गलवान घाटी में 423 मीटर अंदर तक दाखिल चीनी सेना, फिंगर 4,5 के बीच बनाया चीन का नक्शा!
नई दिल्ली। गलवान घाटी की नई सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं और इन तस्वीरों से चीन की एक नई हकीकत सामने आ रही है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने गलवान घाटी में भारतीय क्षेत्र के अंदर 423 मीटर अंदर तक घुसपैठ कर डाली है। साल 1960 में चीन की तरफ से जो दावा किया गया था, इस बार वह कहीं आगे है। आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच पांच मई से टकराव जारी है और इसे खत्म करने के लिए एक महीने के अंदर तीसरी बार कोर कमांडर मीटिंग हो रही है।
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60 के दावे से बहुत आगे
25 जून को जो हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं उनमें भारतीय क्षेत्र के 423 मीटर के इलाके में चीन के 16 टेंट, तिरपाल, एक बड़ा शेल्टर और कम से कम 14 गाड़ियां नजर आ रही हैं। सन् 1960-61 में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी दस्तावेज में दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत के दौरान भारत द्वारा पूछे गए सवाल और उनपर चीन के जवाब दाखिल हैं। कुछ चोटियों की ऊंचाई और विशिष्ट दर्रों के लोकेशन को लेकर एक भारतीय सवाल के जवाब में, चीनी पक्ष ने अपने दावे के लिए विशिष्ट कोऑर्डिनेट्स की एक सीरीज लिस्ट की, जिसमें गलवान नदी क्षेत्र भी शामिल है। गूगल अर्थ प्रो पर अगर इन कोऑर्डिनेट्स को देखें तो इसकी गलवान घाटी में इस रेखा की सटीक जगह को आसानी से देखा जा सकता है। इन कोऑर्डिनेट्स के ठीक उत्तर का इलाका भारतीय क्षेत्र होना चाहिए था। लेकिन जैसा कि सैटेलाइट तस्वीरें बता रही हैं कि यहां साफ तौर पर घुसपैठ हुई है।
62 की जंग के बाद हटे थे चीनी
गूगल अर्थ प्रो में मौजूद मेजरमेंट टूल इशारा करते हैं कि चीनी गलवान नदी के तट के साथ और अपनी खुद की क्लेम लाइन के उत्तर में 423 मीटर भारतीय क्षेत्र में हैं। पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव कहती हैं, 'चीन अतिवादी रुख अपना रहा है। सेना अपनी पहले के किए गए दावे वाली लाइन से बहुत आगे जा रही है जैसा कि आधिकारिक वार्ता में हमें अवगत कराया गया था।' अपने कार्यकाल के दौरान निरुपमा राव की भारत-चीन सीमा वार्ता में प्रमुख भूमिका थी। अक्टूबर 1962 के अंत में गलवान घाटी इलाके में तैनात भारतीय सेना के साथ जबरदस्त लड़ाई के बाद चीन की पीएलए 1960 की क्लेम लाइन। पर पहुंच गई थी। नवंबर 1962 में चीन द्वारा एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा के बाद, चीनी इस क्षेत्र से हट गए।
फिंगर 4 और 5 के बीच नई हरकत
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो के जिन फिंगर एरिया को भारत और चीन के बीच विवाद चल रहा है, वहां एक खुली हुई मैदानी सतह पर चीन ने एक बहुत ही बड़ा सा मैंडेरिन सिम्बल और चीन का मानचित्र बनाया है। यह सिम्बल फिंगर 4 और फिंगर 5 के बीच बना है। इसकी लंबाई लगभग 81 मीटर और चौड़ाई 25 मीटर के आसपास है। यह निशान इतना बड़ा है कि इसे सैटेलाइट इमेज में आसानी से देखा जा सकता है। कुछ ही दिनों पहले तिब्बत में मौजूद चीनी सेना के कमांडर वांग हाईजांग की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वो भारत-चीन सीमा से लगे बिल्कुल सरहद पर जहां 'चीन' लिखा हुआ है, उसे पेंट करते हुए नजर आए थे। फिंगर 4 में चीनी सेना की ओर से बड़े स्तर पर निर्माण कार्य से जुड़ी गतिविधियां नजर आ रही हैं। हालांकि, फिंगर 1 और फिंगर 3 के बीच में भारतीय सेना की पोजीशन की ओर चीनी सेना के मूवमेंट का कोई प्रामाणिक साक्ष्य नहीं दिख रहा है।
डरे हुए हैं लद्दाख के लोग
भारत और चीन के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं और इस टकराव को खत्म करने के लिए आज फिर भारत और चीन के बीच कोर कमांडर वार्ता जारी है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के वेस्टर्न सेक्टर में आने वाले पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो पर्यटकों का सबसे बड़ा आकर्षण है। इस झील के करीब चीन की स्थित कई पहाड़ियों पर पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों ने कब्जा कर लिया है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो लद्दाख के स्थानीय लोगअब डर के साए में जी रहे हैं। चीनी सेना पूर्वी लद्दाख के कई सेक्टर्स तक गश्त करने लगी है और इस बात से यहां के लोगों में अजीब सी घबराहट है। फॉरवर्ड इलाकों तक स्थानीय नागरिकों के मूवमेंट को प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही फोन नेटवर्क भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। ताशी नामग्याल जो लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चुने हुए प्रतिनिधि हैं, उनकी मानें तो उन्होंने कई दशकों से एलएसी पर इतने बड़े स्तर पर मिलिट्री लाव-लश्कर नहीं देखा
था।