भारत-चीन की कोर कमांडर वार्ता से पहले सीडीएस रावत बोले- LAC पर किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा भारत
चीन-भारत के कोर कमांडर वार्ता से पूर्व सीडीएस रावत बोले- LAC पर किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा भारत
नई दिल्ली।भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले छह महीने से टकराव जारी हैं। वहीं अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि LAC पर हालत तनावपूर्ण बने हुए हैं। रावत ने कहा हमारा रुख हमेशा से स्पष्ठ है कि हम लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कोई भी बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे।
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बता दें सीडीएस रावत की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जबकि आज शुक्रवार (6 नवंबर) को भारत और चीन के बीच आज आंठवें दौर की कोर कमांडर वार्ता होने वाली है। जिसमें लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन और भारत के बीच चल रहे टकराव को खत्म करने की कोशिशकी जाएंगी। 12 अक्टूबर को दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर चुशुल में मुलाकात की थी, लेकिन पिछली कई बार की तरह वो वार्ता भी बेनतीजा ही साबित हुई थी।
बड़े संघर्ष में तब्दील होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है
वहीं इस वार्ता से पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ सीमा तनाव के बीच भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की शिफ्टिंग को स्वीकार नहीं करेगा। रावत ने नेशनल डिफेंस कॉलेज के हीरक जयंती समारोह में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा लद्दाख में स्थिति तनावपूर्ण थी और चीनी सेना लिबरेशन आर्मी (पीएलए) लद्दाख में अपने दुस्साहस को लेकर भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अप्रत्याशित परिणाम का सामना कर रही है। उन्होंने कहा समग्र सुरक्षा गणना में, सीमा टकराव, परिवर्तन और अकारण सामरिक सैन्य कार्रवाइयों को बड़ा संघर्ष नहीं माना जा सकता है। सीडीएस रावत ने कहा कि सीमा पर झड़पों और बिना उकसावे के सैन्य कारवाई के बड़े संघर्ष में तब्दील होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
रावत ने चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत होने की चेतावनी दी
वहीं पाकिस्तान के बारे सीडीएस रावत ने कहा जम्मू-कश्मीर में पाक के लगातार छद्म युद्ध और भारत के खिलाफ दुष्ट बयानबाजी के कारण भारत और पाकिस्तान के संबंध और भी खराब हो गए हैं। बिपिन रावत ने चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत होने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि उन दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के साथ लगातार घर्षण था जिनके साथ भारत ने युद्ध लड़े हैं और मिलीभगत में उनके अभिनय ने "क्षेत्रीय रणनीतिक अस्थिरता के खतरे को बढ़ाता है।"
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बोली ये बात
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत एकपक्षीयता और आक्रामकता की स्थिति में अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ था, चाहे वह कोई भी बलिदान क्यों न हो। मंत्री ने कहा कि युद्ध को रोकने की क्षमता के माध्यम से ही शांति सुनिश्चित की जा सकती है। "शायद सबसे बुनियादी सबक जो राष्ट्रों के उत्थान और पतन के रोलर कोस्टर ने हमें सिखाया था कि शांति जरूरी नहीं कि शांति की इच्छा से प्राप्त की जा सकती है, बल्कि युद्ध को रोकने की क्षमता के द्वारा प्राप्त की जा सकती है। दुर्भाग्य से, शांति की तलाश करने की एकमात्र इच्छा, अगर दूसरों द्वारा पारस्परिकता नहीं है, तो जरूरी नहीं कि सुरक्षा, संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों के विरोधी विचारों द्वारा एक दुनिया में एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने में सफल हो।