है, यह विवाद हिंसक रूप लेने लगता है। ऐसे समय में कर्नाटक के मैंगलुरू शहर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव नगर परिषद ने पारित किया है। लेकिन, कांग्रेस को यह कतई मंजूर नहीं है। कारण यही है कि पार्टी शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र से जोड़कर देख रही है और उसके साथ कर्नाटक का सीमा विवाद फिर से उग्र है।

कांग्रेस को शिवाजी की प्रतिमा पर आपत्ति
कर्नाटक में मैंगलुरु सिटी कॉर्पोरेशन काउंसिल ने शहर के एक प्रमुख चौराहे पर मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव पास किया है। लेकिन, कांग्रेस के सदस्य शहर में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति लगाने का विरोध कर रहे हैं। 29 अक्टूबर को अपनी बैठक में एमसीसी ने शहर के महावीर सर्किल पर शिवाजी की मूर्ति लगाने के एजेंडे को मंजूरी दी थी। यह फैसला छत्रपति शिवाजी मराठा संघ की मांग पर विचार करने के बाद लिया गया था। लेकिन बुधवार को जब परिषद की बैठक शुरू हुई तो कांग्रेस के नेता ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज करा दी।

महाराष्ट्र एकीकरण समिति को बताया कारण
मैंगलुरु सिटी कॉर्पोरेशन काउंसिल में नेता विपक्ष नवीन डिसूजा ने शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाए जाने का विरोध इस आधार पर किया कि महाराष्ट्र एकीकरण समिति कर्नाटक का विरोध करती है। उन्होंने कहा कि शहर में ऐसे समय में शिवाजी की प्रतिमा लगाना अनुचित होगा, जब महाराष्ट्र एकीकरण समिति कर्नाटक-महाराष्ट्र बॉर्डर पर शांति भंग करने की कोशिश कर रही है।

बीजेपी ने कांग्रेस पर लगाया हिंदू नायकों के विरोध का आरोप
इसकी जगह कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि उनकी जगह कोटी-चेन्नया की प्रतिमा लगाई जाए। कोटी-चेन्नया तुलुनाडु के जुड़वां योद्धा थे। कांग्रेस के एक और सदस्य शशिधर हेगड़े ने कहा कि तटीय इलाके के किसी स्वतंत्रता सेनानी और विजेता की मूर्ति पर भी विचार किया जाना चाहिए। वहीं भाजपा सदस्यों ने कांग्रेस की ओर से हुई आलोचनाओं पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी दल ने यह आदत बना ली है कि हिंदू नायकों का विरोध करेगी।

शिवाजी महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं- बीजेपी
बीजेपी के पार्षदों की दलील थी कि छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम को महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं किया जाना चाहिए। जब कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों के बीच शोरगुल जारी था तो काउंसिल के चीफ व्हीप परमानंद शेट्टी ने कहा कि प्रस्ताव को पिछली ही बैठक में मंजूरी दी जा चुकी है और विपक्ष की आपत्तियों को रिकॉर्ड में रख लिया गया है।

शिवाजी महाराज पर अलग राज्य, अलग राजनीति ?
गौरतलब है कि हर साल की तरह इस बार भी अभी कर्नाटक में बेलगावी से सटी महाराष्ट्र-कर्नाटक की सीमा को लेकर दोनों राज्यों में विवाद जारी है। गुरुवार को भी जिले में इसको लेकर झड़प की जानकारी मिली है। गौरतलब है कि हाल ही में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को पुराने जमाने का नायक बता दिया था। इसको लेकर वहां विपक्ष अभी भी सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। इन विपक्षी दलों में कांग्रेस भी शामिल है। लेकिन, कर्नाटक की राजनीति में वही पार्टी शिवाजी की प्रतिमा का विरोध करने को मजबूर नजर आ रही है। (इनपुट-पीटीआई। तस्वीरें शिवाजी महाराज की- सांकेतिक,कोटी-चेन्नया की तस्वीर सौजन्य-विकिपीडिया)