अरुणाचल सीमा के पास चीन के इस कदम ने बजाई खतरे की घंटी, पूर्वोत्तर दौरे पर पहुंचे आर्मी चीफ
नई दिल्ली, 21 मई। भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की दो दिवसीय यात्रा के तहत गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश सेक्टर पहुंचे। यहां पर आर्मी चीफ ने चीन के साथ सीमा पर भारत की ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की। आर्मी चीफ का ये दौरा जिस समय हुआ है उसी दौरान चीन की एक और चालबाजी का पता चला है।
दीमापुर मुख्यालय पर पहुंचे सेना प्रमुख
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा के करीब एक रणनीतिक राजमार्ग का निर्माण पूरा किया है। चीन ने इस राजमार्ग का निर्माण यारलुंग जांगबो ग्रैंड कैनियन के बीच से होकर किया है जिसे दुनिया की सबसे गहरी खाई के रूप में जाना जाता है और जिसकी अधिकतम गहराई 6009 मीटर है। चीन ने इस राजमार्ग का निर्माण 31 करोड़ डॉलर की कीमत से किया है।
अधिकारियों ने बताया कि आर्मी चीफ नरवणे गुरुवार को नागालैंड के दीमापुर में कोर मुख्यालय पहुंचे और अरुणाचल प्रदेश की उत्तरी सीमाओं पर तैयारियों और पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। सेना ने बयान में कहा "सेना प्रमुख को स्पीयर कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जॉनसन मैथ्यू और डिवीजन कमांडरों ने मौजूदा स्थिति और उत्तरी सीमाओं पर तैयारी की जानकारी दी।"
भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच पिछले एक साल से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में तनाव बना हुआ है। फरवरी में दोनों सेनाओं के बीच सहमति के बाद पैंगोंग त्सो झील के पास डिसएंगेजमेंट को लेकर प्रक्रिया पूरी हुई थी लेकिन उसके बाद से कोई प्रगति नहीं हुई है। बुधवार को ही सेनाध्यक्ष ने कहा था कि भारतीय सेना लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक पूरे उत्तरी मोर्चे पर डी-एस्कलेशन होने तक बढ़ी हुई उपस्थिति बनाए रखेगी।
अरुणाचल के करीब आखिरी काउंटी तक पहुंचा हाईवे
एक तरफ जहां पूर्वी लद्दाख में अभी भी कई क्षेत्रों में तनाव बना हुआ है, अरुणाचल की सीमा के करीब चीनी हाईवे ने एक और चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। 67.22 किलोमीटर लंबा राजमार्ग चीनी शहर न्यिंगची में पैड टाउनशिप को मेडोग काउंटी के बैबंग टाउनशिप से जोड़ता है, जिससे दोनों के बीच यात्रा का समय आठ घंटे कम हो जाता है।
राजमार्ग में 2.15 किलोमीटर लंबी सुरंग भी शामिल है। हाईवे का निर्माण 2014 में शुरू हो गया था।
यह हाईवे जिस मेडोग काउंटी को जोड़ता है वह तिब्बत की अंतिम काउंटी है और अरुणाचल प्रदेश के करीब स्थिति है। जिसे लेकर चीन अवैध रूप से दावा करता है कि यह तिब्बत का ही हिस्सा है। हालांकि भारत ने हमेशा से अरुणाचल को अभिन्न मांगते हुए चीन के किसी भी दावे को दृढ़ता से खारिज किया है।
चीन ने माना- तिब्बत से लगी सीमा क्षेत्र में बनाए आधुनिक गांव
चीन भारत से लगी सीमा पर सिर्फ रोड बनाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसने आगे की तैयारियां शुरू कर दी हैं। चीन लगभग एक दशक से तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से लगी 4000 किमी लंबी सीमा पर आधुनिक गांव बसाने के लिए पैसा लगा रहा है।
चीन ने दावा किया है कि बॉर्डर पर स्थित उसके अधिकांश गांवों को हाईवे से जोड़ दिया गया है और यहां पर मोबाइल सेवा भी उपलब्ध है। चीन के स्टेट काउंसिल इनफॉर्मेशल ऑफिस ने तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र पर नीति को लेकर श्वेत पत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि 2020 के अंत तक सुदूर प्रांत के सीमा पर स्थिति कई गांवों को हाईवे से जोड़ दिया गया था और इन क्षेत्रों में स्थित सभी गांव में मोबाइल संपर्क की सुविधा हासिल हो चुकी है।
जिस तिब्बत के बॉर्डर एरिया में इन गांवों को तैयार किया गया है उसकी अधिकांश विवादित सीमा भारत से लगती है जबकि इसका छोटा हिस्सा नेपाल और भूटान से भी लगता है। भारत के साथ ही भूटान के साथ भी चीन का सीमा विवाद है।
'1951 के बाद तिब्बत: आजादी, विकास और समृद्धि" के नाम से जारी इस श्वेत पत्र को शुक्रवार को जारी किया गया है। इस पत्र में एक अध्याय 'सीमा क्षेत्रों का विकास और लोगों के जीवन में सुधार' नाम से रखा गया है जिसमें सीमा पर चीनी निर्माण के बारे में जानकारी दी गई है।
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2017 में बनी थी इन गांवों की योजना
इसमें कहा गया है "पार्टी सेंट्रल कमेटी (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना) के मार्गदर्शन में तिब्बत में सीमा विकास के लिए वित्तीय इनपुट साल-दर-साल बढ़ रहा है। विशेष रूप से 2012 के बाद से तिब्बत में सीमावर्ती गांवों, टाउनशिप और काउंटी को बुनियादी ढांचे के निर्माण, पानी, बिजली, सड़कों और आवास को कवर करने को लेकर राज्य की नीतियों में अधिक प्राथमिकता प्रदान की गई हैं।"
जारी पत्र में बताया गया है कि 2017 में सीमावर्ती क्षेत्रों में 2020 तक मध्यम श्रेणी के गांवों के निर्माण पर तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र की योजना जारी की गई थी। इसके तहत इन गांवों में आवास, पानी, बिजली, सड़कों और संचार तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया था।
श्वेत पत्र में कहा गया है, "तिब्बत के सीमावर्ती क्षेत्रों में इन सभी प्रयासों के माध्यम से, बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, सभी उद्योग फल-फूल रहे हैं, और लोग बेहतर जीवन और काम करने की स्थिति का आनंद ले रहे हैं।"
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