तेल की कीमतों पर घिरी मोदी सरकार, जल्द कम कर सकती टैक्स
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नई दिल्ली। लगातार बढ़ रही तेल कीमतों ने देश की राजनीति का गर्मा दिया है। विपक्ष सरकार पर आसमान छू रही तेल की कीमतों को लेकर हमलावर हो गया है। विपक्ष ने एनडीए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, सरकार तेल पर लगने वाले टैक्स को क्यों कम नहीं कर रही है, टैक्स कम होने से ग्राहकों को मंहगाई से थोड़ी राहत मिलेगी। वहीं पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि, सरकार इस समस्या के समाधान पर काम कर रही है। आपको बता दें कि कर्नाटक चुनाव के दौरान तेल की कीमतें लगभग 20 दिनों तक नहीं बढ़ी थी। कर्नाटक चुनाव परिणामों के बाद तेल की कीमतों में भारी वृद्धि देखने को मिली।
लगातार 9वें दिन बढ़ी तेल की कीमतें
सोमवार को दिल्ली और मुंबई में तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। सोमवार को दिल्ली औऱ मुंबई में क्रमश: पेट्रोल की कीमत 76.57 और 84.40 रुपए प्रति लीटर थी। वहीं इन दोनों शहरों में डीजल की कीमतें 67.82 और 72.21 रुपए प्रति लीटर दर्ज की गईं। वहीं मंगलवार को मुंबई में पेट्रोल 84.70 और डीजल 72.48 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर सप्ताह तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। महाराष्ट्र में अन्य राज्यों की अपेक्षा तेल अधिक मंहगा है। हम ऐसी अवस्था में कैसे रह पाएंगे। वहीं भोपाल में पेट्रोल 82.47 और डीजल 72.45 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया है। तेल की कीमतों में लगातार 9वें दिन वृद्धि देखने को मिली है।
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर बोला हमला
तेल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने ट्वीट किया कि, तेल के दाम अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर! ये अर्थव्यवस्था और आम जनता के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है मोदी सरकार?। मुंबई में पेट्रोल 84 रुपए लीटर के पार हो गया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने जयवीर शेरगिल ने कहा कि, यह देश में पेट्रोल की उच्चतम कीमतें हैं। अगर पीएम मोदी कर्नाटक चुनाव में अपने फायदे के लिए डीजल-पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रित कर सकते हैं तो जनता की भलाई के लिए ऐसा साल भर किया जाना चाहिए।
जल्द केंद्र सरकार कम कर सकती है तेल पर वाले टैक्स
तेल मंत्री प्रधान ने कहा कि, तेल की कीमतें कम करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, वह इसे कर रही है। सरकार तेल पर से जल्द ही ड्यूटी 2.50 और 2.35 पैसे कम करने वाली है। उन्होंने कहा कि, तेल की कीमतें कम करना केवल केंद्र सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है। राज्य सरकारें भी तेल पर वेट की दरें कम करें। जो कि सीधा उनके खाते में जाता है। वेट के चलते तेल की कीमतें 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। राज्य सभी संग्रहों का सबसे बड़ा लाभार्थी हैं। भले ही वे 5% तक वैट कम करें, उपभोक्ताओं को फायदा होगा।