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Ladakh standoff: चीन का 'दोहरा' रवैया बहुत बड़े खतरे का संकेत है, शी जिनपिंग की रणनीति समझिए

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नई दिल्ली- बीते शनिवार की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में जो कुछ भी हुआ, उसके बाद सबकी आंखे खुल जानी चाहिए। क्योंकि, अब इस बात में जरा भी संदेह नहीं रह गया है कि कूटनीतिक स्तर पर चीन जो भारत और दुनिया को बताना चाहता है, जमीन पर उसका इरादा ठीक उसके उलट दिख रहा है। पहले यह भी संभावना लग रही थी कि एलएसी पर जो कुछ भी हो रहा है, वह पीएलए के फ्रंटलाइन सैनिकों की वजह से हो रहा है; और खुद चीन की सरकार की ओर से भी इसी संवादहीनता की ओर इशारा किया जा रहा है। लेकिन, अब तय हो चुका है कि लद्दाख से लेकर बीजिंग तक जो कुछ भी हो रहा है, वह चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी जिनपिंग की लिखी स्क्रिप्ट के मुताबिक ही हो रहा है। यानी चीन पिछले कुछ महीने से वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास जो कुछ भी कर रहा है, वह उसकी एक बहुत ही खतरनाक योजना के तहत लिखी गई पटकथा का हिस्सा है और लगता है कि आने वाले कुछ दिनों में चीन का असली मंसूबा दुनिया के सामने आ जाए।

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चीन का 'दोहरा' रवैया बहुत बड़े खतरे का संकेत है

चीन का 'दोहरा' रवैया बहुत बड़े खतरे का संकेत है

हफ्तों से चीन, भारत को सैन्य और कूटनीतिक बातचीत में उलझाए हुए है। पूर्वी लद्दाख की हालात पर चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जो आधिकारिक बयान आ रहे हैं, उसमें बड़ी-बड़ी बातें कही गई हैं। एलएसी पर पीएलए कभी कुछ कदम पीछे हट जाती है, लेकिन फिर कोई नया मोर्चा खोल देती है। गलवान घाटी की घटना से पहले से ही चीन की यही रणनीति नजर आ रही है। पैंगोंग त्सो में भी यही हुआ है। चीन की सेना थोड़ा पीछे हटी, लेकिन फिर से तंबू डाल दिए। अब उसने तो ठंड में भी डटे रहने की तैयारी कर ली है। इस दौर में दोनों ओर की सेना के ऊंचे स्तर स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई है और अभी भी चल रही है। लेकिन, मोर्चे पर डटी पीएलए की हरकत पर कोई असर नहीं पड़ा है। बल्कि, वक्त के साथ उसके तेवर और आक्रामक ही होते चले जा रहे हैं। हकीकत है कि बातचीत का चीन के सैनिकों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। लेकिन, चीन आधिकारिक तौर पर दुनिया को कूटनीतिक रास्ते की ओर दिखाकर झांसा देता रहा है। यह बहुत ही बड़े खतरे का संकेत है।

भारत को दोनों मोर्चों पर उलझाकर रखना चाहता है चीन

भारत को दोनों मोर्चों पर उलझाकर रखना चाहता है चीन

मतलब, पीएलए के सैनिक यूं ही आक्रामक नहीं हो रहे हैं। यह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के नेता शी जिनपिंग की खौफनाक रणनीति का नतीजा है। असल में चीन दो मोर्चों पर भारत के साथ डील कर रहा है। एक तो सैन्य कमांडर और कूटनीतिक स्तर पर और दूसरा जमीन पर मौजूद पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवानों के स्तर पर। शनिवार की रात भी यही हुआ। पीएलए ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों के जमावड़े का वादा तोड़कर एकबार फिर भारतीय चोटियों पर कब्जे की कोशिश की। नतीजा ये हुआ कि अलर्ट भारतीय जवानों ने उन्हें रोक तो दिया, लेकिन एकबार फिर से दोनों सेनाएं गलवान की तरह आमने-सामने हो गई हैं। एलएसी के उसपार पीएलए के वाहनों का तांता देखा गया है। स्थिति हर पल विस्फोटक होती जा रही है।

