तो क्या तवांग में भी चीन को मिला है गलवान जैसा जवाब? खुद चीनी मीडिया खोल रहा है जिनपिंग की पोल
पिछली बार भी भारतीय सैनिकों ने पीपल्स लिबरेशन आर्मी का मुंहतोड़ जवाब दिया था। 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे।
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अरुणाचल प्रदेश में 9 दिसंबर को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर एक बार फिर से चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी और भारतीय सेना के बीच झड़प हुई है। इस बार ये झड़प अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई है। आश्चर्य तो ये है कि इस घटना की चर्चा जहां पुरी दुनिया में हो रही है, चीन अभी भी खामोश है। ऐसे में ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या चीन को तवांग में भी गलवान जैसा जवाब मिल गया है? चीनी मीडिया की हरकतों पर नजर डालें तो ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं।
50 भारतीय जवानों ने हमला नाकाम किया
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तवांग से लगभग 35 किलोमीटर दूर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर करीब 300 सैनिकों ने घुसने की कोशिश की थी जिसे भारत के 50 बहादुर जवानों ने नाकाम कर दिया। सूत्रों के मुताबिक ये झड़प पत्थरबाजी से शुरू हुई। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सैनिक हाथ में नुकीले और धारदार क्लब लगाकर पहुंचे थे। इसके अलावा चीनी सैनिक रस्सी से बनी बंदरमूठ गांठ, टेसर गन लेकर पहुंचे थे। लेकिन भारतीय सैनिकों ने उनका मुंहतोड़ जवाब दिया। सूत्रों के मुताबिक पीएलए सैनिकों को अधिक चोटें आईं क्योंकि भारतीय सैनिकों ने 30 मिनट के भीतर ही चीनी ताकत पर काबू पा लिया था।
6 जवानों का गुवाहाटी में चल रहा इलाज
हालांकि इस संघर्ष में कम से कम 15 जवान भी जख्मी हो गए। 6 जवानों को गुवाहाटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एएनआई की खबर के इस घटना में चीनी फौज को भारतीय सेना से काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। 17 हजार फीट की ऊंचाई पर हुई इस झड़प में घायल हुए चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में अधिक बताई जा रही है। इसकी वजह भारतीय सैनिकों का इस तरह की हरकत के लिए पहले से ही तैयार रहना बताया जा रहा है। यही वजह है कि अब तक चीन ने इस घटना को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
चुप्पी साधे हुआ है चीनी मीडिया
जहां पूरी दुनिया में तवांग सेक्टर में हुए इस संघर्ष की चर्चा हो रही है। चीनी मीडिया भी इस घटना पर चुप्पी साधे हुए है। हर छोटी से छोटी घटना पर दुनिया भर के देशों को धमकी भरी लंबी-लंबी आर्टिकल लिख डालने वाला ग्लोबल टाइम्स अभी चीन-अमेरिका संबंधों पर लेख लिख रहा है। जहां भारत में हर किसी को इस घटना की जानकारी मिल चुकी है, तीसरी बार राष्ट्रपति बनने वाले शी जिनपिंग अपनी जनता से ये सच क्यों छुपा रहे हैं? ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि क्या इस बार भी चीन अपने पराजित सैनिकों का अस्पतालों में चुपचाप इलाज तो नहीं करवा रहा है?
भारतीय सैनिकों ने पीएलए के दांत खट्टे किए
पिछली बार भी भारतीय सैनिकों ने पीपल्स लिबरेशन आर्मी का मुंहतोड़ जवाब दिया था। 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। पहले तो चीन ने एक भी जवान के मारे जाने की बात नहीं कबूली, लेकिन जब दवाब बढ़ा तो चीन ने यह माना कि उसके 4 जवान मारे गए हैं। हालांकि पूरी दुनिया को पता है कि यह आंकड़ा इससे कहीं अधिक था। चीन को उस झड़प में बुरी तरह शिकस्त मिली थी। यही वजह है कि उस करारी हार का जख्म अभी भी चीनी ओहदेदारों और सैन्य कमांडरों को टीस देता रहता है।
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