अरुणाचल की 90,000 स्क्वॉयर किमी जमीन पर दावा करता है चीन-राजनाथ सिंह
नई दिल्ली। मंगलवार को लोकसभा में चीन के साथ टकराव के बारे में जानकारी देने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा को संबोधित किया। रक्षामंत्री की काफी बातें उनके पूर्व में दिए गए संबोधन की ही तरह थी। मगर इस बार यहां पर उन्होंने बताया है कि चीन, अरुणाचल प्रदेश की 90,000 स्क्वॉयर किलोमीटर की जमीन पर अपना दावा जताता है। रक्षा मंत्री ने एक बार फिर कहा कि पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर देश के जवान डटकर चीन के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं।
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LAC के पूर्वी सेक्टर में अरुणाचल
रक्षा मंत्री ने राज्यसभा में कहा, 'चीन लगभग 90,000 स्क्वॉयर किलोमीटर की हमारी जमीन पर अपना दावा जताता है जो कि अरुणाचल प्रदेश के तहत आने वाली भारत-चीन सीमा के पूर्वी सेक्टर में आता है।' उन्होंने आगे कहा, 'पिछले कुछ दशकों में चीन ने बॉर्डर के इलाकों में अपनी तैनाती को मजबूत करने के लिए कई प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर कार्यों को अंजाम दिया है। हमारी सरकार की तरफ से भी बॉर्डर के इलाकों में ढांचागत विकास के लिए बजट को बढ़ाया गया है।' उन्होंने कहा, 'यह सच है कि हम लद्दाख में एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन साथ ही मुझे पूरा भरोसा है कि हमारा देश और हमारे वीर जवान इस चुनौती पर खरे उतरेंगे। मैं इस सदन से अनुरोध करता हूं कि हम एक ध्वनि से अपनी सेनाओं की बहादुरी और उनके अदम्य साहस के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें।'
नए नक्शे में अरुणाचल को बताया अपना हिस्सा
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सदन से दिया गया, एकता व पूर्ण विश्वास का संदेश, पूरे देश और पूरे विश्व में गूंजेगा, और देश के जवान, जो कि चीनी सेनाओं से आंख से आंख मिलाकर अडिग खड़े हैं, उनमें एक नए मनोबल, ऊर्जा व उत्साह का संचार होगा। चीन ने मई माह में कोरोना वायरस महामारी के बीच ही अपने नक्शे में बदलाव किया है। अब इस नए नक्शे में चीन ने भारत के नॉर्थ ईस्ट के बड़े राज्य अरुणाचल प्रदेश को अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में दिखाया है। चीन के इस नए नक्शे का अपडेटेड वर्जन स्काई मैप की तरह से जारी किया गया है। स्काई मैप, चीन की अथॉरिटी है जो डिजिटल मैप्स को तैयार करती है। इसकी तरफ से नया मैप तैयार किया गया है। स्कार्इ मैप को बीजिंग स्थित नेशनल सर्वेइंग एंड मैपिंग जियोग्राफिक इनफॉर्मेशन ब्यूरो की तरफ से संचालित किया जाता है।
अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत मानता है चीन
चीन, अरुणाचल प्रदेश जो भारत के नॉर्थ ईस्ट में है तिब्बत से सटा है। तिब्बत साल 1913-15 तक ब्रिटिश शायन के अधीन था। फिर जब सन् 1938 में मैकमोहन रेखा निर्धारित हुई तो भारत और तिब्बत अलग हो गए। चीन ने सन् 1951 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। वह आज भी अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है। चीन का नया मैप स्काई मैप के सन् 1989 वाले संस्करण पर आधारित है। चीन ने उसके बाद से रूस और मध्य एशिया के दूसरे देशों के साथ अपने सीमा विवाद को सुलझा लिया था। लेकिन नए नक्शे में किसी का भी जिक्र नहीं है। अरुणाचल प्रदेश समेत पूरे नॉर्थ-ईस्ट में इस समय इनफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से विकसित किया जा रहा है। अप्रैल माह में बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने लॉकडाउन के बाद भी सिर्फ 27 दिनों के अंदर अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी जिले में सुबनसिरी नदी के ऊपर दापोरिजो पुल का निर्माण पूरा कर लिया था।
तवांग पर जताता है हक
अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले पर चीन अपना अधिकार जताता है। तवांग वह हिस्सा है जहां पर सबसे पहले दलाई लामा तिब्बत से भागकर पहुंचे थे। वर्ष 1959 में तिब्बत में हुए असफल सैन्य विद्रोह के बाद उनके कदम सबसे पहले तवांग में पड़े थे। अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन का विरोध दलाई लामा की वजह से सबसे ज्यादा है। चीन अक्सर दलाई लामा की उस प्रतिक्रिया को खारिज कर देता है जिसमें उन्होंने कहा था कि चीनी सेना की बढ़ती कार्रवाई की वजह से उन्हें अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था। दलाई लामा ने साल 2017 में कहा था 58 वर्ष पहले तवांग में उन्हें जिस तरह का स्वागत मिला था, वह उनके लिए 'आजादी का पल' था।'