क्या किसान आंदोलन की भेंट चढ़ सकती है बीजेपी की खट्टर सरकार? भारी दवाब में है जेजेपी
नई दिल्ली। कृषि कानून 2020 को लेकर किसानों का धरना-प्रदर्शन शुक्रवार को 9वें दिन में प्रवेश कर गया है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है, जिसका बड़ा असर मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा की बीजेपी सरकार पर पड़ती दिख रही है। इस किसान आंदोलन में हरियाणा और पंजाब के किसान विशेष रूप से शामिल है, लेकिन आंदोलनरत किसानों को आगे बढ़ने रोकने के लिए बल प्रयोग को लेकर हरियाणा सरकार घिर गई है, जिसका असर भी सरकार पर दिखने लेगा है, क्योंकि सरकार में शामिल 2 निर्दलीय विधायक अभी तक सरकार को अंगूठा दिखा चुके हैं।
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जेजेपी के 10 विधायकों की बैसाखी पर टिकी हुई है हरियाणा सरकार
गौरतलब है हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में बहुमत से 6 कदम दूर रह गई बीजेपी की खट्टर सरकार नवगठित जेजेपी के 10 विधायकों की बैसाखी पर टिकी हुई है और अगर जेजेपी ने किसानों के उग्र हो रहे आंदोलन को समर्थन में बीजेपी को अंगूठा दिखा दिया तो खट्टर सरकार किसान आंदोलन की भेंट चढ़ जाएगी। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के अपने 41 विधायक हैं और 10 सीट जीतने वाली नवोदित जेजेपी चीफ और हरियाणा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का समर्थन हासिल है। इसके अलावा खट्टर सरकार के समर्थन में 56 विधायक हैं, जिनमें बाहर से समर्थन दे रहे 4 विधायक शामिल हैं।
दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान सरकार से अलग हो गई
वहीं, किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने सोमवार को पशुधन विकास बोर्ड चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर मंगलवार को खट्टर सरकार से अलग हो गई थी। सांगवान के मुताबिक वो सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण समर्थन वापस ले रहे हैं, जबकि महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडु हरियाणा की बीजेपी सरकार से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समर्थन वापस ले चुके हैं। जब तक जेजेपी हरियाणा सरकार के साथ है, तब तक हरियाणा सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन जेजेपी देर-सबेर किसानों के पक्ष में होती है, तो सरकार गिरने में देर नहीं लगेगी।
सरकार गिराने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं पंजाब CM कैप्टन अमरिंदर सिंह
वैसे, हरियाणा की बीजेपी सरकार को गिराने की प्रक्रिया भी शुरू हुई हैं, जिसमें पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, जो किसान आंदोलन को राजनीतिक धार देने में सबसे आगे चल रहे हैं। माना जा रहा है कि परोक्ष रूप से कैप्टन अमरिंदर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड़्डा का सरकार बनवाने में मदद कर सकते हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में 31 सीट जीतने वाली कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए जेजेपी ही नहीं, बल्कि 6 निर्दलीयों की भी मदद की जरूरत है। य़ह संभव हो सकता है अगर जेजेपी किसानों आंदोलन की आड़ में पाला बदले, तो निर्दलीय भी जहां सरकार वहां हम के फार्मूले में साथ चले आएंगे।
हरियाणा में किसानों की खाप पंचायत जेजेपी चीफ पर बना रही है दवाब
ऐसा तब संभव हो सकता है जब हरियाणा में किसानों की खाप पंचायत जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला को किसान आंदोलन के लगातार उग्र हो रहे प्रदर्शन को देखते हुए कोई बड़ा फरमान जारी कर दे। कहने का अर्थ है कि अगर किसान आंदोलन शनिवार को केंद्र सरकार से होने जा रही बैठक के बाद भी नहीं थमा और किसानों को आंदोलन आगे बढ़ता है और बदलते घटनाक्रम में खाप पंचायत दुष्यत चौटाला पर समर्थन वापसी को लेकर दवाब बनाती है, तो दुष्यंत चौटाला फैसला ले सकते हैं, जिसकी धमकी वो दे भी चुके हैं।
दोरोहे पर खड़े दुष्यंत चौटाला भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं
हालांकि यह सोचना बहुत ही क्रांतिकारी होगा, क्योंकि कांग्रेस की सीटों की संख्या इतनी नहीं है कि जेजेपी और कुल 6 विधायकों को एकजुट कर सरकार बनाना आसान काम होगा, क्योंकि इससे हरियाणा की खट्टर सरकार ही नहीं जाएगी, बल्कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक कैरियर भी अधर में पड़ जाएगा। यही कारण है कि दुष्यंत चौटाला भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। दुष्यंत चौटाला इसलिए बार-बार बीजेपी आलाकमान से एमएसपी की गांरटी को लेकर ठोस आश्वासन मांग रहे हैं।
सरकार और किसानों के बीच शनिवार को होगी अगले दौर की बैठक
समझा जा रहा है कि शनिवार को केंद्र सरकार और किसानों के साथ अगले दौर की होने जा रही बैठक का नतीजा हरियाणा सरकार के भविष्य का फैसला कर सकता है। अगर किसान और केंद्र सरकार किसी समाधान की ओर बढ़ते हुए दिखते हैं और किसान आंदोलन थमता दिखाई देता है, तो हरियाणा सरकार पर आंच मुश्किल है, लेकिन अगर कोई समाधान नहीं निकलता है, तो आंदोलन की झंझावत में खट्टर सरकार बह भी सकती है। क्योंकि दुष्यंत चौटाला पर हरियाणा के खाप पंचायत का दवाब बढ़ना लाजिमी है, क्योंकि हरियाणा में किसान आंदोलन के बीच 40 खाप पंचायत की एक महापंचायत बुलाई गई थी, जिसके बाद से हरियाणा की खट्टर सरकार की नींव हिलाने की मुहिम शुरू की जा चुकी है।
हरियाणा की खाप पंचायतें हरियाणा सरकार के फैसलों से वह खुश नहीं है
जैसी रिपोर्ट आ रही है, उससे यह लगता है कि हरियाणा की खाप पंचायतें हरियाणा सरकार के फैसलों से वह खुश नहीं है। किसान आंदोलन को कुचलने और उन्हें पंजाब से हरियाणा में घुसने देने में हरियाणा सरकार द्वारा पैदा किए गए अवरोध खाप पंचायत को पंसद नहीं किया गया है। य़ही वजह है कि एक-एक करके निर्दलीय हरियाणा सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं और कोई आश्यर्च नहीं होगा कि कल जेजेपी चीफ भी खाप पंचायत के दबाव में समर्थन वापसी को लेकर तैयार हो जाएं।
दुष्यंत चौटाला के लिए समर्थन वापसी का फैसला लेना मुश्किल होगा
अगर ऐसा होता है और दुष्यंत चौटाला बीजेपी सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा करते हैं, तो खट्टर सरकार का जाना तय हो जाएगा। हालांकि दुष्यंत चौटाला के लिए यह फैसला लेना बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि इससे नवोदित जेजेपी का राजनीतिक आधार और खुद दुष्यंत चौटाला का राजनीतिक कैरियर अवसान में चला जाएगा। दूसरे इसका बड़ा नुकसान यह होगा कि हरियाणा सरकार बनते ही जेल से छूटकर आए उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को दोबारा जेल यात्रा करनी पड़ सकती है।