आने वाले कुछ हफ्तों में 'मिनी वॉर' छेड़ सकता है चीन

आने वाले कुछ हफ्तों में 'मिनी वॉर' छेड़ सकता है चीन

मौजूदा हालातों में चीन का कोई भी एक्शन भरोसे लायक नहीं बच गया है, लिहाजा उसके इरादे पूरी तरह से संदिग्ध लग रहे हैं। भारतीय सेना को अब यह समझ लेना चाहिए कि पीएलए जो कुछ भी कर रही है, वह बहुत ही खरतनाक रणनीति का हिस्सा है। चीन कूटनीतिक स्तर पर जिस तरह के बयान दे रहा है और लद्दाख में जो उसकी कार्रवाई दिख रही है, उससे लगता है कि आने वाले कुछ हफ्तों या महीनों में वह कोई बड़ा कदम उठाने के फिराक में है। भारतीय सेना को इसके लिए तैयार रहना होगा कि जैसे गलवान के बाद 75 दिनों के अंदर पीएलए ने पैंगोंग लेक इलाके में अतिक्रम की कोशिश की है और लगातार वह आक्रामकता दिखा रहा है। 50 दिन से पहले-पहले वह मिनी-वॉर छेड़ने की भी कोशिश कर सकता है।

भारत को धमकाने की कोशिश कर रहा है जिनपिंग का प्रचारतंत्र

भारत को धमकाने की कोशिश कर रहा है जिनपिंग का प्रचारतंत्र

शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट सरकार के दोहरे रवैया का एक बड़ा सबूत वहां के सरकारी अखबारों में दिखाई पड़ रहा है। एक तरफ तो चीन की सरकार आधिकारिक तौर पर यह कहती है कि उसने किसी दूसरे देश की एक इंच जमीन को भी गलत नजर से नहीं देखा है और वहां कहीं भी अतिक्रमण नहीं करता है। दूसरी ओर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में भारत और भारतीय सेना को 1962 के युद्ध की धमकी दी जाती है। उसने एक कथित सर्वे के आधार पर दावा किया है कि 90 फीसदी चीनी भारत के खिलाफ पैंगोंग त्सो की घटना में बदले की कार्रवाई चाहते हैं। जिस चीन में लोगों को घरों में जिनपिंग की तस्वीरें लगाने को बाध्य किया जा रहा, वहां पर हुए इस कथित सर्वे के बारे में कोई चर्चा ही बेमानी है। लेकिन, जिनपिंग का भोंपू यहीं नहीं रुकता। वह भारत के लोगों को डराने के अंदाज में कह रहा है कि चीन भारत से कई गुना ज्यादा ताकतवर है और उसका भारत से कोई तुलना नहीं। यह बात दूसरी है कि ऐसे चाइनीज अखबारों को उन 100 से ज्यादा कब्रों पर कुछ लिखने की हिम्मत नहीं है, जो गलवान में भारतीय सेना के जांबाजों के हाथों मारे गए पीएलए के सैनिकों की बताई जा रही हैं। लेकिन, सौ बात की एक बात यही है कि इस बात में कोई दो राय नहीं कि चीन जिस तरह से एलएसी पर सोच-समझकर उकसावे वाली कार्रवाई को अंजाम दे रहा है, भारत के पास उसका उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

लद्दाख में भारत ने जुटा रखे हैं 30 हजार जवान

लद्दाख में भारत ने जुटा रखे हैं 30 हजार जवान

भारतीय सेना ने भी पीएलए के मंसूबों को भांपते हुए अपनी तैयारी बढ़ा दी है। चुशूल में भारतीय सेना ने 2 टैंक रेजिमेंट और इनफेंट्री कॉम्बैट व्हीकल की तैनाती कर दी है। पूर्वी लद्दाख में इस वक्त 30 हजार सैनिक मौजूद हैं। होवित्जर तोप और मिसाइलें पहले से ही वहां पर तैनात किए जा चुके हैं। लद्दाख में इसबार जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं, उसके चलते विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला और आर्मी चेफ जनरल नरवाने को म्यामांर का दौरा रद्द करना पड़ गया है।

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English summary
China's 'double' attitude in Ladakh is a sign of great danger, Xi Jinping's strategy is a conspiracy
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