अपने खिलाफ भारत को मजबूती के साथ खड़ा देखकर हैरान है चीन, बॉर्डर पर प्रोजेक्ट्स से होने लगती है घबराहट!
नई
दिल्ली।
जून
2017
में
भारत
और
चीन
के
बीच
डोकलाम
में
विवाद
हुआ
था।
भारत-चीन-भूटान
के
ट्राइ-जंक्शन
पर
पड़ने
वाले
डोकलाम
पर
जो
विवाद
हुआ
था
वह
73
दिन
बाद
सुलझ
सका
था।
चीनी
विशेषज्ञ
की
मानें
तो
उस
समय
भारत
ने
चीन
को
जिस
तरह
से
प्रतिक्रिया
दी
थी,
चीन
उससे
हैरान
रह
गया
था।
चीन
को
इस
बात
की
जरा
भी
उम्मीद
नहीं
थी
कि
भारत
इस
तरह
से
उसे
चुनौती
देगा।
आपको
बता
दें
कि
भारत
और
चीन
के
बीच
पांच
मई
से
पूर्वी
लद्दाख
में
पांच
मई
से
टकराव
जारी
है।
तीन
दौर
की
कोर
कमांडर
स्तर
और
करीब
15
मेजर
जनरल
स्तर
की
वार्ता
हो
चुकी
हैं,
मगर
अभी
तक
कोई
नतीजा
नहीं
निकल
सका
है।
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डोकलाम की वजह से बदली चीन ने रणनीति
अमेरिका स्थित स्टिमसन सेंटर में ईस्ट एशिया प्रोग्राम की को-डायरेकटर और चीन मामलों की विशेषज्ञ यून सन ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही है। उन्होंने कहा, 'डोकलाम संकट के दौरान चीन यह बात देखकर हैरान था कि भारत भूटान के करीब स्थित डोकलाम में एक बंजर जमीन के टुकड़े पर उसके दावे के खिलाफ इतनी मजबूती से खड़ा होगा और टकराव 73 दिन तक चलेगा।' यून सन की मानें तो यह एक बड़ा घटनाक्रम था जिसने चीन को अपनी रणनीति पर पुर्नविचार करने पर मजबूर किया और भारत को उलझाकर रखने की दिशा पर उसने ज्यादा ध्यान केंद्रित किया। उनसे इंटरव्यू में पूछा गया था कि पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रामकता की क्या वजह हो सकती है तो इस पर उनका जवाब सधा हुआ था। यून सन ने कहा कि चीन यह मानता है कि बॉर्डर के करीब होने वाली भारत की गतिविधियों पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत है।
इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण से खतरा महसूस करता है चीन
यून सन के शब्दों में, 'अगर आप चीन के सरकार अधिकारियों से इस बारे में पूछेंगे तो उनका जवाब होगा कि एलएसी पर भारत जो कुछ भी कर रहा है, चीन को उसका जवाब देने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि जहां से एलएसी गुजरती हैं वहां पर वास्तविक जगहों को लेकर भी एतिहासिक विवाद है और यह बात हर कोई जानता है। ऐसे में जब चीन यह देखता है कि भारत सड़क और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को अपने क्षेत्र में आगे बढ़ा रहा है, उसकी चिंता बढ़ जाती है और वह इसी तरह से प्रतिक्रिया देता है। उनकी मानें तो चीन को निर्माण कार्यों से यह लगता है कि भारत उसकी पीठ पर छुरा भोंक रहा है। चीन को यह महसूस होता है कि भारत अपने इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की मदद से उसे एक ऐसी स्थिति की तरफ धकेलने की कोशिश कर रहा है जहां उसे आक्रामकता से जवाब देना है। फिर यह समझा जाने लगता है कि चीन, भारत पर हमला करने वाला है।
दोनों देशों के बीच प्रतिद्वंदिता का असर
उनका कहना था कि ऐसे में हाल ही में जो टकराव लद्दाख में शुरू हुआ है उसके पीछे चीन की मंशा समझना काफी आसान है। उनका कहना था कि साल 2020 चीन के लिए काफी अहमियत वाला साल है क्योंकि यहां पर सरकार पर आतंरिक दबाव बढ़ रहा है और कोरोना वायरस की वजह से बाहरी ताकतों की तरफ से एक हमले की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच एशिया में जार प्रतिद्वंदिता ने भी कई तरह से संघर्षों को जन्म दिया है। इसकी वजह से ही क्षेत्र में शक्तियों के संतुलन पर असर पड़ा है।
भारत को खतरा नहीं मानता है चीन
उन्होंने कहा कि चीन अपने ईस्टर्न बॉर्डर यानी ईस्ट एंड साउथ चाइना सी पर खतरा ज्यादा महसूस करता है। उसके लिए वेस्टर्न बॉर्डर जो कि भारत से सटा वह ज्यादा बड़ा खतरा नहीं है। चीन के नजरिए से अगर देखा जाए तो अमेरिका, चीन को अपने लिए सबसे बड़ा सैन्य खतरा मानता है। ऐसे में चीन, पश्चिम में भारत के साथ और पूर्व में अमेरिका के साथ, दो मोर्चों पर युद्ध क्यों शुरू करेगा? यह किसी भी तरह से चीन के राष्ट्रीय हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन, भारत को अपनी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा नहीं मानता है।